जब टूटते-टूटते बचा था कनाडा, अगर भारत ने कर दिया ये काम तो निकल जाएगी ट्रूडो की हेकड़ी

Quebec Referendum : क्यूबेक स्वतंत्रता अभियान को क्यूबेक संप्रभुता आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। इस आंदोलन का मकसद क्यूबेक को कनाडा से आजाद कराना है। इस आंदोलन में विश्वास करने वाले लोगों का मानना है कि कनाडा का हिस्सा नहीं रहने पर उनका आर्थिक, समाजिक एवं सांस्कृतिक विकास ज्यादा अच्छा होगा।

कनाडा में दो बार हो चुके हैं जनमत संग्रह।

Quebec Referendum : कहते हैं कि जब अपना घर दुरुस्त न हो तो दूसरे के आशियाने पर गलत मंशा नहीं दिखानी चाहिए। लेकिन खालिस्तान के मुद्दे पर कनाडा ने जिस तरह का रवैया अपनाया है। वही रवैया अगर भारत उसके क्यूबेक इलाके को लेकर अपना ले तो प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को एक बड़ा झटका लगेगा और वह तिलमिला जाएंगे। ऐसा नहीं है कि कनाडा की क्षेत्रीय संप्रभुता पर सवाल नहीं उठे और वहां अलगाववादी प्रदर्शन नहीं हुआ। कनाडा में क्यूबेक इलाके को एक अलग देश बनाने की मांग को लेकर दो बार जनमत संग्रह हो चुका है। अलग देश के लिए विरोध-प्रदर्शन भी होते आए हैं लेकिन कनाडा की सरकार इन विरोध-प्रदर्शनों को दबाती आई है। खालिस्तान के मुद्दे पर तो वह मुखर है लेकिन क्यूबेक मामले में उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नजर नहीं आती।

क्या है क्यूबेक स्वतंत्रता अभियान

क्यूबेक स्वतंत्रता अभियान को क्यूबेक संप्रभुता आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। इस आंदोलन का मकसद क्यूबेक को कनाडा से आजाद कराना है। इस आंदोलन में विश्वास करने वाले लोगों का मानना है कि कनाडा का हिस्सा नहीं रहने पर उनका आर्थिक, समाजिक एवं सांस्कृतिक विकास ज्यादा अच्छा होगा। क्यूबेक स्वतंत्रता अभियान 'क्यूबेक राष्ट्रवाद' के विचार पर आधारित है। क्यूबेक का अधिकांश इलाके पर फ्रांसीसी संस्कृति का प्रभाव ज्यादा है। क्यूबेक को कनाडा का हिस्सा रहना चाहिए या नहीं, इसे लेकर कनाडा में अब तक दो बार जनमत संग्रह हो चुके हैं।

...तो दूसरे जनमत संग्रह में कनाडा का हो जाता विभाजन

पहला जनमत संग्रह 1992 में हुआ। इस जनमत संग्रह में केवल चार प्रांत क्यूबेक को अलग देश बनाए जाने पर सहमत हुए जबकि छह प्रांतों ने इस विचार को खारिज कर दिया। इसके बाद 1995 में क्यूबेक को लेकर दूसरा जनमत संग्रह हुआ। इस जनमत संग्रह में कनाडा टूटते-टूटते बचा। कनाडा से क्यूबेक को अलग किए जाने के पक्ष में 49.4 फीसदी और इसके खिलाफ 50.6 प्रतिशत लोगों ने वोट किया। वोट के इस मामूली अंतर की वजह से क्यूबेक को कनाडा से अलग कर एक अलग देश बनाने का सपना पूरा नहीं हो पाया।

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