One Nation, One Election पर कैबिनेट की मुहर, जानिए सरकार जल्दी गिरने पर क्या होगा?

वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसे लागू होने में अभी और समय लगेगा। जानिए इसके लागू हो जाने पर तब क्या होगा, जब सरकार बीच में ही गिर जाए और मध्यावधि चुनाव की नौबत आ जाए?

वन नेशन, वन इलेक्शन पर कैबिनेट की मुहर

One Nation, One Election: पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का सपना अब पूरा होता दिख रहा है। केंद्रीय कैबिनेट ने एक राष्ट्र, एक चुनाव (One Nation, One Election) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। आज यानी बुधवार 18 सितंबर को नई दिल्ली में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे गई है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक ब्रीफिंग में मीडिया को इसकी जानकारी दी। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब वन नेशन, वन इलेक्शन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। जानते हैं वन नेशन, वन इलेक्शन के लागू होने के बाद किसी पार्टी को भी लोकसभा या राज्यसभा में बहुमत नहीं मिला तो क्या होगा?
वन नेशन, वन इलेक्शन को भले ही केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई हो, लेकिन हकीकत के धरातल पर उतरने से पहले इसे अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इसमें अपनी सिफारिशें दी हैं। चलिए जानते हैं।

त्रिशंकु सदन की स्थिति में क्या?

अगर वन नेशन, वन इलेक्शन लागू हो जाता है और उसके बाद हुए चुनाव होते हैं। ऐसे में अगर लोकसभा या किसी राज्यसभा में त्रिशंकु सदन की स्थिति बनती है तो ऐसे में क्या होगा? यह प्रश्न बहुत ही मौजूं है और ऐसा हमें कई राज्यों और केंद्र में भी बार-बार देखने को मिला है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सिफारिश की है कि ऐसे में उस विधानसभा या लोकसभा के लिए दोबारा चुनाव कराया जा सकता है। लेकिन यह चुनाव लोकसभा का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने तक के लिए होगा।

अविश्वास प्रस्ताव या सरकार गिरने पर?

अगर किसी राज्य या केंद्र की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है या सरकार गिर जाती है। कोई अन्य दल या गठबंधन सरकार बनाने में असमर्थ रहते हैं तो इसके लिए भी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अनुशंसा की ही कि वहां फिर से चुनाव कराए जा सकते हैं। ऐसे में नई राज्य विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल पूर्ववर्ती लोकसभा की बची हुई अवधि के लिए ही होगा। उदाहरण के लिए कोई सरकार साढ़े तीन साल में गिर जाती है और दोबारा चुनाव की आवश्यकता पड़ती है तो फिर से चुनाव जरूर होगा, लेकिन नई सरकार का कार्यकाल सिर्फ डेढ़ साल का ही होगा।

पंचायत चुनाव का क्या?

जैसा कि इसके नाम वन नेशन, वन इलेक्शन से विदित है, क्या पूरे देश में एक साथ चुनाव होंगे? क्या इसमें लोकसभा, विधानसभा के अलावा नगर पालिका, पंचायत आदि भी शामिल होंगे? पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इसके लिए प्रस्ताव रखा है कि शुरुआत में यानी पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराया जाए। इसके बाद दूसरे चरण में नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनावों को लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ इस तरह से जोड़ा जाए कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होने के 100 दिन के भीतर नगरपालिकाओं और पंचायत के चुनाव संपन्न हो जाएं।

मार्च में सौंपी गई थी रिपोर्ट

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इसी साल मार्च में लोकसभा चुनाव की घोषणा से कुछ ही दिन पहले वन नेशन, वन इलेक्शन पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।
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