पाकिस्तान के पूर्व सैनिक ने अपनाई आतंकवाद की राह? डोडा हमला पर 'खुलासा', जानें इनसाइड स्टोरी
Terror Attack: जम्मू कश्मीर के डोडा में हुए आतंकी हमले के तार पाकिस्तानी सेना से जुड़ते नजर आ रहे हैं। आतंकवादियों को हमले के लिए टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी गई थी। ये आतंकी पाकिस्तान के पूर्व सैनिक हो सकते हैं, जिन्हें जंगल ट्रेनिंग भी मिली है। आपको इनसाइड स्टोरी समझाते हैं।
आतंकी हो सकते हैं पाकिस्तान के पूर्व सैनिक।
Pakistan vs India: पाकिस्तान को यूं ही नहीं आतंकवाद का पर्याय कहते हैं, ये देश आतंकियों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान कहा जाता है। इस देश के हुक्मरान को आतंकी ठिकानों के बारे में पूरी जानकारी होती है, वो आतंकियों को पनाह देते हैं। भारत ने उसकी इस करतूत का विरोध दुनियाभर में किया है, लेकिन वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है। यही वजह है कि पाक की नापाक करतूतों का हिसाब करने के लिए भारत ने उसे समय-समय पर सबक सिखाया, लेकिन कम्बख्त वो इतना ढीठ हो चुका है कि उसे फर्क ही नहीं पड़ता।
पाकिस्तान की फिर नापाक करतूत
सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान की हरकतों का हिसाब भारत ने उसी के अंदाज में किया। फर्क सिर्फ इतना है कि उसने आतंकवाद को अपना हथियार बनाया और भारतीय सैनिकों ने उसके आतंकी ठिकानों को तबाह करके उसकी कमर तोड़ दी। अब एक बार फिर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ नापाक साजिश रचने की गुस्ताखी की है। इस बार पाकिस्तान के पूर्व सैनिकों ने आतंकवाद का चोला ओढ़कर भारत शूरवीरों पर पीछे से हमला किया है, लेकिन उसकी करतूत पर बड़ा खुलासा हुआ है।
आतंकियों का पाक आर्मी से है नाता
जम्मू कश्मीर के डोडा में सेना के जवानों पर घात लगाकर हमला किया गया था। सेना के ये जवान आधुनिकतम बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट से लैस थे, लेकिन उनके चेहरे खुले थे। पता लगा है कि इस हमले में आतंकवादियों ने जवानों के बिना ढके चेहरों को ही निशाना बनाया। अब ये जानकारी सामने आई है कि जिन आतंकियों ने डोडा में जवानों पर हमला किया है, उनका पाकिस्तानी सेना से कनेक्शन है।
पाकिस्तान की करतूत पर हुए तीन खुलासे
विशेषज्ञों का मानना है कि हमलावर विदेशी मूल के आतंकवादी हो सकते हैं। इन आतंकवादियों को जंगल ट्रेनिंग व सैनिकों के चेहरों को निशाना बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। सोमवार रात हुए इस हमले में एक कैप्टन समेत सेना के चार और जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वीर जवान की मौत हुई है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक अब तक तीन तथ्य उजागर हुए हैं जिनमें से एक यह है कि हमला करने वाले आतंकवादी विदेशी मूल के हैं। ये आतंकवादी जम्मू क्षेत्र के घने जंगलों में छिपे हैं। दूसरा इन सभी आतंकवादियों को घने जंगलों में छिपने, घात लगाने और सैनिकों के चेहरे को निशाना बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
पूर्व सैनिक हो सकते हैं ये आतंकवादी
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यह विदेशी आतंकवादी, पाकिस्तान सेना के पूर्व सैनिक हो सकते हैं और भाड़े के सैनिकों के रूप में यहां आए हैं। जानकार ऐसा मानते हैं कि जंगलों में छिपे ये आतंकी फिदायीन दस्ते के नहीं हैं। रक्षा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जंगलों में छिपने की रणनीति उच्च प्रशिक्षित सैनिकों की एक विशिष्टता होती है। अपनी इस ट्रेनिंग के कारण ये बाहरी दुनिया से संपर्क किए बिना कई दिनों तक जीवित रह सकते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि ये भाड़े के आतंकवादी हो सकते हैं, जो पाकिस्तानी सेना के पूर्व सैनिक भी हैं।
कठुआ हमले के दौरान आतंकियों ने लगाया था बॉडीकैम
गौरतलब है कि हाल ही में कठुआ में सेना की गाड़ी पर हुए ग्रेनेड अटैक के दौरान आतंकियों ने बॉडीकैम लगा रखा था। आतंकवादी बॉडीकैम के जरिए हमले की तस्वीरें साझा कर रहे थे। इससे पता लगता है कि उन्हें हमले के दौरान टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी गई थी।
घात लगाकर आतंकियों ने सेना के जवानों पर किया हमला
डोडा में सोमवार को आतंकवादी हमला हुआ था। इसके बाद सामने आए विवरण से मालूम हुआ कि सेना के 15 जवानों का एक गश्ती दल तलाशी अभियान में था। इसी दौरान उन पर घात लगाकर हमला किया गया। कार्रवाई में मारे गए चार सैनिक इस खोजी दल का नेतृत्व कर रहे थे। सभी सैनिक आधुनिकतम बुलेट-प्रूफ जैकेट और हेलमेट पहने हुए थे, लेकिन उनका चेहरा खुला हुआ था। इनके चेहरे पर भी चोटें आई हैं।
डोडा में हुए इस आतंकी हमले में ये जवान हुए शहीद
इस आतंकी हमले के बाद जख्मी जवानों को अस्पताल लाया गया, जहां मंगलवार तड़के उनकी मौत हो गई। शहीद जवानों में सेना के कैप्टन ब्रिजेश थापा, नायक डी राजेश, सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय व जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक जवान शामिल है। गौरतलब है कि जम्मू का इलाका नदियों वाला है, वहीं पाकिस्तान सीमा पर कई नाले हैं जो मानसून में उफान पर रहते हैं। इससे घुसपैठियों को घुसपैठ करने का मौका मिलता है। इसके अलावा जम्मू संभाग में पहाड़ ऐसे इलाके उपलब्ध कराते हैं जहां छिपने के कई स्थान हैं और वहां ड्रोन संचालित करने की भी बेहद कम संभावना रहती है।
इस हमले की जिम्मेदारी जैश ए मोहम्मद से जुड़े हुए आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है। यह कश्मीर टाइगर्स वही आतंकवादी संगठन है जिसने हाल ही में सेना के काफिले पर हुए हमले की भी जिम्मेदारी ली थी। जानकारी के मुताबिक कश्मीर टाइगर्स को पाकिस्तान से हथियार व धन मुहैया कराया जाता है।
आतंकवादियों के सफाए के लिए तलाश अभियान हुआ तेज
सीमा पार से घुसपैठ कर वन क्षेत्र में छिपे आतंकवादियों के सफाए के लिए सेना पैरा कमांडो के साथ तलाश अभियान तेज कर रही है। इसमें ड्रोन और हेलीकॉप्टर की भी मदद ली जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस और सेना गांव पहुंच गई है और आज सुबह इलाके की गहन तलाशी ली गई। अधिकारियों ने बताया कि डोडा जिले के गंदोह के सिनू वन क्षेत्र में एक अलग तलाश अभियान के दौरान दो हथगोले गोले बरामद किए गए।
सिनू वन क्षेत्र में 26 जून को दिन भर मुठभेड़ हुई थी जिसमें तीन विदेशी आतंकवादी मारे गए थे और अमेरिका निर्मित एम4 कार्बाइन सहित भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद हुआ था। सेना ने मंगलवार को एक बयान में कहा था कि वह सीमा पार से घुसपैठ कर आए विदेशी आतंकवादियों को खत्म करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ संयुक्त और समन्वित अभियान चला रही है। सेना ने कहा था, 'उत्तरी कमान की सभी इकाइयां जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के संकट को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए अभियान जारी रहेंगे।'
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आयुष सिन्हा author
मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें
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