पहले नक्शा, अब नोट पर नक्शा, मैप पर क्यों बार-बार छिड़ रही भारत-नेपाल के बीच 'महाभारत'

India-Nepal Map Row: भारत और नेपाल के बीच जिन इलाकों कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को लेकर विवाद उसका अपना एक सामरिक एवं रणनीतिक महत्व है। इन इलाकों से भारत, नेपाल और चीन की सीमा जुड़ती है। भारत के साथ नेपाल अपनी 1,850 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।

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नेपाल ने अपने 100 रुपए के नए नोट में विवादित नक्शे को शामिल किया है।

India-Nepal Map Row: भारत और नेपाल के बीच नक्शा एक बार फिर विवाद की वजह बना है। पहले छपे हुए नक्शे पर विवाद था लेकिन इस बार नोट पर छपे नक्शे को लेकर भारत की ओर से आपत्ति उठाई गई है। दरअसल, नेपाल ने 100 रुपए मूल्य का अपना नया नोट जारी किया है। इस नोट में उसने अपने नए नक्शे को जगह दी है। इस नए नक्शे में उन विवादित क्षेत्रों को जगह दी गई है जिन्हें भारत अपना मानता आया है और इस पर दोनों देशों के बीच आधिकारिक स्तर पर वार्ता भी चल रही है। इस नए नोट की वजह से दोनों देशों के रिश्तों पर एक बार फिर पटरी से उतरने का खतरा मंडराने लगा है।
साल 2020 के बाद से भारत और नेपाल के संबंध उतार-चढ़ाव वाले दौर से गुजर रहे हैं। चार साल पहले केपी शर्मा ओली के समय नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने अपना नया नक्शा जारी किया। इस नए नक्शे में लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया। इसके लिए नेपाल के संविधान में बदलाव भी किया गया। नेपाल के इस कदम को एकतरफा बताते हुए भारत ने इसका विरोध किया। भारत अब भी इन तीनों इलाकों को अपना क्षेत्र कहता है। इसे लेकर दोनों देशों के बीच वार्ता चल रही है।

अग्निवीर योजना का नेपाल ने कहीं किया समर्थन

यह विवाद थमने के बाद भारत सरकार की अग्निवीर योजना पर नेपाल ने जो रुख अपनाया, उससे भी दोनों पड़ोसी देशों के बीच कड़वाहट बढ़ी। नेपाल ने कहा कि इस योजना में शामिल होने के लिए वह नेपाली मूल के गोरखा नौजवानों को भारत नहीं भेजेगा। खास बात यह है कि 100 रुपए के नोटों पर नक्शा छापने की मंजूरी नेपाल सरकार की कैबिनेट से मिली है। इसके बाद नेपाल राष्ट्र बैंक ने 100 रुपए के नए नोट छापने शुरू किए। चूंकि विवादित नक्शा छापने का फैसला नेपाल सरकार का है तो इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से भी प्रतिक्रिया आई।

नोट विवाद पर भारत ने दी सधी प्रतिक्रिया

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 'नए नोटों में दोनों देशों के बीच विवादित क्षेत्र का नक्शा शामिल करने के नेपाल के एकतरफा फैसले का वास्तविक स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है। हम एक स्थापित मंच से अपनी सीमाओं के बारे में बात कर रहे हैं लेकिन इस बीच उन्होंने जो एकतरफा फैसला लिया, वह हमारे बीच की स्थिति या उस जगह की वास्तविकता को नहीं बदल सकता।' जाहिर है कि भारत की ओर सधी और सीधी प्रतिक्रिया आई है। भारत अपने रुख पर कायम है और नेपाल अपने रुख पर।

भारत से 1,850 KM लंबी सीमा साझा करता है नेपाल

भारत और नेपाल के बीच जिन इलाकों कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को लेकर विवाद है, उसका अपना एक सामरिक एवं रणनीतिक महत्व है। इन इलाकों से भारत, नेपाल और चीन की सीमा जुड़ती है। नेपाल की सीमा की अगर बात करें तो इसकी सीमाएं भारत के पांच राज्यों सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से मिलती हैं। इस तरह से भारत के साथ नेपाल अपनी 1,850 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।

भारत-नेपाल के रिश्ते को पटरी से उतारने में चीन का हाथ!

जानकार भारत और नेपाल के रिश्तों के बीच कड़वाहट बढ़ाने के पीछे चीन का हाथ मानते हैं। नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार आने के बाद इस हिमालयी देश में चीन का दखल और प्रभाव बढ़ा है। चीन के प्रभाव का ही नतीजा है कि नेपाल उसकी महात्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा बना। इस योजना के तहत चीन अपने व्यापार को रफ्तार देने के लिए एशियाई देशों में सड़क एवं बुनियादी संरचना का निर्माण करता है। नेपाल मई 2017 में चीन के इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़ा।

2006 से पहले हिंदू राष्ट्र था नेपाल

कभी दुनिया का एक मात्र हिंदू देश रहा नेपाल अब धर्मनिरपेक्ष मुल्क बन चुका है। 2006 में, राजशाही के उन्मूलन के बाद, देश ने लोकतंत्र के माध्यम से खुद को एक धर्मनिरपेक्ष देश घोषित किया। 2021 की जनगणना के अनुसार, नेपाल में हिंदू आबादी लगभग 23,677,744 होने का अनुमान है, जो देश की आबादी का कम से कम 81.19% है, जो दुनिया के किसी भी देश के हिंदुओं का उच्चतम प्रतिशत है। भारत के साथ इस देश के संबंध प्राचीन काल से हैं। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक रिश्ते हैं। यह संबंध इतना प्रगाढ़ है कि दोनों देशों के बीच 'रोटी-बेटी' का रिश्ता है।

अपनी जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर है नेपाल

दोनों देशों के नागरिक बेरोक-टोक और बिना वीजा के एक-दूसरे के यहां आते हैं। रोजगार के लिए नेपाल की एक बड़ी आबादी भारत के अलग-अलग शहरों एवं इलाकों में रहती है। नेपाल के लिए दवा, बिजली से लेकर जरूरत की सभी सामग्रियों की आपूर्ति भारत करता है। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नेपाल काफी हद तक भारत पर ही निर्भर है। ऐसे में यह जरूरी है कि पड़ोसी देश अपने सभी तरह के मतभेदों पर एक सर्वमान्य रास्ता निकालते हुए अपने रिश्ते की गर्मजोशी बरकरार रखें क्योंकि हर तरह का विवाद इनके द्विपक्षीय हितों को ही नुकसान पहुंचाएगा।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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