Political Journey of Nitish Kumar: कभी पलटी मार-मारकर बिहार में सत्ता पर काबिज हुए थे नीतीश, अब 'पलटूराम' राजनीति से हो रहा नुकसान, घट रहीं सीटें
Nitish Kumar's political journey: नीतीश कुमार और लालू यादव ने कभी साथ में राजनीति शुरू की थी। छात्र राजनीति से दोनों साथ थे। लालू यादव जब 1990 में मुख्यमंत्री बने तब नीतीश उनके साथ थे। इसके कुछ समय बाद वो लालू यादव को छोड़, अपनी एक अलग पार्टी बनाई-समता दल।
फिर पलटी मारेंगे नीतीश!
बिहार के सीएम नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक कैरियर में छठी बार पलटी मारने की तैयारी कर रहे हैं। नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि वो पलटी मार-मारकर ही सत्ता पर काबिज हुआ है, हालांकि पहले जहां पलटी मारने से उन्हें सीटों का फायदा होते रहा था, तो वहीं हाल के पलटूराम राजनीति ने जदयू की ताकत को काफी घटा दिया है। आज नीतीश के विधायकों की संख्या सिर्फ 45 है।
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पलटी मारने की शुरुआत
नीतीश कुमार और लालू यादव ने कभी साथ में राजनीति शुरू की थी। छात्र राजनीति से दोनों साथ थे। लालू यादव जब 1990 में मुख्यमंत्री बने तब नीतीश उनके साथ थे। इसके कुछ समय बाद वो लालू यादव को छोड़, अपनी एक अलग पार्टी बनाई-समता दल। इन्होंने 1995 में कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, सफलता नहीं मिली, जिसके बाद नीतीश ने फिर पलटी मार ली। एनडीए के साथ चले गए। इस बीच नीतीश कुमार विधायक से लेकर सांसद तक और मंत्री तक बनते रहे। साल 2000 में कुछ दिनों के लिए सीएम भी बने।
जदयू के गठन के बाद चमका सितारा
2003 में जदयू का जब गठन हुआ और शरद यादव जैसे धाकड़ नेता इनके पक्ष में आ गए तो बीजेपी के साथ मिलकर इन्होंने 2005 में सत्ता में वापसी की। तब जदयू के पास 88 सीटें आई थीं, जो उस समय का सबसे बेहतर प्रदर्शन था। इसके बाद बीजेपी के साथ सरकार में रहे।
पलटी मारने का दूसरा दौर
बीजेपी में जब नरेंद्र मोदी का उदय केंद्र के लेवल पर होने लगा तो नीतीश असहज हुए, 2010 का चुनाव बीजेपी के साथ लड़कर 115 सीटें जीतने वाले नीतीश कुमार ने बीजेपी को छोड़ दिया। 2014 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़े, सिर्फ दो सीटों पर जीते। यहां से नीतीश की शक्ति घटने लगी। 115 सीटें जीतने वाले नीतीश, जब महागठबंधन के साथ गए तो 2015 में सिर्फ 101 सीटों पर चुनाव लड़ पाए। जिसमें से 71 पर जीत मिली। हालांकि महागठंधन यानि कि लालू-कांग्रेस के साथ नीतीश सत्ता में लौटे। तेजस्वी पहली बार डिप्टी सीएम बने।
नीतीश ने मारी चौथी पलटीमहागठबंधन में सबकुछ ठीक था, अचानक से नीतीश की अंतरात्मा जागी और 2017 में महागठबंधन से अलग हो गए। जिस मोदी के कारण अलग हुए थे, उन्हीं का नेतृत्व नीतीश कुमार ने स्वीकार किया और एनडीए के साथ मिलकर सरकार बना ली।
नीतीश की पांचवीं पलटी
नीतीश कुमार अपनी पलटूराम की राजनीति को यहीं नहीं रोके। 2020 में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, सिर्फ 43 सीटों पर जीत मिली, लेकिन भाजपा के समझौते के तहत नीतीश कुमार सीएम बने रहे। लेकिन नीतीश कुमार का मन नहीं भरा, 2022 में फिर से बीजेपी को छोड़ा और लालू के साथ हो लिए। लालू परिवार को क्लीनचिट दिया, तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी बताया और फिर सीएम बन गए।
छठी बार नीतीश की पलटी
अब नीतीश कुमार छठी बार पलटी मारते दिख रहे हैं। नीतीश एक बार फिर से लालू से नाता तोड़ कर बीजेपी से मिलने को बेताब हैं। डील फाइनल हो चुकी है। दावा है कि नीतीश कुमार 28 जनवरी को इस्तीफा देकर, बीजेपी के सहयोग से फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
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