समय की जरूरत हैं नए हथियार, सेना की इस भारी-भरकम खरीद के बाद पस्त हो जाएंगे चीन-पाकिस्तान

Indian Army : सवाल यह है कि आखिर टी-72 टैंकों को बदलने की जरूरत क्यों पड़ रही है तो पहली बात यह है कि टी-72 रूसी टैंक हैं, इन्हें 70 के दशक में सेना में शामिल किया गया था, यह बहुत ही शानदार टैंक हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की लड़ाइयों में इस टैंक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ है, दुनिया के करीब 40 देश अभी भी इस टैंक का इस्तेमाल करते हैं।

सेना के लिए खरीदे जाएंगे नए हथियार।

Indian Army: सेना के लिए भारत सरकार ने बहुत बड़े हथियार खरीद को मंजूरी दे दी है। रक्षा अधिग्रहण परिषद यानी डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल से सेना को 1.45 लाख करोड़ रुपए के हथियार खरीदने की मंजूरी मिल गई है। यह बहुत बड़ी रकम है। अब सेना से इस डील को पाने के लिए विदेशी कंपनियों में होड़ मच जाएगी। खास बात यह है कि इस रकम से 99 फीसदी खरीदारी स्वदेशी स्रोतों यानी मेक इन इंडिया के तहत होगी। रक्षा क्षेत्र में निर्माण करने वाली भारतीय निजी कंपनियां, विदेशी निजी कंपनियों के साथ सौदा करेंगी। सेना उन्हें बताएगी कि उसे किस तरह के हथियार चाहिए फिर ये हथियार उनसे खरीदे जाएंगे।

खरीदे जाएंगे ये हथियार

इतनी बड़ी रकम से भारतीय सेना के लिए टैंक, फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल्स, वायु रक्षा गोलीबारी नियंत्रण रडार और भारतीय तटरक्षक के लिए डोर्नियर-228 विमान खरीदने की मंजूरी दी गई है। इसके अलावा फॉरवर्ड रिपेयर टीम (ट्रैक्ड) के लिए भी मंजूरी मिली है। किसी भी देश की सेना इन्फैंट्री यानी पैदल सेना की भूमिका बहुत बड़ी होती है। जमीनी लड़ाई में इन्फैंट्री के बैटल टैंक्स जंग की तस्वीर बदल देते हैं। भारतीय सेना में भी अलग-अलग मारक क्षमता के करीब साढ़े चार हजार टैंक हैं। इनमें प्रमुख रूप से टी-90, टी-72 और अर्जुन टैंक हैं। नई खरीद में टी-72 टैंकों को चरणबद्ध तरीके से बदला जाएगा।

सेना में करीब 2400 टी-72 टैंक

सवाल यह है कि आखिर टी-72 टैंकों को बदलने की जरूरत क्यों पड़ रही है तो पहली बात यह है कि टी-72 रूसी टैंक हैं, इन्हें 70 के दशक में सेना में शामिल किया गया था, यह बहुत ही शानदार टैंक हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की लड़ाइयों में इस टैंक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ है, दुनिया के करीब 40 देश अभी भी इस टैंक का इस्तेमाल करते हैं। भारतीय सेना की अगर बात करें तो अपने पास 2400 टी-70 टैंक हैं। इनमें खामी नहीं है लेकिन हालात, समय और दुश्मन को देखते हुए इन्हें बदलने की जरूरत पड़ रही है। भारतीय सेना को ऐसे हल्के, आधुनिक हथियारों से लैस, तेज रफ्तार वाले टैंक चाहिए जो लेह-लद्दाख की ऊंचाइयों से लेकर राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में सरपट दौड़ सकें और मार कर सकें। दुनिया में हाल के वर्षों में जहां भी युद्ध हुए हैं या हो रहे हैं, वहां पर टैंकों का इस्तेमाल हुआ है। बात चाहे अजरबैजान-अर्मेनिया युद्ध की हो, रूस-यूक्रेन युद्ध की या चाहे इजरायल-हमास युद्ध की, टैंक हर जगह इस्तेमाल में लाए गए हैं।
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