मुख्तार अंसारी के नाम से ही सहम उठते थे लोग... हत्या, अपहरण, फिरौती और दंगा थी उसकी पहचान
Mukhtar Ansari: एक वक्त था जब पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग मुख्तार अंसारी के नाम से डर जाते थे। यहां तक कि यूपी में कई सरकारें आई और गईं... पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी का रुतबा और दबदबा कभी कम नहीं हुआ। लेकिन जबसे यूपी में योगी की सरकार आई दूसरों के लिए डर का दूसरा नाम मुख्तार... डर-डर के जीता रहा।
मुख्तार अंसारी की अपराध कुंडली।
Synonym of Fear Mukhtar Ansari: उत्तर प्रदेश में माफिया और गुंडागर्दी के सबसे बड़े पर्यायवाची के तौर पर मुख्तार अंसारी का जिक्र किया जाता रहा है। मूंछों पर ताव देने वाले मुख्तार अंसारी की जिदंगी का अंत हो चुका है, उसकी जिंदगी के आखिरी दिन ऐसे नहीं रह गए थे कि वो अपनी मूंछों को बेफिक्री से ताव दे सके। पूर्वांचल में जो मुख्तार अंसारी लोगों के लिए डर और डिप्रेशन का नाम था, उसको जब मौत ने अपनी आगोश में लिया तो वो खुद सहमा हुआ था। जेल की सलाखों में मुख्तार अंसारी डर और डिप्रेशन के साए में जेल में ज़िंदगी बीता रहा था और इसी खौफ में उसकी जिंदगी का अंत हो गया।
एक वक्त था जब पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग मुख्तार अंसारी के नाम से डर जाते थे। यहां तक कि यूपी में कई सरकारें आई और गईं... पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी का रुतबा और दबदबा कभी कम नहीं हुआ। लेकिन जबसे यूपी में योगी की सरकार आई दूसरों के लिए डर का दूसरा नाम मुख्तार अंसारी... डर-डर के जीता रहा और आखिर उसके अध्याय का अंत हुआ।
योगी राज आते ही शुरू हुई मुख्तार की उलटी गिनती
वैसे तो मुख्तार अंसारी यूपी के मऊ जिले से विधायक रहा, लेकिन उसकी पहली और सबसे बड़ी पहचान नेता की नहीं, बल्कि माफिया डॉन के रूप में होती रही। जिस पूर्वांचल में कभी मुख्तार के नाम का खौफ था, वो मुख्तार योगी राज आते ही इस कदर खौफ में जीने लगा था कि वो पंजाब की रोपड़ जेल से उत्तर प्रदेश वापस लौटने में उसे डरने लगा था, यानी जो डॉन दूसरों को डराता था वो यूपी में कदम रखने से डरता रहा। आपको पूरी कहानी समझाएं उससे पहले आपको यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 2017 का एक बयान जानना चाहिए जो उन्होंने यूपी के अपराधियों और माफिया के लिए सार्वजनिक मंच से दिया था।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 'सत्ता के संरक्षण में पल रहे माफिया, अपराधी, लुटेरे गुंडे ये सबके सब मेहरबानी करके या तो उत्तर प्रदेश छोड़कर चले जाएं और अगर उत्तर प्रदेश में रहेंगे तो उनके लिए दो जगह रहेगी। मुझे लगता है वहां कोई भी नहीं जाना चाहेगा।' एक वक्त था जब पूर्वांचल में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का दबदबा था, दर्जनों आपराधिक मुकदमों के बावजूद वो राज्य में कहीं भी आसानी से घूमता था। राजनीतिक संरक्षण के कारण उसे पुलिस सुरक्षा तक मिली हुई थी। इसे संयोग कहिए या फिर समय की चाल... मुख्तार अंसारी जिस गाजीपुर और मऊ का मसीहा बनने की कोशिश करता था, अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों उसी गाजीपुर में नहीं आना चाहता था, 2021 तक तो वो यूपी से भी दूर रहना चाहता था।
कृष्णानंद राय की हत्या के बाद सुर्खियों में आया था मुख्तार
मुख्तार अंसारी का नाम तब सुर्खियों में आया था, जब 2005 में बीजेपी के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की हत्या हुई थी। हालांकि इस केस में 2019 में CBI की विशेष अदालत मुख्तार अंसारी और उनके भाई सांसद अफजाल अंसारी को क्लीन चिट दे दी थी। लेकिन परिवार ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कृष्णानंद राय की पत्नी ने कांग्रेस पर मुख्तार को संरक्षण देने का आरोप लगाए थे। 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने...तब से उसकी ताकत और रसूख पर बुलडोजर चलने लगा। पहले घर पर बुलडोजर, फिर होटल पर बुलडोजर, फिर करीबियों की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर और यूपी में अपराध की इमारत गिरने लगी।
90 के दशक में पूर्वांचल ने गैंगवार का वो दौर भी देखा है, जब लोगों को पता नहीं होता था कि कब-कहां से गोलियों की आवाज सुनाई दे जाए। पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी का सबसे बड़ा दुश्मन अगर कोई था, तो उसका नाम है ब्रजेश सिंह। ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी गैंग के बीच कई बार गैंगवॉर की घटनाएं पूर्वांचल को दहला चुकी हैं। अपराध के काले धब्बों को छिपाने के लिए मुख्तार ने राजनीति का सफेद कुर्ता पहना लिया और 1996 में पहली बार मऊ से विधायक चुना गया। तब से वो लगातार मऊ से विधायक चुना जाता रहा। मुख्तार की मंशा थी कि वो विधानसभा के बाद लोकसभा में सांसदों की कुर्सी पर भी बैठे और इसी ख्वाहिश में 2009 में मुख्तार अंसारी ने वाराणसी से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार उसे हार मिली थी। हालांकि उसके भाई अफजाल अंसारी मौजूदा समय में गाजीपुर से बीएसपी सांसद हैं।
माफिया डॉन के परिवार का राजनीति से पुराना नाता रहा
मुख्तार अंसारी को यूपी के लोग माफिया डॉन समझते रहे, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि उसके परिवार का राजनीति और देश सेवा से नाता पुराना था। मुख्तार अंसारी के परदादा मुख्तार अहमद अंसारी आजादी के पहले भारतीय नेशनल कांग्रेस के संस्थापकों में से एक थे और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जबकि नाना ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी कश्मीर में देश के लिए शहीद हुए थे। अच्छे पारिवारिक इतिहास के बावजूद मुख्तार ने अपराध का रास्ता चुना। आरोप तो यहां तक लगते रहे हैं कि वोटरों को डरा धमका उसने कई बार चुनाव में जीत हासिल की। जेल से रहकर ही हर बार चुनाव लड़ता है और जीतता आया। मऊ और गाजीपुर मुख्तार अंसारी की राजनीति और अंडरवर्ल्ड का गढ़ रहा है, लेकिन योगी सरकार में अब उसके अपराध का साम्राज्य जमीदोंज होता गया।
यूपी के गाजीपुर शहर में स्थित मुख्तार अहमद अंसारी जिला चिकित्सालय (अब- महिला जिला अस्पताल) के ठीक बगल में सदर कोतवारी है। यहीं 1996 में मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगी भीम सिंह पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। उसके खिलाफ जमीन कब्जा, हत्या और जबरन वसूली के लगभग 60 आपराधिक मामले दर्ज थे।
मुख्तार के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले
- गाजीपुर में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या
- मन्ना हत्याकांड के गवाह रामचंद्र मौर्य की हत्या
- फर्जी शस्त्र लाइसेंस हासिल करने पर केस
- कांग्रेस के नेता अजय राय के भाई की हत्या
- मऊ में ए श्रेणी ठेकेदार मन्ना सिंह हत्याकांड
- रामचंद्र मौर्य के बॉडी गार्ड सिपाही सतीष का मर्डर
- इलाहाबाद की स्पेशल एमएलए कोर्ट गैंगस्टर के 4 केस
- आजमगढ़ के ऐराकला गांव में मजदूर हत्या
मुख्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई
तारीख | कार्रवाई |
11 नवंबर, 2020 | मुख्तार की पत्नी और सालों की 22 करोड़ की संपत्ति की गईं कुर्क |
13 नवंबर, 2020 | दलितों की जमीन पर बने मुख्तार के गोदाम पर चला बुल्डोजर |
9 जून, 2021 | बेटे अब्बास और उमर के नाम पर रजिस्टर्ड जमीन की गई जब्त |
3 अगस्त, 2021 | मुख्तार के साले आतिफ का आलीशान बंगला किया गया सील |
26 अक्टूबर, 2021 | गाजीपुर में बन रहा मुख्तार का कॉम्प्लेक्स किया गया सील |
21 नवंबर, 2021 | लखनऊ के हुसैनगंज में मुख्तार की 3 करोड़ की संपत्ति जब्त |
22 दिसंबर, 2021 | मुख्तार की 17 दुकानें की गईं सील |
23 फरवरी, 2022 | विधानसभा चुनाव के बीच मुख्तार के गजल होटल पर गिरी गाज |
23 फरवरी, 2022 | 25 लाख से ज्यादा के हथियार, 72 लाख रुपए के गहने भी जब्त |
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