Om Prakash Rajbhar Story: एक DM के चलते राजभर ने बीजेपी से मोल ली थी अदावत, योगी ने नहीं किया तबादला... बड़ा रोचक है किस्सा
BJP vs Om Prakash Rajbhar Life incident: ओम प्रकाश राजभर और भाजपा के रिश्ते कभी खट्टे-कभी मीठे रहे हैं। मगर जब राजभर ने भाजपा का विरोध किया तो सारी सीमाएं लांघ दी। क्या आप जानते हैं कि राजभर और बीजेपी के बीच खटास शुरू होने की वजह एक डीएम थे। वो किस्सा वाकई बेहद दिलचस्प है।
भाजपा संग राजभर के विवाद का दिलचस्प किस्सा।
Om Prakash Rajbhar Life incident: ई सियासत ह भईया इहां कुछहु हो सकत बा... ओम प्रकाश राजभर की जुबान में समझा जाए तो ये बिल्कुल सच है कि राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है। कभी योगी सरकार में मंत्री थे, भाजपा के अजीज़ साथ कहलाते थे, फिर एक विवाद के चलते न सिर्फ योगी सरकार से नाता तोड़ा, बल्कि मोदी और योगी के खिलाफ किस कदर बदजुबानी की, वो किसी से नहीं छिपा है। हालांकि इसे ही सियासत का चरित्र कहते हैं कि जिस भाजपा को राजभर पानी पी-पीकर कोस रहे थे, आज फिर से उसी की गोद में जा बैठे हैं। जिस मंत्री पद को कभी ठोकर मार दिया था, उसी के लिए चेहरे की चमक बढ़ गई। खैर, क्या आप उस किस्से से रूबरू हैं, जब ओम प्रकाश राजभर ने एक डीएम के ट्रांसफर की खातिर भाजपा से अदावत मोल ली थी। विवाद यहीं से शुरू हुआ, उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा और भाजपा से गठबंधन तक तोड़ना पड़ गया था। आपको उस दिलचस्प किस्से के बारे में बताते हैं।
राजभर के कहने पर नहीं हुआ था डीएम का ट्रांसफर
बीते यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में ओपी राजभर और अखिलेश यादव एक ही साइकिल पर सवार होकर भाजपा को उखाड़ फेंकने के दावे कर रहे थे। मगर कुछ वक्त पहले भाजपा के साथ रहे राजभर आखिर कैसे और क्यों अखिलेश के पास पहुंच गए थे? पहले ये समझिए... दरअसल राजभर ने खुद एक इंटरव्यू में ये बात कबूल की थी कि उनके कहने पर योगी सरकार में किसी अधिकारी का ट्रांसफर नहीं किया जाता था, उन्होंने अपने समधि के लिए पैरवी की थी, मगर योगी ने नहीं सुना। एक डीएम और उस वक्त योगी सरकार में मंत्री राजभर के बीच एक विवाद छिड़ गया था।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर जिले में एक गांव है, जिसका नाम बड़ेसर है। यहीं प्रापर्टी को लेकर एक विवाद हुआ था, इस दौरान कानूनगो, लेखपाल और उस वक्त के मंत्री ओम प्रकाश राजभर के समर्थकों के बीच झड़प हो गई थी। उस वक्त गाज़ीपुर के डीएम संजय खत्री थे, उन्होंने इस मामले में एक्शन लेते हुए राजभर के समर्थकों समेत सुभासपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष रामजी राजभर पर मुकदमा दर्ज करवा दिया। बस इसी के बाद मामला गरमा गया।
योगी के मंत्री ने अपनी ही सरकार के खिलाफ दिया था धरना
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के कुछ ही कुछ महीने बाद ही ओमप्रकाश राजभर ने गाज़ीपुर के तत्कालीन डीएम संजय खत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मंत्री रहते हुए उन्होंने डीएम के तबादले या बर्खास्तगी की मांग के लिए धरना भी दिया था। उन्होंने योगी सरकार का साथ छोड़ते ही अपना दर्द बया किया कि मंत्री के कहने पर एक डीएम का ट्रांसफर तक नहीं होता है। ये सवाल उठना लाजमी है कि क्या राजभर ने ओबीसी कल्याण के लिए मंत्री पद की शपथ ली थी या फिर अपने परिवार कल्याण के लिए मंत्रालय का जिम्मा उठाया था?
ओमप्रकाश राजभर ने सपा के साथ रहते हुए ये तक कहा था कि 'जिसका परिवार नहीं है वो क्या परिवारवाद करेगा। योगी और मोदी का तो परिवार ही नहीं है।' राजभर की बातों से ये समझा जा सकता है कि आखिर उन्होंने उस वक्त भाजपा का साथ क्यों छोड़ा था, वो अपने मनचाहे अधिकारियों को तैनात करवाना चाहते थे, अपने समधि का ट्रांसफर कराना चाहते थे और तो और अपने सुविधा के अनुसार जिले का डीएम भी तैनात कराना चाहते थे।
जातीय जनगणना के मुद्दे पर अब क्यों चुप हैं ओपी राजभर?
वैसे तो ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा का साथ छोड़ने की वजह बार-बार ये बताई कि योगी सरकार ने उनके साथ और ओबीसी समाज के साथ धोखा किया। राजभर ने ये भी कहा था कि जातीय जनगणना कराने के वादे से भाजपा मुकर गई। इसी के चलते उन्होंने सरकार का साथ छोड़ा, लेकिन अगर राजभर की उस बात में इतनी ही सच्चाई थी तो अब वो जातिगत जनगणना को लेकर चुप क्यों हो गए हैं, अब वो भाजपा से इस मुद्दे के लिए बगावत क्यों नहीं कर रहे हैं? सब राजनीति है भईया...
यूपी का सियासी समीकरण एक बार फिर बदल चुका है। ओमप्रकाश राजभर फिर से भाजपा के साथ हैं और अखिलेश को जमकर खटी-खोटी सुनाते रहते हैं। विधानसभा चुनाव में अखिलेश की हार के बाद उनकी सपा से दूरी बढ़ गई और बीजेपी से नजदीकियां फिर से बढ़ने लगीं। आखिरकार वो भाजपा के साथ आ ही गए और अब यूपी की सभी 80 सीटों पर जीत के दावे कर रहे हैं।
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