क्या भाजपा से फिर नाता तोड़ लेंगे ओम प्रकाश राजभर? ऐसा हुआ तो कितना बदलेगा यूपी का समीकरण

UP Politics: ओपी राजभर फिलहाल योगी सरकार में मंत्री हैं, लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए का जो हश्र हुआ उसके बाद से उनके सुर बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। सवाल ये उठने लगे हैं कि क्या एक बार फिर राजभर पाला बदलने पर विचार करने लगे हैं? आपको इसकी वजह समझाते हैं।

OP Rajbhar vs BJP

क्या फिर भाजपा के साथ धोखा करेंगे ओम प्रकाश राजभर?

OP Rajbhar vs BJP: ओम प्रकाश राजभर को राजनीति में बिन पेंदी के लोटे से तुलना की जाए तो शायद गलत नहीं होगा। वो खुद इस बात को मानते हैं कि सियासत में कोई किसी का सगा नहीं है। सच तो ये भी है कि उत्तर प्रदेश की कोई भी ऐसी बड़ी पार्टी नहीं है, जिसे उन्होंने ठगा नहीं हो। कभी मायावती की बहुजन समाज पार्टी, कभी भारतीय जनता पार्टी, तो कभी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी... राजभर का सभी से कभी न कभी नाता रहा है और वो समय की चाल को देखते हुए सभी को गच्चा (धोखा) देते रहे हैं।

क्या फिर पलटी मारने वाले हैं योगी के मंत्री राजभर?

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में ओपी राजभर फिलहाल मंत्री हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए का जो हश्र हुआ उसके बाद से उनके सुर बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। सवाल ये उठने लगे हैं कि क्या अब वक्त की नजाकत को देखते हुए एक बार फिर राजभर पाला बदलने पर विचार करने लगे हैं। क्या वो फिर से भाजपा से हाथ छुड़ाकर साइकिल की सवारी और पंजा को पकड़कर अपनी पार्टी की गाड़ी को धक्का लगाना चाहते हैं? अगर ऐसा हुआ तो इसमें कोई नई बात नहीं होगी, इससे पहले भी वो मंत्री रहते हुए भाजपा का साथ छोड़ चुके हैं।

मंत्री पद से इस्तीफा देकर राजभर ने बदला था पाला

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की तो योगी सरकार बनने पर राजभर को मंत्री बनाया गया, लेकिन कुछ वक्त बाद ही ओमप्रकाश राजभर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने लगे। सीएम योगी के फैसले की आलोचना करने लगे। गाज़ीपुर के तत्कालीन डीएम संजय खत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मंत्री रहते हुए उन्होंने डीएम के तबादले या बर्खास्तगी की मांग के लिए धरना भी दिया था। उन्होंने योगी सरकार का साथ छोड़ते ही अपना दर्द बया किया कि मंत्री के कहने पर एक डीएम का ट्रांसफर तक नहीं होता है।

पलटी मारने के लिए बड़े मशहूर हैं ओपी राजभर

उस वक्त योगी सरकार में राजभर को ओबीसी कल्याण मंत्रालय का जिम्मा मिला था। लेकिन सवाल ये उठने लगा कि वो यूपी के मंत्री है या फिर उन्होंने अपने परिवार कल्याण के लिए मंत्रालय का जिम्मा उठाया था? ओमप्रकाश राजभर ने सपा के साथ रहते हुए ये तक कहा था कि 'जिसका परिवार नहीं है वो क्या परिवारवाद करेगा। योगी और मोदी का तो परिवार ही नहीं है।' राजभर की बातों से ये समझा जा सकता है कि आखिर उन्होंने उस वक्त भाजपा का साथ क्यों छोड़ा था। वक्त के साथ बदलने वाले नेताओं के बारे में जब कभी चर्चा होगी तो राजभर को कोई भुला नहीं सकेगा। वजह हर कोई जानता है। उनको यूं ही पलटूराम नहीं कहा जाता है।

किस पर फोड़ा लोकसभा चुनाव में हार की ठीकरा?

उन्होंने उत्तर प्रदेश में एनडीए की हार का ठीकरा भाजपा और अन्य सहयोगी दलों पर फोड़ दिया। राजभर ने ये तक दावा कर दिया कि जनता ने योगी और मोदी को नकार दिया है। हमने ईमानदारी से गठबंधन धर्म निभाया, दूसरे दलों ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया। उनका एक भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वो कहते नजर आए कि 'हमारी पार्टी ईमानदारी से जहां जो लड़ा उसको वोट दिया, गठबंधन के तमाम पार्टियों के नेता गठबंधन धर्म निभाना नहीं जानते। मोदी जी को नकार दिया, योगी जी को नकार दिया। हम ऐसे लोगों का भी हम दवाई करने जा रहे हैं, जो लोग भाषण तो बड़ा लच्छेदार देते थे और गाड़ी में बैठकर अपने लोगों से कहते थे नहीं-नहीं इधर नहीं उधर वोट देना है। अभी तो सरकार (यूपी में) तीन साल रहेगी न, तब तक हम लोग वो पावर बना लेंगे कि भारतीय जनता पार्टी से और सीट लेंगे।'

ऐसा हुआ तो भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं राजभर

उन्होंने ये संकेत दे दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव 2027 में उनकी पार्टी भाजपा से और अधिक सीटों की डिमांड करेगी। निश्चित तौर पर यदि ऐसा नहीं हुआ तो दोनों के बीच दरार और भी बढ़ सकता है। यदि राजभर ने इस बार भाजपा से कन्नी काटी तो ये भी तय है कि वो अखिलेश की साइकिल पर दोबारा सवार होना चाहेंगे। विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश की पार्टी सपा की उम्मीदें बढ़ी हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद कहीं न कहीं सभी की निगाहें समाजवादी पार्टी पर हैं, ऐसे में यदि राजभर ने पाला बदला तो यूपी में कुछ भी हो सकता है। हालांकि अब उनकी गिनती अब मौका देख कर चौका मारने वाले नेताओं में होने लगी है।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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