NDA vs INDIA: क्या वायनाड भूस्खलन राष्ट्रीय आपदा घोषित होगा? राहुल गांधी और सरकार के बीच ठनी; जानें सारा माजरा

Wayanad Landslide: केरल के वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन ने 400 से अधिक लोगों की जान लील ली, जबकि 150 से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। इस बीच इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग तेज हो गई है। राहुल गांधी और मोदी सरकार के बीच इस मसले पर घमासान छिड़ा हुआ है।

Rahul Gandhi Modi Sarkar on Wayanad Landslide

वायनाड की घटना पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार से की बड़ी मांग।

Politics on Wayanad Landslide: वायनाड में भूस्खलन से हुई मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं, अब तक 150 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। इस विनाशकारी लैंडस्लाइड को राष्ट्रीय आपदा घोषित किए जाने के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। जहां एक ओर कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बार-बार इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किए जाने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं भाजपा ने यूपीए सरकार के कार्यकाल का हवाला देते हुए ये दलील दी है कि नियम में वायनाड जैसी घटनाओं को 'राष्ट्रीय आपदा' मानने की अवधारणा नहीं रही है। ऐसे में सवाल यही है कि क्या वायनाड भूस्खलन राष्ट्रीय आपदा घोषित होगा? आपको इस लेख में बताते हैं कि इस मसले पर किसने क्या कहा।

राहुल ने कहा, राष्ट्रीय आपदा घोषित करे सरकार

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गत 30 जुलाई को केरल के वायनाड में भूस्खलन के बाद आई आपदा का मुद्दा बुधवार को लोकसभा में उठाया और केंद्र सरकार से इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने, लोगों को दिया जाने वाला मुआवजा बढ़ाने तथा समग्र पुनर्वास पैकेज प्रदान करने की मांग की। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष गांधी ने शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए यह भी कहा कि वायनाड में यह देखना सुखद था कि पीड़ितों की मदद के लिए विभिन्न विचारधारा और समुदायों के लोग आगे आए।

राहुल-प्रियंका ने देखा भयावह विनाश और पीड़ा का मंजर

उन्होंने कहा, 'मैंने अपनी बहन (प्रियंका गांधी वाड्रा) के साथ कुछ दिन पहले वायनाड का दौरा किया और अपनी आंखों से आपदा के बाद भयावह विनाश और पीड़ा के मंजर को देखा। करीब दो किलोमीटर तक पहाड़ ढह गया तथा चट्टानों एवं गाद का अंबार लग गया।' उन्होंने कहा कि इस आपदा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। गांधी ने कहा कि आपदा के बाद कुल मिलाकर 400 से ज्यादा लोगों की मृत्यु की आशंका है।

संसद में राहुल ने की केंद्र और राज्य सरकार की तारीफ

वायनाड के पूर्व लोकसभा सदस्य गांधी ने इस आपदा की स्थिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), सेना, नौसेना, तटरक्षक, जिला प्रशासन, वन विभाग और दमकल विभाग के बचाव और राहत कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने इस त्रासदी से निपटने के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक तथा तेलंगाना राज्यों की ओर से की गई मदद की भी सराहना की। गांधी ने कहा, 'यह देखना भी सुखद रहा कि सभी समुदाय, सब लोग पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए। विभिन्न विचारधाराओं के लोग मदद के लिए आगे आए।'

'भूस्खलन की घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए'

उन्होंने कहा कि भूस्खलन के कारण मुख्य मार्ग कटने से बचाव दलों को आपदा प्रभावित स्थानों तक पहुंचने में अत्यंत कठिनाई आई। कांग्रेस सांसद ने कहा, 'यह बहुत बड़ी आपदा थी। इसलिए मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वायनाड के लिए समग्र पुनर्वास पैकेज में सहयोग करे, जिसमें आपदा से निपटने के लिए अवसंरचना निर्माण और प्रभावित समुदायों की मदद शामिल हो।' उन्होंने कहा, 'मैं केंद्र सरकार से यह अनुरोध भी करता हूं कि पीड़ितों को जो मुआवजा दिया जा रहा है, उसे बढ़ाया जाए और वायनाड भूस्खलन की घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।'

वायनाड से प्रियंका गांधी वाड्रा लड़ेंगी लोकसभा चुनाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे में मारे गए हर व्यक्ति के निकट परिजन को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। राहुल गांधी ने कहा, 'मैंने अनेक आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है लेकिन इस आपदा में यह देखना अत्यंत दुखदायी रहा कि अनेक मामलों में परिवारों में केवल एक सदस्य जीवित बचा है।' उन्होंने कहा कि वह वायनाड के लोगों की बात उठाने के लिए इस सदन को भी धन्यवाद देते हैं।
राहुल गांधी ने 2019 में वायनाड लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था और इस साल फिर यहां से उन्होंने जीत हासिल की। उन्होंने उत्तर प्रदेश में रायबरेली लोकसभा सीट से भी जीत हासिल की, इसलिए उन्होंने वायनाड निर्वाचन क्षेत्र छोड़ दिया है। वायनाड उपचुनाव में अब उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी की ओर से चुनाव लड़ेंगी।

राहुल की मांग पर भाजपा ने दे दी अजब-गजब दलील

हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और विभिन्न तबकों की ओर से वायनाड में हुए विनाशकारी भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर कहा कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में ऐसी कोई अवधारणा मौजूद नहीं है और इस नीति में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल से कोई बदलाव नहीं हुआ है। वरिष्ठ पार्टी नेता वी. मुरलीधरन ने अपने सोशल मीडिया मंच 'फेसबुक' पर 2013 का एक संसदीय दस्तावेज पोस्ट किया, जिसमें तत्कालीन गृह राज्य मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने कहा था कि 'प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है।'

प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रावधान नहीं

पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन ने कहा, 'केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत 'राष्ट्रीय आपदा' की अवधारणा मौजूद नहीं है, यह तथ्य संप्रग सरकार के कार्यकाल से ही है। यह बात तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री रामचंद्रन ने छह अगस्त 2013 को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट रूप से कही थी।' उन्होंने कहा था, 'हालांकि किसी भी आपदा को आधिकारिक तौर पर 'राष्ट्रीय आपदा' नहीं कहा गया है, लेकिन प्रत्येक आपदा को उसकी गंभीरता के अनुसार ही समझा जाता है।' उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे आपदा के इस समय में बेवजह विवाद पैदा करने का प्रयास न करें।

मांग की वैधता की जांच करेगा केंद्र: केंद्रीय मंत्री गोपी

केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने बीते रविवार (4 जुलाई, 2024) को कहा था कि केंद्र सरकार केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन की घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की विभिन्न हलकों से उठ रही मांग की वैधता की जांच करेगी। इस घटना में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है। केंद्रीय पर्यटन, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री गोपी ने कहा था कि केंद्र सरकार भूस्खलन का मूल्यांकन करने के बाद 'इसके कानूनी पहलुओं की जांच' करेगी। वायनाड जिले के मुंडक्कई और चूरलमाला में भूस्खलन से सैकड़ों घर तबाह हो गए हैं और बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा था कि 'प्रभाव का आकलन किया जाना चाहिए।'

अनियोजित विकास का दुष्परिणाम है यह आपदा?

दक्षिण भारतीय राज्य केरल अब भी अपने इतिहास के सर्वाधिक विनाशक भूस्खलन के सदमे और तबाही से उबर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, इस आपदा में मरने वालों की संख्या 400 के पार पहुंच चुकी है और करीब 150 लोग लापता हैं। पश्चिमी घाट के पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील इलाके में स्थित वायनाड जिला अपने धुंधयुक्त पर्वतों और हरे-भरे परिदृश्य के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है, लेकिन केरल का यह जिला आज गंभीर आपदा से जूझ रहा है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के मुताबिक इस आपदा ने एक पूरे इलाके का अस्तित्व मिटा दिया।

भूस्खलन में सबसे अधिक प्रभावित होने वाला क्षेत्र

मेप्पाडी पंचायत में चूरलमाला-मुंडक्कई क्षेत्र, जो सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र- एक (ईएसजेड1) के अंतर्गत आता है, जिसकी पहचान पारिस्थितिकीविद माधव गाडगिल के नेतृत्व वाले पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल ने वर्ष 2011 में की थी। गाडगिल रिपोर्ट ने इस क्षेत्र की अनूठी भौगोलिक स्थिति तथा घने वन क्षेत्र के कारण पर्यावरण विरोधी गतिविधियों के प्रति आगाह किया था।

2019 के भूस्खलन में 17 लोगों की हुई थी मौत

चूरलमाला और मुंडक्कई वायनाड के सुदूर जंगल से सटे इलाकों में शामिल हैं जहां चाय बागानों के मजदूर और किसान रहते हैं, जो छोटे-मोटे व्यवसाय भी करते हैं। चूरलमाला में कुछ घर अब भी बचे हैं, लेकिन भूस्खलन के कारण मुंडक्कई में कोई भी मानव निर्मित संरचना नहीं बची, हालांकि कुछ लोग सौभाग्य वश बच गए। यह पहली बार नहीं है, जब इस क्षेत्र में आपदा आई है। वर्ष 2019 में आपदा स्थल से कुछ किलोमीटर दूर पुथुमाला में एक बड़े भूस्खलन के कारण 17 लोगों की जान चली गई, संपत्ति को नुकसान पहुंचा और बड़े पैमाने पर भूमि खेती योग्य नहीं रह गई।
इस बार भूमि और संपत्ति के विनाश ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। पिछले 30 दिनों में लगभग 1830 मिमी असामान्य वर्षा हुई, जिसके बाद आपदा आई। जलवायु वैज्ञानिक वायनाड में भूस्खलन की घटना और अरब सागर का तापमान बढ़ने के बीच एक संबंध पाते हैं।

विकास की कीमत चुकाई

बेंगलुरु को कोझिकोड से जोड़ने वाली चार लेन की सुरंग सड़क परियोजना के प्रवेश द्वार कल्लडी के पास स्थित होने के कारण इस क्षेत्र में विकास की आकांक्षाएं बहुत अधिक थीं।
भारत में तीसरी सबसे लंबी सुरंग बनने जा रही है और कोंकण रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा इसका निर्माण किया जा रहा है। लेकिन इसे वन्यजीवों के लिए जोखिम और बाढ़ और भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं के लिए पर्यावरण समूहों की आलोचना का सामना करना पड़ा है। चूरलमाला-मुंडक्कई क्षेत्रों में नए सुरम्य स्थानों की ‘खोज’ और सोचीपारा झरनों जैसे पुराने पसंदीदा स्थानों की बढ़ती लोकप्रियता के बाद पर्यटन फल-फूल रहा था।

रिसॉर्ट और होमस्टे की संख्या में हुई भारी वृद्धि

स्थानीय किसान बेबी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में रिसॉर्ट और होमस्टे की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिनमें से कई भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील पहाड़ी इलाकों में स्थित हैं। यह रुझान पिछले दशक में कंक्रीट से बनाए गए कई नए घरों के समान है, जिन्हें मुख्य रूप से खाड़ी देशों से प्राप्त धन से वित्तपोषित किया गया है।
अनियोजित विकास, वनों की कटाई, भूमि उपयोग में परिवर्तन और कम समय के अंदर वैश्विक तापन के कारण होने वाली भारी वर्षा के मिश्रित दुष्प्रभाव को बार-बार होने वाले भूस्खलन का प्रमुख कारण माना जाता है। अनुसंधान से पता चला है कि इस आपदा का बचे हुए लोगों पर मनोवैज्ञानिक रूप से काफी विपरीत असर पड़ा है।
जलवायु परिवर्तन विस्थापन का एक नया कारण बनकर उभरा है और इस तरह विस्थापित होने वालों को ‘क्लाइमेट रिफ्यूजी’ (जलवायु शरणार्थी)के रूप में संबोधित किया जा रहा है। वायनाड की आपदा से केरल में उन लोगों की संख्या काफी बढ़ गई है, जो जिन्हें जलवायु परिवर्तन के कारण अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। सवाल यही है कि क्या सरकार वायनाड भूस्खलन की घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित करती है या नहीं।
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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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