मोदी सरकार 3.0 में जातीय संतुलन साधने की हुई कोशिश; जानें किस जाति के कितने नेताओं को मिला मौका

Modi Sarkar 3.0: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में उत्तर प्रदेश से प्रधानमंत्री समेत कुल 10 मंत्री शामिल किये गये हैं, जिसमें जातीय संतुलन साधने की कोशिश की गयी है। मोदी सरकार-तीन में उत्तर प्रदेश से पांच पिछड़े, दो दलित और तीन अगड़ी जाति के नेताओं को मौका मिला है। आपको सारा गणित समझना चाहिए।

मोदी मंत्रिपरिषद।

UP Caste Politics: राजनीति में जाति का महत्व बेहद खास है, जाति की राजनीति चुनाव का सबसे बड़ा आधार होता है। शायद यही वजह है कि बीते कुछ दिनों से जाति जनगणना के मुद्दे को तूल देने की कोशिशें होती रही हैं। विपक्ष लगातार इसकी मांग करता रहा, कई पार्टियों के लिए ये एक चुनावी मुद्दा बन गया था। इसी बीच चुनावी नतीजों में एनडीए ने बहुमत हासिल की तो नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और उन्होंने इतिहास रच दिया। आजाद भारत में वो ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री बन गए जिन्होंने लगातार तीन बार पीएम पद की शपथ ली। उनसे पहले ऐसा करने वाले एकमात्र नेता जवाहरलाल नेहरू थे। NDA की इस सरकार में जातीय समीकरण साधने की पूरी कोशिश हुई।

पिछड़ी, दलित और अगड़ी जातियों को मिला मौका

9 जून, 2024 - रविवार को नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिपरिषद के सदस्यों ने शपथ लिया। इस शपथ ग्रहण समारोह में उत्तर प्रदेश और बिहार से ताल्लुक रखने वाले नेताओं पर सभी की निगाहें टिकी थीं। वजह ये है कि इन दोनों राज्यों में जाति आधारित राजनीति की काफी अहमियत है। मोदी सरकार 3.0 में एनडीए ने जातीय संतुलन साधने की पूरी कोशिश की है। पिछड़ी, दलित और अगड़ी जातियों को मौका दिया गया है।

जाति आधारित राजनीति में नहीं पिछड़ना चाहती BJP

चाणक्य नीति 'साम, दाम, दंड, भेद' सियासत का मूलभूत आधार माना जाता है। साम- सम्मान देकर या समझाकर, दाम- मूल्य देकर या खरीदकर, दंड- सजा देकर और भेद- फूट डालकर। मतलब साफ हर पैंतरा राजनीति का हिस्सा ही होता है। समय बीतता जा रहा है, विचार बदल रहे हैं, रहन सहन का तौर-तरीका भी बदल रहा है, लेकिन जाति आधारित राजनीति अभी भी जारी है। शायद यही वजह है कि एनडीए इस तरह की सियासत में पिछड़ना नहीं चाहता।

End Of Feed