पाकिस्तान के गले की फांस क्यों बन गया फायरवाल? चीन की नकल करना पड़ गया भारी
Pakistan Firewall : पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाने का इतिहास पुराना है। सरकार अपने खिलाफ असहमति, विरोध-प्रदर्शनों पर रोक लगाने के लिए इंटरनेट को बंद करती आई है। खासकर, पिछले साल इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देश में हुए हिंसक प्रदर्शनों और दंगों को फैलाने में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका रही।
फायरवाल पर पाकिस्तान में विवाद।
Pakistan Firewall : बड़े-बड़े दावे करना वाला पाकिस्तान अपने यहां ठीक से इंटरनेट की स्पीड तक नहीं दे पा रहा है। इससे लोगों और निजी कंपनियों में हताशा और निराशा देखी जा रही है। इंटरनेट की धीमी स्पीड राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन गया है। इंटरनेट की इस सुस्त स्पीड के लिए यूजर्स पाकिस्तान की सरकार को कोस रहे हैं लेकिन पाकिस्तान सरकार अपनी जवाबदेही से बच रही है, इंटरनेट की इस ग्लिच के लिए वह अपनी आवाम को ही जिम्मेदारी ठहरा रही है। उसका कहना है कि देश में लोग बड़ी संख्या में VPN यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसकी वजह से नेट की स्पीड कम हो गई है।
चीन की तरह फायरवाल लगाने का आरोप
हालांकि, पाकिस्तान के एक्टिविस्ट सरकार के इस दावे से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि धरना-प्रदर्शनों पर नकेल कसने और ऑनलाइन स्पेस को अपने नियंत्रण में लेने के लिए पाकिस्तान की सरकार अपने यहां चीन की तरह फायरवाल लगा रही है जो कि अभिव्यक्ति की आजादी पर एक तरह से हमला है। इस फायरवाल की वजह से आम लोग तो परेशान हुए ही हैं, पाकिस्तान में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों का कामकाज भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। आलम यह है कि ये कंपनियां पाकिस्तान से अपना कारोबार समेटने की सोच रही हैं। अगर ऐसा हुआ तो पहले से ही बदहाल आर्थिक हालत का सामना कर रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को एक बड़ा झटका लगेगा।
प्रदर्शनों-हिंसा में सोशल मीडिया की भूमिका
पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाने का इतिहास पुराना है। सरकार अपने खिलाफ असहमति, विरोध-प्रदर्शनों पर रोक लगाने के लिए इंटरनेट को बंद करती आई है। खासकर, पिछले साल इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देश में हुए हिंसक प्रदर्शनों और दंगों को फैलाने में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका रही। आज पाकिस्तान की बड़ी आबादी के पास स्मार्टफोन आ चुका है। ये आबादी सोशल मीडिया से जुड़ी हुई है। किसी भी मुद्दे पर भावनाओं का ज्वार उभारने में सोशल मीडिया एक बड़ा फैक्टर बन गया है। इससे शहबाज सरकार काफी सतर्क और डरी हुई है। विरोध-प्रदर्शनों की आहट मिलते ही वह इंटरनेट पर शिकंजा कसना शुरू कर देती है। 'राष्ट्रीय सुरक्षा' पर खतरा जताते हुए इसने बीते फरवरी महीने में ही X को ब्लॉक कर दिया। चूंकि, ट्विटर पर इमरान के समर्थक बहुत ज्यादा संख्या में थे, इसलिए इससे वे बुरी तरह प्रभावित हुए।
कारोबार जगत पर काफी बुरा असर हुआ
इस फायरवाल की वजह से पाकिस्तान के कारोबार जगत पर काफी बुरा असर हुआ है। पाकिस्तान के सॉफ्टवेयर हाउस एसोसिएशन का कहना है कि इंटरनेट की धीमी स्पीड की वजह से आईटी सेक्टर 30 करोड़ डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है। कारोबार जगत ने सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि उसके इस नए सिस्टम की वजह से परेशान होकर विदेश कारोबारी देश छोड़ सकते हैं। कुछ समय पहले उबेर, फाइजर, शेल, एली, सनोफी, टेलिनॉर, लोट्टो केमिकल ने या तो अपनी पूरी या आंशिक हिस्सेदारी स्थानीय कंपनियों के बेच दीं। कारोबार जगत का मानना है कि इंटरनेट के हालात यदि नहीं सुधरे तो आगे भी विदेशी कारोबारी पाकिस्तान छोड़कर जाने के लिए मजबूर होंगे। इससे अर्थव्यवस्था को काफी धक्का लगेगा।
फायरवाल है, साबित करने के लिए पर्याप्त सूबत-एक्टिविस्ट
वहीं, पाकिस्तान में इंटरनेट की धीमी स्पीड पर सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री शाजा फातिमा ने अजीबो-गरीब दावा किया है। उनका कहना है कि फायरवाल की वजह से इंटरनेट की स्पीड धीमी नहीं हुई है बल्कि उनका कहना है कि देश में बड़ी संख्या में आबादी वीपीएन का इस्तेमाल कर रही है। इंटरनेट की स्पीड धीमी करने के पीछे सरकार का कोई हाथ नहीं है। हालांकि एक्टिविस्ट मंत्री की दलीलों से सहमत नहीं हैं। लोकल डिजिटल राइट्स ग्रुप बाइट्स फॉर ऑल के डाइरेक्टर शहजाद अहमद का कहना है कि देश में फायरवाल सिस्टम मौजूद है यह साबित करने के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत हैं।
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