Rahul Gandhi Opposition Leader 2024: राहुल गांधी ने 10 साल बाद खत्म किया सूखा, जानें नेता विपक्ष के कार्य और जिम्मेदारियां
Leader of Opposition in 2024: राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर गांधी परिवार के तीसरे सदस्य हैं। उनसे पहले पिता राजीव गांधी, फिर उनकी माता सोनिया गांधी ने भी इस कुर्सी को संभाला है। ऐसे में आपको इस लेख में समझाते हैं कि आखिर विपक्ष के नेता का कार्य क्या होता है और उनकी जिम्मेदारियां क्या होती हैं।
राहुल गांधी, नेता प्रतिपक्ष, लोकसभा।
Rahul Gandhi Opposition Leader 2024: पिछले 10 सालों से नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली पड़ी थी, वर्ष 1989 के बाद 2014 में ऐसा पहला मौका था जब आधिकारिक तौर सरकार का विरोध करने वाला विपक्ष का कोई नेता सदन में मौजूद नहीं था। हालांकि अब ये सूखा खत्म हो चुका है, राहुल गांधी को विपक्ष का नेता चुना गया और उनके तेवर इस बात को बयां कर रहे हैं कि इस बार सदन में सरकार का विरोध वो पूरे दमखम के साथ करने को तैयार हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए क्या नियम हैं, विपक्ष के नेता का काम क्या होता है और उनकी जिम्मेदारियां क्या-क्या होती हैं?
कौन होता है लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष?
संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में विपक्ष का नेता (नेता प्रतिपक्ष) भी एक निर्वाचित सदस्य होता है, जो आधिकारिक रूप से सदन में विपक्ष का नेतृत्व करता है। लोकसभा में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी को संसदीय अध्यक्ष ही विपक्ष का नेता होता है। विपक्ष का नेता उस पार्टी के सदस्य को नियुक्त किया जाता है, जो सरकार में नहीं होती है। नियमों ये कहते हैं कि उस राजनीतिक पार्टी के पास कम से कम लोकसभा में 10% सीटें होनी चाहिए। लोकसभा में कुल 543 सदस्य होते हैं, ऐसे में जिस पार्टी से नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया जाता है उसके सदस्यों की संख्या न्यूनतम 55 होनी चाहिए।
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संवैधानिक पद नहीं है नेता प्रतिपक्ष, जानें मान्यताएं
नेता प्रतिपक्ष (विपक्ष का नेता) का पद एक संवैधानिक पद नहीं है। हालांकि "विपक्ष के नेता के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1977" में इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त है। दरअसल, इसका भी एक दिलचस्प इतिहास है। वर्ष 1969 तक विपक्ष का लोकसभा में एक वास्तविक नेता होता था, जिसे कोई विशेष दर्जा, मान्यता या फिर विशेषाधिकार नहीं प्राप्त था। हालांकि नेता प्रतिपक्ष बाद में आधिकारिक मान्यता मिल गई। 1977 के इस अधिनियम के तहत विपक्ष के नेता की वेतन और उनके भत्तों में इजाफा कर दिया गया। लोकसभा में तबसे ही नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए तीन शर्तें पूरी करनी होती हैं।
1). सदन का सदस्य होना अनिवार्य है।
2). सरकार के विपक्ष में सबसे अधिक संख्या बल वाली पार्टी से चुना गया सदस्य होना चाहिए।
3). लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाहिए।
इतिहास का जिक्र किया जाए तो पहली बार संसद में मुख्य विपक्षी दल के रूप में दिसंबर 1969 में कांग्रेस पार्टी (ओ) को मान्यता दी गई थी, जबकि इसके नेता राम सुभग सिंह ने विपक्षी नेता की भूमिका निभाई।
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कब कब खाली रही नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी?
वर्ष 1969 से तक विपक्ष के नेता को लोकसभा ने आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी थी। ऐसे में 1952 से 1969 तक ये पद खाली रहा। इसके बाद ये कुर्सी वर्ष 27 दिसंबर 1970 से 30 जून 1977 तक, 22 अगस्त 1979 से 18 दिसंबर 1989 तक और 20 मई 2014 से 25 जून 2024 तक खाली रही। अब इस पद पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बैठ चुके हैं।
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