इस बार किधर रुख करेंगे पूर्वांचली वोटर, 22 सीटों पर है दबदबा, AAP, BJP, कांग्रेस सभी ने चला दांव

Delhi Assembly Election 2025 : दिल्ली में कांग्रेस लंबे समय तक पूर्वांचल के वोटरों की बदौलत सत्ता में काबिज रही। पूर्वांचली वोटरों को साधने के लिए 1998 में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को आगे किया था। कांग्रेस को इसका फायदा मिला और 15 साल तक दिल्ली में दीक्षित का शासन रहा, लेकिन 2013 में दिल्ली के पूर्वांचली वोटर्स आम आदमी पार्टी की तरफ चले गए।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025

Delhi Assembly Election 2025 : दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटों के लिए सियासी लड़ाई तेज हो गई है। मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए दांव और आकर्षक वादे कर रहे हैं। दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है। राजधानी में करीब 27 सीटें ऐसी हैं जिन पर हार और जीत पूर्वांचल के मतदाता तय करते हैं। कई सीटों पर इनका वोट प्रतिशत 38 फीसदी तक जाता है। पूर्वांचल के इन मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की कवायद आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस तीनों प्रमुख दलों की ओर से की गई है।

AAP ने 12 पूर्वांचलियों को टिकट दिया

कई सीटों पर इन्हें उम्मीदवार बनाया गया है। चुनाव में इनके वोट प्रतिशत को देखते हुए तीनों ने दलों ने अपने यहां सांगठनिक पदों पर इनकी नियुक्तियां भी की हैं। आम आदमी पार्टी ने इस बार 12 पूर्वांचलियों को टिकट दिया है। यूपी के पूर्वी इलाके और बिहार के पश्चिमी इलाकों से आने वाले उम्मीदवारों को टिकट देने में भाजपा और कांग्रेस भी पीछे नहीं हैं।

पूर्वांचल वोटरों के दबदबे वाली सीटें

  • बुराड़ी-27
  • बादली-26
  • मादीपुर-24
  • नांगलोई जाट-32
  • किराड़ी-29
  • विकासपुरी-28
  • नजफगढ़-21
  • मटियाला-20
  • उत्तम नगर 30
  • द्वारका-23
  • करावल नगर-20
  • मुस्तफाबाद-22
  • घोंडा-29
  • सीलमपुर-20
  • रोहताश नगर-22
  • सीमापुरी-22
  • शाहदरा-20
  • विश्वास नगर-20
  • कोंडली-21
  • त्रिलोकपुरी-38
  • पटपड़गंज-23
  • लक्ष्मी नगर-31
  • कृष्णा नगर -28
कांग्रेस के साथ रहे पूर्वांचली मतदाता

दिल्ली में कांग्रेस लंबे समय तक पूर्वांचल के वोटरों की बदौलत सत्ता में काबिज रही। पूर्वांचली वोटरों को साधने के लिए 1998 में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को आगे किया था। कांग्रेस को इसका फायदा मिला और 15 साल तक दिल्ली में दीक्षित का शासन रहा, लेकिन 2013 में दिल्ली के पूर्वांचली वोटर्स आम आदमी पार्टी की तरफ चले गए। कांग्रेस और भाजपा दोनों इस वोट बैंक को अपने पाले में करना चाहते हैं। भाजपा मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव निरहुआ जैसे अपने नेताओं के जरिए इन्हें साधने में जुटी है।

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