आखिर नीतीश कुमार ने मार ही ली पलटी, अब कितना बदलेगा लोकसभा चुनाव? समझें नफा-नुकसान

Elections News: बिहार का सियासी समीकरण एक बार फिर बदल चुका है। 2014 और 2019 के चुनावों की तुलना में इस बार का गुणा-गणित काफी अलग है। नीतीश कुमार ने फिर से पलटी मार ली है। अब जदयू, भाजपा, कांग्रेस और आरजेडी में सबसे ज्यादा नुकसान और फायदा किसे होगा? समझिए समीकरण।

Nitish Kumar Impact On Lok Sabha Chunav.

अब बिहार में कितना बदलेगा लोकसभा चुनाव 2024 का समीकरण?

Nitish Kumar Politics: भारत की राजनीति में सबसे अधिक बार पलटी मारने का इतिहास लिखा जाएगा, तो शायद नीतीश कुमार का नाम अव्वल दर्जे पर दर्ज होगा। नीतीश की राजनीतिक छवि को लेकर कहा जाता है कि वो बिन पेंदी के लोटा हैं। एक बार फिर उन्होंने लालू यादव और कांग्रेस से पीछा छुड़ा लिया और भाजपा को गले लगा लिया। विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस 'INDIA' की नींव रखने वाले नीतीश ने खुद ही कन्नी काट ली है। ऐसे में सवाल यही है कि आगामी लोकसभा चुनाव में समीकरण कितना बदल जाएगा?

आखिरकार बिहार में नीतीश कुमार ने कर ही दिया खेला

लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर है और आखिरकार बिहार में भी खेला हो ही गया। विपक्षी दलों को एकसाथ लाने की पहल करने वाले नीतीश खुद वहां टिक नहीं पाए, सीट बंटवारे से पहले ही उन्होंने कांग्रेस के सिर इस फैसले का ठीकरा फोड़ते हुए अपनी राह अलग कर ली और वापस भाजपा के साथ निकल पड़े। अब आगामी चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा टेंशन लालू यादल और आरजेडी की बढ़ी है। वो कैसे आपको समझाते हैं।

अब लोकसभा चुनाव में लालू की आरजेडी का क्या होगा?

लालू यादव की पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव 2024 बेहद अहम होगा। इसकी वजह ये है कि पिछले आम चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का खाता तक नहीं खुल पाया था। हालांकि इसके बावजूद 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में वो सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। अब नीतीश कुमार ने फिर पलटी मार ली है, चुनाव का समीकरण बदलना लाजनी है।

नीतीश के पलटीमार ट्रैक रिकॉर्ड से समझिए मायने

कभी एनडीए, कभी महागठबंधन, तो कभी INDIA... बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कब सियासी फायदे की खातिर पलटी मार लेंगे, इसका अंदाजा लगा पाना भी बिल्कुल वैसा ही है, जैसे रेत के मैदान में एक सुई को ढूंढना। लंबे वक्त तक भाजपा के साथ गठबंधन में रहने वाले नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा को पानी पी-पीकर कोसा था, इसके बाद लालू की पार्टी के साथ मिलकर वो बिहार में सरकार बनाते हैं, मुख्यमंत्री बनते हैं और देखते ही देखते एक बार फिर लालू से पीछा छुड़ाकर भाजपा को गले लगा लेते हैं। 2019 का आम चुनाव एनडीए में रहते हुए लड़ते हैं। फिर 2020 का विधानसभा चुनाव भी साथ में लड़ते हैं, जिसमें उनकी पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, बावजूद इसके वो फिर से सीएम बनते हैं। मगर न जाने क्यों, नीतीश कुमार ने पलटी मार ली और फिर से लालू के साथ चले गए। अब एक फिर सीएम नीतीश ने साल 2017 वाला पलटीमार कांड दोहराया और उसी अंदाज मे लालू का साथ छोड़ भाजपा के साथ चले गए।

कैसे रहे 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे, समझें गणित

बिहार की 40 सीटों पर हुए पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा का बोलबाला रहा है। 2014 के चुनावी नतीजों में भाजपा ने अकेले 22 सीटें हासिल की थी, जबकि एनडीए गठबंधन ने 31 सीटें जीती थीं। हालांकि अगर 2019 के चुनावी नतीजों का जिक्र किया जाए तो 2014 की तुलना में भाजपा को 5 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा था, मगर एनडीए गठबंधन ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। नीचे देखें आंकड़े...

लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे

गठबंधनपार्टीसीटें
एनडीएभारतीय जनता पार्टी22
एनडीएलोक जनशक्ति पार्टी6
एनडीएराष्ट्रीय लोक समता पार्टी3
यूपीएराष्ट्रीय जनता दल4
यूपीएभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस2
जनता दल यूनाइटेडजद(यू)2
कोई नहींनिर्दलीय2
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे
गठबंधनपार्टीसीटें
एनडीएभारतीय जनता पार्टी17
एनडीएजदयू जनता दल यूनाइटेड16
एनडीएलोक जनशक्ति पार्टी6
महागठबंधनभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस1
महागठबंधनराष्ट्रीय जनता दल0
महागठबंधनराष्ट्रीय लोक समता पार्टी0
आंकड़ों को देखकर समझा जा सकता है कि नीतीश की पार्टी जेडीयू के लिए 2019 में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना जीवनदान की तरह था। नीतीश कुमार ये समझते हैं कि भाजपा का साथ उनके लिए बेहद फायदेमंद है। शायद इसी लिए उन्हें विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल रहना रास नहीं आया। जो जेडीयू, कांग्रेस और आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली था, वो अब ये मुकाबला आमने-सामने लड़ेगी।

भाजपा भी समझती है नीतीश कुमार की अहमियत

इस बार भाजपा के पास खुला मैदान था, जो नीतीश-लालू-कांग्रेस के साथ आमने सामने की लड़ाई लड़ती। मगर भाजपा को ये बात अच्छे से समझ आ रहा था कि अगर ऐसा होता है तो सबसे बड़ा नुकसान बिहार में झेलना पड़ सकता है। यहां जातीय समीकरण का बोलबाला है और लालू-नीतीश की जोड़ी को मात दे पाना शायद भाजपा के लिए मामूली बात नहीं होगी। इसी लिए बिहार में भाजपा इस कोशिश में लगी थी नीतीश कुमार को अपने साथ लाया जए।

हां, ये बात जरूर है कि नीतीश के इस कदम से भाजपा को बड़ा फायदा होगा, जिसका उदाहरण 2019 का चुनाव है। नीतीश और मोदी एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, जिससे लालू की पार्टी को सबसे बड़ा झटका लगेगा और शून्य की चिंता सताएगी। आरजेडी नहीं चाहेगी कि उसे पिछली बार की तरह हार झेलनी पड़े। नीतीश के पलटी मारने से INDIA गठबंधन का अस्तित्व भी खतरे में आ गया है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2015 के नतीजे दे रहे हैं गवाही

भाजपा को इस बात का एहसास था कि अगर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद बिहार में एकसाथ चुनाव लड़ते हैं, तो साल 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर 2024 के चुनाव में दिख सकता है। आपको याद दिला दें कि 2015 के नतीजों में आरजेडी को 80 सीटें, जदयू को 69 और भाजपा को सिर्फ 59 सीटें मिली थीं।

नीतीश कुमार ने बताई मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की वजह

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल राजेन्द्र वी आर्लेकर को रविवार सुबह अपना इस्तीफा सौंप दिया। अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल ने कुमार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और नयी सरकार के गठन तक उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है। राज्यपाल को इस्तीफा सौंपकर राजभवन से लौटने के बाद नीतीश ने कहा, 'मैंने आज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।' उन्होंने कहा कि वह ‘महागठबंधन’ से अलग होकर नया गठबंधन बनाएंगे। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने यह फैसला क्यों किया, नीतीश ने कहा, 'अपनी पार्टी के लोगों से मिल रही राय के अनुसार मैंने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया।'

नीतीश ने विपक्षी गठबंधन को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा, 'हमने पूर्व के गठबंधन (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को छोड़कर नया गठबंधन बनाया था लेकिन इसमें भी स्थितियां ठीक नहीं लगी। जिस तरह के दावे एवं टिप्पणियां लोग कर रहे थे, वे पार्टी के नेताओं को खराब लगे इसलिए आज हमने (त्यागपत्र) दे दिया और हम अलग हो गए।' उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अन्य घटक दलों की ओर इशारा करते हुए कहा, 'पहले साथ रहे अन्य दल आज ही मिलकर तय करेंगे कि नयी सरकार के गठन को लेकर क्या फैसला करना है। इंतजार करिए।' नीतीश पर ‘‘अवसरवादी’’ होने के लगाए जा रहे आरोपों को लेकर उन्होंने कहा, 'हमने गठबंधन कराया लेकिन कोई कुछ काम ही नहीं कर रहा था... तो हमने बोलना छोड़ दिया था।'

कांग्रेस ने नीतीश कुमार को बता दिया गिरगिट

नीतीश के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने उनकी तुलना ‘गिरगिट’ से की और कहा कि राज्य की जनता उनके विश्वासघात को कभी माफ नहीं करेगी। पिछले कई दिनों से जेडीयू और बिहार की सियासत में काफी उथल-पुथल मची हुई थी। आखिरकार नीतीश कुमार भी INDIA से पीछा छुड़ाकर कमल के साथ वापस चले गए। उनके इस फैसले से भाजपा सबसे अधिक राहत की सांस भर रही होगी।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | एक्सप्लेनर्स (explainer News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited