राहुल गांधी के पास अब कौन सा है कानूनी रास्ता? मानहिन केस में गुजरात HC से नहीं मिली राहत
Rahul Gandhi News : गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ पार्टी सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेगी। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत कांग्रेस नेता के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला हुआ है।
मानहानि मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा हुई है।
Rahul Gandhi News : 'मोदी सरनेम' वाले मामले में दो साल की सजा पाए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत नहीं मिली है। गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए उनकी पुनर्विचार अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि 'निचली अदालत का फैसला उचित एवं कानूनी रूप से सही है।' हाई कोर्ट का यह फैसला राहुल के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। राहत नहीं मिलने पर वह फिलहाल चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। हाई कोर्ट यदि मजिस्ट्रेट की सजा पर रोक लगा देता तो उनकी संसद की सदस्यता बहाल हो जाती।
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राहुल के पास बचा है कानूनी रास्ता
कानूनी विशेषज्ञों की राय है कि राहुल के पास सजा से राहत पाने के लिए कानूनी रास्ता अभी बचा हुआ है। वह अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इस मामले में कांग्रेस ने शीर्ष अदालत में जाने का संकेत दिया है। समझा जाता है कि राहुल जल्द ही सजा पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपनी अर्जी दायर करेंगे।
हाई कोर्ट के फैसले को SC में चुनौती देगी कांग्रेस
गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ पार्टी सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेगी। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत कांग्रेस नेता के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला हुआ है। अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट के पास देश के सभी न्यायाधिकरणों में चल रहे मामलों को सुनने का अधिकार है।
कोर्ट ने क्या कहा
राहुल की अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। अदालत ने कहा, ‘वह (गांधी) बिल्कुल बेबुनियाद आधारों पर दोषसिद्धि (के फैसले) पर रोक लगवाने की कोशिश कर रहे थे। यह कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है, बल्कि यह एक अपवाद है, जिसका सहारा केवल दुर्लभ मामलों में ही लिया जाता है। अयोग्यता केवल सांसदों, विधायकों तक सीमित नहीं है। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता के खिलाफ 10 आपराधिक मामले लंबित हैं।’इस फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।
मानहानि मामले में कब-कब क्या हुआ13 अप्रैल, 2019: राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में कहा, ‘भले ही नीरव मोदी हों, ललित मोदी हों या नरेन्द्र मोदी हों, सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी क्यों होता है?’
15 अप्रैल, 2019: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं सूरत से विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी की इस टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया।
सात जुलाई, 2019: राहुल गांधी सूरत मेट्रोपोलिटन अदालत में पहली बार पेश हुए।
23 मार्च, 2023: सूरत मेट्रोपोलिटन अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ वाली टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी को दोषी करार दिया और उन्हें दो साल कारावास की सजा सुनाई।
24 मार्च, 2023: राहुल गांधी संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराए गए।
दो अप्रैल, 2023: राहुल गांधी ने दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका के साथ सूरत की सत्र अदालत में मेट्रोपोलिटन अदालत के आदेश को चुनौती दी। यह मामला अभी लंबित है।
20 अप्रैल, 2023: सूरत की सत्र अदालत ने उनकी जमानत याचिका मंजूर की, लेकिन दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
25 अप्रैल, 2023: राहुल गांधी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की।
सात जुलाई, 2023: गुजरात उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका खारिज की।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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