राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में कर दिया 'सरेंडर'? घटाया 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' का समय, समझें वजह और मायने
Bharat Jodo Nyay Yatra: राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' का समय घटा दिया है। आखिर उनकी ऐसी कौन सी मजबूरी है कि जिस सूबे में 80 लोकसभा सीटें हैं, वहां अपनी यात्रा का समय कम कर दिया? 11 दिन के बजाय अह यूपी में राहुल की यात्रा सिर्फ छह दिन ही रहेगी। क्या उन्होंने पहले ही उत्तर प्रदेश में हथियार डाल दिए हैं।
राहुल गांधी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में डाले हथियार?
Congress in Uttar Pradesh: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले क्या राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में अपने हथियार डाल दिए हैं? ये सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का समय यूपी में कम कर दिया है। इस यात्रा का उत्तर प्रदेश में रहने का समय बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए घटा दिया गया है। अब यह यात्रा 11 दिन के बजाय छह दिन ही उत्तर प्रदेश में रहेगी। कहीं न कहीं राहुल के इस फैसले को यूपी में कांग्रेस के सरेंडर की तरह देखा जा रहा है।
राहुल गांधी को यूपी से नहीं है कोई आस?
कांग्रेस और राहुल गांधी के कदम से ये समझ आने लगा है कि देश के सबसे बड़े सूबे और 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश से अब ज्यादा लेना-देना नहीं है। या तो राहुल ने यूपी में लोकसभा चुनाव से पहले ही सरेंडर कर दिया है या फिर उन्हें ये समझ आ गया है कि इस राज्य में कांग्रेस को ज्यादा सीटों पर जीत नहीं मिलने वाली है, ऐसे में यात्रा का ज्यादा वक्त इस राज्य में देने का कोई खास मतलब नहीं है।
अमेठी में हार के बाद टूट गई यूपी से उम्मीद?
लोकसभा चुनाव 2019 में अमेठी सीट पर कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को स्मृति ईरानी से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी, हालांकि उन्होंने केरल के वायनाड से जीत हासिल की और संसद पहुंचे। मगर उस हार का दर्द शायद राहुल अब तक भुला नहीं सके हैं, तभी तो सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य, जहां भाजपा की सरकार है, वहां राहुल की यात्रा के दिन कम हो जाते हैं।
कांग्रेस ने बार-बार बताया यूपी नहीं है खास
उत्तर प्रदेश की कई लोकसभा सीटों को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और खुद राहुल गांधी यूपी की सीटों से ही जीतकर संसद पहुंचते थे। मगर पिछले चुनाव में कांग्रेस के खाते में महज एक सीट आई वो भी रायबरेली में सोनिया को जीत मिली। इसके बाद प्रियंका के कंधों पर यूपी का जिम्मा सौंपा गया, मगर विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिली, जिसके बाद कांग्रेस ने यहां मानो सरेंडर ही कर दिया। प्रियंका ने यूपी से उम्मीद छोड़ दी और उन्हें यहां से हटा दिया गया। विधानसभा चुनाव हारने वाले अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। मतलब साफ है कि अब यूपी में कांग्रेस की उम्मीदें धराशायी हो चुकी हैं।
अखिलेश यादव और कांग्रेस के बीच समझौता
पिछले कई दिनों से कांग्रेस और अखिलेश यादव की पार्टी सपा के बीच मनमुटाव चरम पर थी, अखिलेश भी कांग्रेस को पानी पी-पीकर कोस रहे थे। इशारों-इशारों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को चिरकुट नेता करार दे रहे थे। मगर देखते ही देखते समाजवादी पार्टी भी कांग्रेस से हाथ मिलाने पर मजबूर हो गई। अखिलेश यादव को ये डर सता रहा होगा कि कहीं कांग्रेस यूपी में उनके लिए वोटकटुवा न साबित हो जाए।
UP में घटाया 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' का समय
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने सोमवार को यहां जारी एक बयान में बताया कि राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश की बोर्ड परीक्षाओं और छात्र-छात्राओं के हितों को देखते हुए राज्य में अपनी 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' का समय घटा दिया है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहले यह यात्रा 16 फरवरी से 26 फरवरी तक होनी थी लेकिन आगामी 22 फरवरी को शुरू हो रही उत्तर प्रदेश बोर्ड की परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए अब यह 21 फरवरी तक ही इस राज्य में रहेगी।
उत्तर प्रदेश में कब-कहां रहेगी राहुल की यात्रा?
उन्होंने कहा, 'संवेदनशीलता की मिसाल पेश करते हुए राहुल गांधी ने कई मौकों पर जनहित को प्राथमिकता पर रखा। वह इससे पहले भी कोरोना काल में लोगों की परवाह करते हुए बंगाल में अपनी रैलियां निरस्त कर चुके हैं।' 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' आगामी 16 फरवरी को वाराणसी से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी और भदोही, प्रयागराज और प्रतापगढ़ के रास्ते 19 फरवरी को अमेठी पहुंचेगी। राहुल अमेठी लोकसभा क्षेत्र के गौरीगंज में जनसभा को संबोधित करेंगें। यात्रा 20 फरवरी को रायबरेली और लखनऊ पंहुचेगी। लखनऊ में रात्रि विश्राम होगा। अगले दिन यह यात्रा उन्नाव पहुंचेगी और उन्नाव शहर एवं शुक्लागंज होते हुए कानपुर में प्रवेश करेगी। यात्रा कानपुर से हमीरपुर होते हुए झांसी पहुंचकर उसी दिन मध्य प्रदेश में दाखिल हो जाएगी।
लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में सियासी सरगर्मी बढ़ती नजर आ रही है। चुनाव से पहले ही यूपी में कांग्रेस का सरेंडर कहीं न कहीं उनके सहयोगी अखिलेश यादव को भी कमजोर कर सकता है। ऐसे में राहुल गांधी का क्या होगा? इसका जवाब तो आने वाले वक्त में ही मिलेगा। अभी फिलहाल वेट एंड वॉच का गेम चल रहा है।
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