बीमा भारती के साथ पप्पू यादव ने फिर कर दिया खेला? फुस्स हुई लालू यादव तमाम कोशिशें

Bihar Politics: लालू प्रसाद यादव को एक बार फिर बिहार में तगड़ा झटका लगा है। रूपौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों में बीमा भारती को जो हार नसीब हुई, उसके पीछे पप्पू यादव की कूटनीति मानी जा रही है। क्या वाकई लालू की उम्मीदवार को हराने के लिए पप्पू ने खेला कर दिया। आपको समझाते हैं समीकरण।

अब बीमा भारती का क्या होगा?

Rupauli Bye Election Result: बिहार की सियासत में कौन किसे कब गच्चा देगा, इसका अंदाजा बड़े से बड़े सियासी दिग्गज नहीं लगा पाते हैं। यही वजह है कि रूपौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जो उलटफेर हुआ, उसे देख हर कोई दंग रह गया। चुनाव से ठीक पहले निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भले ही लालू की पार्टी राजद की उम्मीदवार बीमा भारती को समर्थन देने का ऐलान किया, लेकिन चुनावी नतीजों के बाद ये साफ हो गया कि कहीं न कही बीमा भारती के साथ खेला हो गया। इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने बाजी मार ली, लेकिन क्या ऐसा संभव था कि किसी मजबूत समर्थन बिना वो यहां से उस बीमा भारती को मात दे सकें, जिनके नाम इस विधानसभा सीट से सबसे लंबे समय तक विधायक रहने का रिकॉर्ड दर्ज है। आपको इस लेख के जरिए इस सीट का समीकरण समझाते हैं और बताते हैं कि बीमा भारती के साथ कैसे खेला हो गया।

बीमा भारती के साथ फिर हो गया खेला

हाल ही में पप्पू यादव ने अपने एक फैसले से इन दिनों सभी को चौंका दिया था। जिस बीमा भारती के खिलाफ उन्होंने लोकसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार ताल ठोका और जीत हासिल की, उन्होंने विधानसभा उपचुनाव में उन्हीं को समर्थन की बात कह दी थी। लेकिन क्या ऐसा संभव है कि पप्पू यादव ने बीमा भारती का सचमुच समर्थन किया और वो चुनावी नतीजों में तीसरे पायदान पर पहुंच गईं और तो और राजद उम्मीदवार को सिर्फ 30 हजार 619 वोट हासिल हुए और उन्हें 37 हजार 451 वोट से हार झेलनी पड़ी।

तेजस्वी यादव, बीमा भारती और पप्पू यादव।

तस्वीर साभार : Twitter

लालू यादव को पप्पू यादव ने ऐसे दिया गच्चा

बिहार की राजनीति में लालू यादव से अदावत मोल लेने वाले पप्पू यादव कब क्या फैसला लेने वाले हैं, इसका अंदाजा लगाना बिल्कुल वैसा ही है, जैसे रेत में सुई की तलाश करना। दोनों के बीच की दूरियों से हर कोई वाकिफ है, लेकिन जब पप्पू यादव ने बीमा भारती का समर्थन करने का ऐलान किया था तो लगा कि ये दूरियां शायद घटने लगी हैं। हालांकि इस समर्थन के पीछे कहीं न कहीं राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने अपने धुर विरोधी को शायद सबक सिखाने का पैंतरा अपनाया था।
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