Assembly Elections 2024 : हरियाणा में दो दर्जन सीटों पर जिसकी होगी बढ़त, चुनाव नतीजों में उसकी होगी हनक

Haryana Assembly Election 2024 : लोकसभा चुनाव में भाजपा हरियाणा की 5 सीटें ही जीत पाई। पांच सीटें वह कांग्रेस से हार गई। भगवा पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सदस्य एवं पदाधिकार निष्क्रिय रहे, इस वजह से उसे ज्यादा नुकसान हुआ। विधानसभा चुनाव में आरएसएस के लोग अगर सक्रिय हो गए तो चुनाव में वह बाजी मार ले जाएगी।

Haryana Assembly Election 2024

हरियाणा में पांच अक्टूबर को होगा मतदान।

मुख्य बातें
  • हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटों के लिए हो रह है चुनाव
  • इन सीटों के लिए मतदान 5 अक्टूबर को होगा, नतीजे 8 को
  • चुनाव में कई सीटें हैं जहां पर त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है
Haryana Assembly Election 2024 : हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटों के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है। चुनावी मैदान में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, इनेलो, जजपा और AAP हैं, सभी मतदाताओं को अपनी तरफ रिझाने के लिए वादे और दावे कर रहे हैं। वोटों के समीकरण की हिसाब से दांव चले गए हैं। सत्ता में एक बार फिर वापसी के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इन दलों के दिग्गज नेता ताबड़तोड़ रैलिया कर रहे हैं। भाजपा को उम्मीद है कि इस बार भी वह सत्ता में वापसी करेगी तो कांग्रेस अपनी वापसी का दावा कर रही है। चुनावी रणनीतिकार मानते हैं कि हरियाणा में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है लेकिन करीब दो दर्जन के करीब ऐसी सीटें हैं जहां मुकाबला त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय बन चुका है।

20 सीटों पर फंस सकता है पेच

ऐसी सीटें किसके खाते में जाएंगी, इसका कोई दावा नहीं कर सकता। भाजपा का मानना है कि इन 20 सीटों पर उसने अगर बढ़त कायम कर ली तो सत्ता में वापसी करने का उसका रास्ता साफ हो जाएगा। हिसार, सिरसा और कुरुक्षेत्र इलाके की इन सीटों पर भाजपा ने विशेष रूप से फोकस किया है और अपने चुनाव प्रबंधन एवं नेताओं की रैलियों के जरिए वह वोटरों को प्रभावित कर रही है। भाजपा ने अपने पन्ना प्रमुख के जरिए बूथ लेवल पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। उसने 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' का नारा दिया है। हरियाणा में मतदान 5 अक्टूबर को होगा और चुनाव नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे।

लोकसभा चुनाव में 5 सीटें जीत पाई भाजपा

लोकसभा चुनाव में भाजपा हरियाणा की 5 सीटें ही जीत पाई। पांच सीटें वह कांग्रेस से हार गई। भगवा पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सदस्य एवं पदाधिकार निष्क्रिय रहे, इस वजह से उसे ज्यादा नुकसान हुआ। विधानसभा चुनाव में आरएसएस के लोग अगर सक्रिय हो गए तो चुनाव में वह बाजी मार ले जाएगी। इस चुनाव में आरएसएस की सक्रियता भी दिख रही है। कई ऐसी सीटें हैं जहां संघ की पृष्ठभूमि वाले लोगों को टिकट मिला है।

गैर जाट वोटरों पर फोकस

भाजपा ने इस बार जाट वोटरों से ज्यादा ब्राह्मण वोटरों पर भरोसा किया है। जाट वोट की बड़ी आबादी इस बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ है। इस बार भाजपा ने इस बार 12 विधान सभा से ब्राह्मण उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। हरियाणा में बसपा और भीम आर्मी के चुनाव लड़ने से दलित वोटों में बिखराव होने की बात कही जा रही है। बसपा, इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है जबकि चंद्रशेखर आजाद की पार्टी दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा के साथ है। भाजपा को लगता है कि कुछ दलित वोट बसपा के साथ और कुछ आजाद पार्टी के साथ जाएगा। दलित वोटों का यह बिखराव उस जगह उसे फायदा पहुंचाएगा जहां मुकाबला त्रिकोणीय है।

भाजपा पर हमला कर रहे हुड्डा

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 10 वर्ष के शासन में प्रदेश बेरोजगारी, महंगाई और अपराध में नंबर वन हो गया है। हुड्डा ने सोनीपत में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र पंवार के समर्थन में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस राज में हरियाणा प्रति व्यक्ति आय, निवेश, रोजगार देने और कानून व्यवस्था में नंबर वन था लेकिन भाजपा के 10 वर्ष के शासन में अब प्रदेश बेरोजगारी, महंगाई और अपराध में नंबर वन हो गया है।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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