शी जिनपिंग से टकराएंगे ट्रंप या फिर करेंगे दोस्ती? 10 प्वाइंट में समझिए अमेरिका की नई सरकार की नई रणनीति
अमेरिका और चीन में हाल के वर्षों में तना-तनी देखने को मिली है। ट्रंप चुनाव के दौरान चीन को लेकर बहुत कुछ कह चुके हैं। अब जब वो सत्ता में हैं तो यह देखने वाली बात होगी कि चीन के साथ अमेरिका का संबंध दोस्ती वाला रहता या फिर टकराव वाला?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
मुख्य बातें
- चीन के साथ फिलहाल दोस्ती के पक्ष में दिखे ट्रंप
- हालांकि भविष्य को लेकर संदेश है साफ
- चीन के साथ टकराव वाला रास्ता भी अपना सकते हैं ट्रंप
चीन के साथ सख्त रुख अपनाने का वादा करने वाले डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका की सत्ता में वापसी हो चुकी है। ट्रंप, चीन को लेकर पहले कार्यकाल में भी आक्रमक रहे थे। ट्रंप चीन पर कई गंभीर आरोप लगाते रहे हैं। अब सवाल ये है कि सत्ता में आने के बाद ट्रंप, चीन को लेकर सख्त होंगे या फिर दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे। चीन के साथ टकराव की मंशा चुनाव के समय और उसके बाद ट्रंप दिखाते रहे हैं, लेकिन जीत के बाद उनके रुख में थोड़ा सा बदलाव जरूर दिख रहा है।
चीन को लेकर ट्रंप के सामने सवाल
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की ओर चीन को लेकर कई सवाल उछाले जा रहे हैं, ट्रंप के भाषणों और वादों को लेकर सवाल किए जा रहे हैं। दुनिया की दो सबसे बड़ी शक्तियों के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण चल रहे हैं। लेकिन वाशिंगटन में नई सरकार के बनने से पहले ही दोनों देशों ने बातचीत में रूचि दिखाई है।
10 प्वाइंट में समझिए चीन से कैसे रिश्ते चाहते हैं ट्रंप
- ट्रंप के शपथग्रहण समारोह के लिए तनाव के बीच भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को न्योता भेजा गया था
- इसके बाद शुक्रवार को ट्रंप के साथ फोन पर बातचीत में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका-चीन संबंधों में एक 'नए शुरूआती बिंदु' का आह्वान किया और अपने 'व्यापक साझा हितों' पर जोर दिया।
- ट्रंप ने कहा कि इस बातचीत में टिकटॉक पर चर्चा भी शामिल थी जो फिलहाल दोनों देशों के बीच ताजा विवाद है। दरअसल अमेरिका टिकटॉक पर बैन लगाने की तैयारी में है लेकिन ट्रंप ने राष्ट्रपति का पदभार संभालते ही लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध को 75 दिन के लिए टाल दिया।
- टिकटॉक पर ट्रंप का कार्यकारी आदेश नए राष्ट्रपति की ओर से दिए गए संकेतों में से एक है कि वह बीजिंग के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं, भले ही वह अमेरिका के प्रमुख भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी देश पर सख्त रुख अपना रहे हों।
- शी ने चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग को ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भेजा। वह किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में बीजिंग की तरफ भेजे गए अब तक के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं।
- ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पहले दिन (20 जनवरी) को चीनी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने से भी परहेज किया जबकि चुनाव के दौरान इस मुद्दे को उन्होंने बहुत जोर-शोर से उठाया था। उन्होंने अमेरिका में चीनी आयात पर 60% से अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दी। कई पर्यवेक्षकों का मानना था कि वह पहले दिन ही इस बारे में ऐलान करंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
- सोमवार को जब टैरिफ के बारे में पूछा गया, तो ट्रंप ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में पिछले कार्यकाल में लगाए गए शुल्क अभी भी लागू हैं। उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई जिसके भीतर वे अधिक टैरिफ लगा सकते हैं, हालांकि उन्होंने कहा कि मैक्सिकन और कनाडाई वस्तुओं के खिलाफ टैरिफ 1 फरवरी से लागू हो सकते हैं।
- हालांकि टिकटॉक पर बात करते हुए ट्रंप ने ऐसा भी कुछ कह दिया जिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं लेकिन उन्होंन फिर कोई तीखी टिप्पणी नहीं की। ट्रंप का सुझाव है की सोशल मीडिया कंपनी को बंद होने से बचने के लिए 50% हिस्सेदारी छोड़नी पड़ सकती है।
- हाल के दिनों में ट्रंप ने बार-बार सुझाव दिया कि वह किसी अमेरिकी खरीदार द्वारा कंपनी का आधा हिस्सा खरीदने और इसे इसके वर्तमान चीनी मालिक बाइटडांस के साथ 50-50 संयुक्त उद्यम के रूप में चलाने के लिए तैयार हो सकते हैं।
- सोमवार को ओवल ऑफिस में हुए ट्रंप ने कहा कि अगर बीजिंग भविष्य में संभावित समझौते को मंजूरी नहीं देता है, तो चीन पर 100% तक टैरिफ लगाया जा सकता है।
दुनिया भर में दिख सकता है असर
अभी तो ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत हुई है। चीन भी सख्त तेवर ही दिखाते रहा है। ऐसे में अगर अमेरिका और चीन में तनाव हुआ तो दुनिया भर में इसका असर देखने को मिलेगा।
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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