बालासोर ट्रेन हादसे में रेलवे को क्यों आ रही साजिश की बू, हादसा या कुछ और CBI जांच से उठेगा पर्दा

Odisha train accident : इस घटना की जांच देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी से कराने का एक मकसद यह भी है कि ट्रेनों एवं रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार जीआरपी इस तरह के 'संदिग्ध आपराधिक घटनाओं' की जांच के लिए उतनी सक्षम नहीं है। इसलिए सरकार चाहती है कि इस घटना की जांच सीबीआई करे।

Odisha train accident

CBI जांच से उठेगा पर्दा

Odisha train accident : ओडिशा के बालासोर में गत शुक्रवार को हुई रेल दुर्घटना की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) करेगी। दरअसल, रेलवे को संदेह है कि एक साजिश के तहत इस दुर्घटना को कराया गया होगा। रेलवे दुर्घटना की असली वजहों की पहचान एवं घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कठघरे में लाना चाहती है। इस हादसे में कम से कम 275 लोगों की मौत हुई है और करीब 1100 लोग घायल हुए हैं।

इस घटना की जांच देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी से कराने का एक मकसद यह भी है कि ट्रेनों एवं रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार जीआरपी इस तरह के 'संदिग्ध आपराधिक घटनाओं' की जांच के लिए उतनी सक्षम नहीं है। इसलिए सरकार चाहती है कि इस घटना की जांच सीबीआई करे। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा कि बालासोर में हुई इस भीषण दुर्घटना की जांच रेलवे बोर्ड सीबीआई से चाहता है।

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रेल मंत्री ने कहा-संदिग्धों की पहचान हुई

रेल मंत्री ने दावा किया कि दुर्घटना की मूल वजह और इसके लिए जिम्मेदार 'संदिग्धों' की पहचान कर ली गई है। उन्होंने कहा, 'प्वाइंट मशीन की सेटिंग में बदलाव किया गया। यह कैसे एवं क्यों हुआ, जांच रिपोर्ट से इसका पता चल जाएगा।' उन्होंने कहा, 'इस भीषण दुर्घटना की वजह का पता चल गया है...मैं ब्योरे में नहीं जाना चाहता। जांच रिपोर्ट को आने दीजिए। मैं बस इतना कहूंगा कि दुर्घटना की असली वजह और इस आपराधिक कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान हो गई है।'

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से छेड़छाड़ एवं उसे 'खराब' करने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता। इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रैक पर ट्रेनों की मौजूदगी के बारे में बताता है।

क्यों उठ रहे सवाल?

सवाल यही है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस अपनी मेन लाइन को छोड़कर लूप लाइन पर क्यों चली गई? यह एक्सप्रेस हावड़ा के शालीमार स्टेशन से चेन्नई जा रही थी। रेलवे स्टेशन पर भी इसे मेन लाइन से गुजरना था। रेलवे स्टेशन के मेन लाइन से कोरोमंडल एक्सप्रेस के गुजरने के लिए एक मालगाड़ी को थोड़े समय पहले लूप लाइन पर लगाया गया। कोरोमंडल एक्सप्रेस को मेन लाइन से जाना था लेकिन वह इस ट्रैक पर नहीं गई। स्टेशनों पर ट्रेनों के आसानी से आवागमन के लिए लूट लाइन बनाई जाती है। यह लूप लाइन सामान्य रूप से 750 मीटर लंबी होती है जिस पर कई इंजनों के साथ मालगाड़ी खड़ी हो जाया करती है।

लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी को मारी टक्कर

इंटरलॉकिंग सिस्टम में किसी दिक्कत के चलते कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन पर सीधे जाने की जगह लूप लाइन पर चली गई और इस ट्रैक पर पहले से खड़ी मालगाड़ी में पीछे से टक्कर मार दी। चूंकि हादसे के समय कोरोमंडल एक्सप्रेस 126 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही थी। ऐसे में टक्कर काफी भीषण हुआ। एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतरकर दूसरी ट्रैक पर चले गए। इसी समय वहां अप लाइन से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन वहां से गुजरी और इसका ट्रेन के दो कोचों से भिड़ंत हो गया।

'फेल-सेफ' सिस्टम से छेड़खानी की आशंका

रेलवे का इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग सिस्टम को 'फेल-सेफ' सिस्टम कहा जाता है। यह सिस्टम मुश्किल से कभी असफल होता है। यदि इस सिस्टम में किसी तरह की गड़बड़ी यदि आ भी जाती है तो सभी सिग्नल रेड हो जाते हैं और ट्रेनें जहां की तहां रुक जाती हैं। इसीलिए इसे 'फेल सेफ' सिस्टम कहा जाता है। यही वजह है कि एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ किसी तरह की छेड़खानी की गई होगी।

लूप लाइन पर क्यों गई ट्रेन?

शुरुआती जांच में यह पता चला कि कोरोमंडल एक्सप्रेस की स्पीड तय सीमा से ज्यादा नहीं थी और उसे मेन लाइन पर आने का सिग्नल मिला हुआ था लेकिन वह लूप लाइन पर क्यों चली गई, इसका पता अभी नहीं चल सका है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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