Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले होने वाला है बड़ा खेला? अजित पवार को ऐसे सबक सिखा सकते हैं चाचा शरद पवार

Sharad Pawar Teach Lesson to Ajit Pawar: जिस तरह अजित पवार ने एनसीपी में दो फाड़ कर दिया, ज्यादातर नेताओं को अपने साथ लाकर चाचा को ऐसा चकमा दिया कि हर कोई सन्न रह गया। बिल्कुल उसी तरह चाचा शरद पवार भी अपने भतीजे की पार्टी में दरार डालने की योजना बना सकते हैं।

Sharad Pawar Teach Lesson to Nephew Ajit Pawar

महाराष्ट्र में हो सकता है ये बड़ा खेला।

Sharad Pawar Teach Lesson to Nephew Ajit Pawar: चाचा शरद पवार अपनी एक चाल से भतीजे अजित पवार को ऐसा सबक सिखा सकते हैं, जिसकी कल्पना उन्होंने शायद सपने में भी नहीं की होगी। वो कहावत है न, जैसे को तैसा... शायद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संस्थापक इसी सिद्धांत के तहत सूबे के डिप्टी सीएम और अपने भतीजे को धूल चटाने की प्लानिंग कर सकते हैं।

भतीजे से बदला लेने वाले हैं चाचा शरद?

जिस तरह अजित पवार ने एनसीपी में दो फाड़ कर दिया, ज्यादातर नेताओं को अपने साथ लाकर चाचा को ऐसा चकमा दिया कि हर कोई सन्न रह गया। बिल्कुल उसी तरह चाचा शरद पवार भी अपने भतीजे की पार्टी में दरार डालने की योजना बना सकते हैं। अजित पवार के खेमे में अभी भी उन्हीं नेताओं का बोलबाला है, जो कभी उनके चाचा के सगे हुआ करते थे। नेताओं की कतार तो बड़ी लंबी है, लेकिन इनमें जिन्होंने इन दिनों सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रखा है, उनमें छगन भुजबल और प्रफुल्ल पटेल का नाम सबसे उपर आता है।

महाराष्ट्र में होने वाला है कोई बड़ा खेला?

विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की सियासत तेजी से करवट बदल रही है। जबसे लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आए हैं अजित पवार की पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। जिसका फायदा उनके चाचा शरद पवार आसानी से उठा सकते हैं। इधर सभी की निगाहें आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर है, तो उधर चाचा कोई बड़ा खेला करने की फिराक में होंगे। प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल समेत वो सभी नेता जो कभी शरद के सगे थे उनको इस बार का पछतावा जरूर हो रहा होगा कि उन्होंने आखिर क्यों बगावत की। खास तौर पर वो तीन सांसद जो शरद पवार की NCP में रहते हुए चुनाव जीते थे और अजित पवार के खेमे में आकर अब सांसद नहीं है। मनमुटाव की खबरें सामने आने लगी हैं। इन मनमुटाव की सबसे बड़ी वजह हैं अजित पवार की पत्नी...।

अजित पवार की पत्नी की वजह से टूट जाएगी पार्टी?

शरद पवार की पार्टी को जब उनके भतीजे ने तोड़ा था, उस वक्त उन्होंने ये दलील दी थी कि उनके चाचा अपनी पुत्री मोह में लीन हैं और उन्हें (अजित पवार को) उनका हक नहीं मिला। अगर आज अजित पर सवाल खड़े हो रहे है तो कहीं न कहीं वो खुद अपने चाचा की राह पर चल रहे हैं। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को रिक्त राज्यसभा सीट के लिए मनोनीत किया गया है, जिसके चलते उनकी पार्टी एनसीपी में भारी असंतोष की खबरें सामने आ रही हैं। लाजमी है कि दिग्गज नेताओं के रहते हुए भी अजित अपनी पत्नी को आगे करेंगे तो सवाल को खड़े होंगे ही। अजित पवार के इस कदम से राकांपा में असंतोष इस कदर भड़क गया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल खुलकर नाराजगी व्यक्त करने लगे। वो खुद राज्यसभा सदस्य बनना चाहते थे, लेकिन अजित ने अपनी पत्नी को ये तोहफा दे दिया।

खुलकर नाराजगी बयां कर रहे छगन भुजबल

सूबे के प्रमुख ओबीसी नेता छगन भुजबल ने पार्टी के इस फैसले को लेकर ये दर्द बयां उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों चुनावों के लिए टिकट आवंटन की निष्पक्षता पर उन्होंने सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने सुनेत्रा पवार को राज्यसभा भेजे जाने पर ये प्रतिक्रिया दे दी कि 'इसके (उन्हें टिकट न दिए जाने के) पीछे कारण हो सकते हैं। कभी-कभी यह नियति या किसी प्रकार की मजबूरी होती है।' हालांकि भुजबल ने वंशवाद की राजनीति पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। लेकिन उन्होंने एक सवाल का जवाब जरूर दिया।

क्या छगन भुजबल के साथ टिकट को अन्याय हुआ?

जब भुजबल से ये पूछा गया कि क्या लोकसभा और राज्यसभा टिकट को लेकर उनके साथ अन्याय हुआ है, तो उन्होंने साफ नाराजगी जाहिर की और कहा कि यह सवाल “उनसे” पूछा जाना चाहिए। भुजबल ने कहा, "यह (सांसद बनने की) मेरी इच्छा है। इसलिए मैं नासिक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार था। मुझे बताया गया कि दिल्ली में मेरा टिकट तय हो गया है, मैंने काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन जब (नाम की घोषणा का) फैसला एक महीने तक लटका रहा, तो मैंने काम बंद कर दिया क्योंकि काफी अपमान हो चुका था।" हालांकि इन तमाम आशंकाओं को अजित पवार ने खुद खारिज कर दिया। वो कहते हैं कि पार्टी में 'All is Well' है।

चाचा की ओर जा सकते हैं अजित पवार के करीबी?

लोहा गरम है और यदि शरद पवार ने अभी हथौड़ा चला दिया तो शायद अजित पवार की मुश्किलों में इजाफा हो सकता है। पहले ही लोकसभा चुनाव के नतीजों से चाचा ने भतीजे को ये बता दिया कि असली एनसीपी की कमान किसके पास है। अब अगर छगन भुजबल और प्रफुल्ल पटेल जैसे नेता वापस शरद के खेमे में चले जाते हैं तो इसमें ज्यादा हैरानी होने वाली बात नहीं है।

मौका देखकर पाला बदलने वालों के लिए सही मौका

सूबे में ये कहावत चलती है कि लोकसभा चुनाव में जिसका डंका बजा, वो विधानसभा चुनाव में अपना दबदबा कायम रखता है। पिछले कई चुनावों के नतीजों से इसे आसानी से समझा जा सकता है। 2009 के लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने सूबे की सबसे अधिक सीटों पर कब्जा किया तो उसके ठीक बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही परिणाम देखने को मिला। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी लगभग ऐसी ही तस्वीर सामने आई थी, अब इस बार 2024 के आम चुनाव के नतीजों में फिर से कांग्रेस ने 2004 वाले नतीजों को दोहराया है। आपको आंकड़ों से समीकरण समझाते हैं।

लोकसभा चुनाव 2009 के परिणाम

पार्टीसीट
कांग्रेस17
शिवसेना11
भाजपा9
एनसीपी 8
अन्य1

विधानसभा चुनाव 2009 के परिणाम

पार्टीसीट
कांग्रेस82
एनसीपी62
भाजपा46
शिवसेना44
मनसे13

लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम

पार्टीसीट
भाजपा23
शिवसेना18
एनसीपी4
कांग्रेस2
अन्य1

विधानसभा चुनाव 2014 के परिणाम

पार्टीसीट
भाजपा122
शिवसेना63
कांग्रेस42
एनसीपी41

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम

पार्टीसीट
भाजपा23
शिवसेना18
एनसीपी4
कांग्रेस1
अन्य1

विधानसभा चुनाव 2019 के परिणाम

पार्टीसीट
भाजपा105
शिवसेना56
एनसीपी54
कांग्रेस44

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम

पार्टीसीट
कांग्रेस13
शिवसेना (यूटीबी)9
भाजपा9
एनसीपी (एसपी)8
शिवसेना (शिंदे गुट)7
एनसीपी (अजित पवार गुट)1
अन्य1
अब सभी की निगाहें आगामी विधानसभा चुनाव पर होगी। यदि हर बार की तरह लोकसभा चुनाव का प्रभाव विधनसभा पर भी पड़ा तो भाजपा और एनडीए की राह आसान नहीं होगी। शरद पवार कहीं न कहीं इस प्लानिंग में लगे होंगे कि विधानसभा चुनाव में जीत के साथ-साथ भतीजे को बड़ा सबक सिखाया जाए, जिससे 'चित भी मेरी पट भी मेरी' की कहावत को धरातल पर उतारा जा सके।
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लेटेस्ट न्यूज

आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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