Nitish vs Lalu: नीतीश ने फिर मारा यू-टर्न? बिहार को नहीं मिला विशेष राज्य का दर्जा; अब विधानसभा चुनाव में क्या होगा
Bihar Politics on Special State Status: जहां एक बिहार को ओर विशेष राज्य के दर्जा ना मिलने को लेकर सियासी उठापटक का दौर जारी था, वहीं दूसरी तरफ बजट में बिहार को बड़ी सौगात मिलने के बाद नीतीश कुमार यू-टर्न मारते नजर आ रहे हैं। आपको समझाते हैं, इसका आगामी चुनाव पर कितना असर पड़ सकता है।
लालू यादव vs नीतीश कुमार।
Bihar Politics: बिहार की सियासत में इन दिनों विशेष राज्य के दर्जा वाले मुद्दे पर गरमा-गरम बहस जारी है। जहां एक ओर लालू यादव ये कह रहे हैं कि विशेष राज्य का दर्जा ले कर रहेंगे; तो वहीं नीतीश कुमार एक बार फिर अपने बयानों से यू-टर्न मारते नजर आ रहे हैं। लालू ने नीतीश के इस्तीफे तक की मांग कर दी है। हालांकि बजट आने के बाद बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने पर अफसोस कम हो रहा है, क्योंकि इस बार के बजट में बिहार को बड़ी सौगातें मिली है। कुछ लोग इस बिहार चुनाव से पहले भाजपा का मास्टरस्ट्रोक करार दे रहे हैं, तो वहीं विपक्षी दलों के नेता इसे झुनझुना बता रहे हैं।
वित्तमंत्री ने बिहार के लिए खोला दिया खजाना
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज पेश हुए बजट में बिहार के लिए खजाना खोल दिया है। बिहार को चार नए एक्सप्रेस-वे और सड़क परियोजनाओं के लिए 26 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा यहां 21 हजार करोड़ रुपये से पावर प्लांट, बाढ़ से निपटने के लिए 11500 करोड़ और नए एयरपोर्ट, मेडिकल कॉलेज और स्पोर्ट्स प्रोजेक्ट का प्रावधान किया गया। माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार का ये फैसला काफी असरदार साबित हो सकता है। जहां एक दिन पहले ये साफ हुए कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जाएगा, वहीं दूसरी ओर अब बजट में बिहार पर खास ध्यान देकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश हुई है।
बजट के बाद बिहार को लेकर क्या बोले सीएम नीतीश?
केंद्र की तरफ से बिहार को यह तोहफा स्पेशल स्टेटस की मांग के बीच दिया गया है। दरअसल, नीतीश कुमार की पार्टी की ओर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की गई थी। अब नीतीश कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। नीतीश कुमार ने बिहार को दिए गए स्पेशल पैकेज पर खुशी जाहिर की है। नीतीश कुमार ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हमने लगातार बिहार को विशेष दर्जा दिए जाने की बात की है, मैंने एनडीए से भी इसके लिए कहा है। मैंने उनसे कहा कि हमें या तो विशेष दर्जा दें या विशेष पैकेज दें। अब उन्होंने कई चीजों के लिए सहायता की घोषणा की है। हम विशेष दर्जे की बात कर रहे थे और बहुत से लोगों ने कहा कि विशेष दर्जे का प्रावधान बहुत पहले ही समाप्त कर दिया गया है। इसलिए, इसके बजाय बिहार की मदद के लिए सहायता दी जानी चाहिए। उन्होंने अब इसकी शुरुआत कर दी है।
पहले केंद्र सरकार ने ठुकराई थी स्पेशल दर्जे की मांग
बजट से पहले ही ऑल पार्टी मीटिंग में जदयू की ओर से बिहार को स्पेशल स्टेटस देने की मांग की गई थी। इसके बाद वित्त राज्य मंत्री ने अपने जवाब में कहा था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। अब केंद्र सरकार ने बजट में बिहार के लिए स्पेशल पैकेज की घोषणा कर दी है। बिहार विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने राज्य को विशेष दर्जा न देने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ मंगलवार को आसन के पास पहुंचकर जमकर हंगामा किया।
लालू यादव ने कहा, लेकर रहेंगे विशेष राज्य का दर्जा
लालू यादव ने साफ शब्दों में ये कह दिया है कि नीतीश कुमार को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने ये भी कह दिया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना पड़ेगा, क्योंकि अब विपक्ष पहले जैसा नहीं है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि विपक्ष अब मजबूत स्थिति में है और हम विशेष राज्य का दर्जा लेकर रहेंगे।
क्या सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर मारा यू-टर्न?
राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश कुमार के एक पुराने वीडियो को शेयर किया है, जिसमें वो कहते नजर आ रहे हैं कि हम विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए आंदोलन करेंगे। इस वीडियो को शेयर करते हुए राजद ने लिखा कि 'राजनीतिक पलटा-पलटी में माहिर नीतीश कुमार को बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे से कोई मतलब नहीं है! नीतीश कुमार और जदयू का उल्लू सीधा सत्ता से होता है और सत्ता के लिए उन्होंने बिहार के हित का सदैव ही सौदा किया है। अब अगर मोदी सरकार इन्हें 'विशेष पैकेज' के नाम पर चवन्नी भी पकड़ा।' हालांकि ये कहना गलत नहीं है कि नीतीश की छवि बिन पेंदी के लोटा वाली है। उन्होंने कई बार पलटी मारी है, कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस और आरजेडी के साथ मिलकर सियासत में अपनी शाख मजबूत कर रखी है।
सदन में “बिहार विरोधी भाजपा पर शर्म करो” नारे गूंजे
राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वाम दलों के नेता “बिहार विरोधी भाजपा पर शर्म करो” जैसे नारे लिखी तख्तियां लेकर सदन में पहुंचे। यह दर्शाने के लिए कि केंद्र सरकार राज्य को उसका हक देने से इनकार करने के बाद विशेष पैकेज और अन्य प्रकार की मदद मुहैया कराने की बात कहकर ‘झुनझुना’ थमा रही है, कुछ विपक्षी सदस्य हाथ में झुनझुना थामे अपनी सीट पर खड़े नजर आए। विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि हंगामे से कार्यवाही देखने आए स्कूली बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से कई बार अपनी सीट पर बैठने का आग्रह किया।
संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी विपक्षी सदस्यों से “अपनी-अपनी सीट से यह मुद्दा उठाने और सरकार की प्रतिक्रिया सुनने” का आग्रह किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता चौधरी ने आरोप लगाया कि “सबसे पहले कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने विशेष दर्जे की मांग ठुकराई थी।” उन्होंने कहा कि राजद भी इस सरकार का हिस्सा थी। विपक्षी सदस्यों के हंगामा और नारेबाजी जारी रखने पर विधानसभा अध्यक्ष को पहले सदन की कार्यवाही 11.15 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों ने आसन के पास पहुंचकर रिपोर्टिंग स्टाफ के लिए रखी मेज को पलटने की कोशिश की। उन्होंने यह भी मांग की कि सदन में विपक्ष के कुछ सदस्यों की ओर से लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर तुरंत चर्चा की जाए।
आगामी विधानसभा चुनाव पर कितना पड़ सकता है असर?
जहां नीतीश कुमार और केंद्र की मोदी सरकार इस बात का डंका बजाएगी कि इस बजट में बिहार को विशेष तोहफा मिला है। भले ही विशेष राज्य के दर्जे की मांग नहीं पूरी हुई, लेकिन सूबे को कई सौगातें मिली। वहीं विपक्ष इस बात पर अड़ा हुआ है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना होगा। दोनों ही आगामी विधानसभा चुनाव में अपने-अपने मुद्दों पर जोर देते नजर आएंगे। देखना होगा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने के फैसले से भाजपा को चुनावी नतीजों में झटका लगेगा और लालू की पार्टी को इसका लाभ मिलेगा या फिर बजट में बिहार को बड़ी सौगात देने के चलते एनडीए की दोबारा वापसी होगी।
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