राजा भैया ने UP में अखिलेश यादव की सपा को दे दिया समर्थन, समझिए आखिर क्या है वजह

UP Politics: प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है, जिसे भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। खुद न्यूट्रल रहने का फैसला करने के बाद आखिर वो अखिलशे यादव का समर्थन कैसे करने लगे, इसकी इनसाइड स्टोरी समझिए।

Raja Bhaiya Support to Samajwadi Party

फिर अखिलेश यादव के साथ राजा भैया!

Raja Bhaiya Political Plan: यूपी की सियासत में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया सुर्खियों में है। वजह ये है कि उनकी पार्टी जनसत्ता दल ने समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया है। बुधवार की देर शाम राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के जिलाध्यक्ष संजू मिश्रा समाजवादी पार्टी के मिर्जापुर कार्यालय पहुंचे और अपना समर्थन पत्र समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष को सौंपा दिया।
इसके बाद यूपी की सियासत में जैसे हड़कंप मच गया। इस बात की चर्चा होने लगी कि आखिर क्या वजह रही कि कभी बीजेपी को बिना शर्त समर्थन देने वाले और इस चुनाव में भी तमाम उठा पाठक के बाद भी न्यूट्रल रहने का दावा करने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अखिलेश की समाजवादी पार्टी को समर्थन दे दिया?

राजा भैया ने सपा को क्यो दे दिया समर्थन?

पहले न्यूट्रल रहने का फैसला किया और फिर मिर्जापुर में सपा को समर्थन दिया। दरसअल, इसके पीछे की कहानी को समझने के लिए इसकी क्रोनोलॉजी को समझना होगा। साल 2017 से 2024 तक राजा भैया ने 6 बड़े मौकों पर बीजेपी को समर्थन दिया। विधानसभा के अंदर से लेकर बाहर तक वह बीजेपी के साथ दिखाई दिए। खास तौर पर सनातन और राष्ट्रवाद के मुद्दे को लेकर...। खुद राजा भैया कई मौकों पर यह स्वीकार कर चुके हैं कि उन्होंने भाजपा को जब भी जरूरत हुई, मदद की।
2017 में हुए विधानसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद ही उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के चुनाव थे। तब राजा भैया ने भाजपा के उम्मदीवार को वोट किया। इसके बाद राष्ट्रपति के चुनाव में भी राजा भैया बीजेपी के साथ खड़े रहे। NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट किया। इतना ही नही, यूपी में हुए MLC के चुनाव में भी राजा भैया ने बीजेपी का ही साथ दिया। उसके बाद फिर यूपी में हुए राज्यसभा के चुनाव में भी बीजेपी कैंडिडेट्स को ही राजा भैया ने वोट किया।

बीजेपी के आश्वासन पर राज़ी नहीं हुए राजा

हालांकि इस राज्यसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने उनसे मुलाकात कर समर्थन की अपील की थी, लेकिन राजा भैया ने समर्थन बीजेपी को दिया। सूत्रों का दावा है कि तब बीजेपी ने राजा भैया को बदले में मदद करने का भरोसा दिया था। राजा भैया लोकसभा चुनाव में कौशाम्बी लोकसभा की सीट की मांग कर रहे थे। लेकिन भाजपा ने अपना यह वादा पूरा नही किया और कौशांबी से सांसद रहे विनोद सोनकर कोई भाजपा ने फिर से मैदान में उतार दिया। इतना ही नहीं प्रतापगढ़ से भी संगम लाल गुप्ता को ही मौका मिल गया इस बात से राजा आहत हुए।

पड़ा भाजपा से रिश्तों में दरार, बनाई दूरी

राजा की इस नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा ने एक बार फिर उनसे बातचीत करने का सिलसिला शुरू किया गया। यूपी भजपा के नेताओं ने राजा को बताया की आपकी मदद सिर्फ दिल्ली से हो सकती है। लिहाजा करीब 15 दिन पहले राजा भैया की बेंगलुरु में अमित शाह से मुलाकात भी हुई। सूत्रों की मानें तो इस मुलाकात में राजा भैया ने बीजेपी से विनोद सोनकर का टिकट बदलने की मांग की थी। राजा की शर्त थी कि भाजपा कौशांबी से विनोद सोनकर की जगह किसी को भी अपना उम्मीदवार बनाएं, वह समर्थन देंगे।

विनोद सोनकर के चलते भाजपा से हुए खफा?

दरअसल, राजा भैया विनोद सोनकर को अपना विरोधी मानते हैं। इतना ही नहीं राजा भैया की नाराजगी प्रतापगढ़ के सांसद संगम लाल से भी थी। हालांकि तब तक बीजेपी ने दोनों उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया था, लिहाजा तय हुआ कि बीजेपी चुनाव के बाद राजा भैया को MLC या राज्यसभा कि एक सीट देकर मदद करेगी। इतना ही नहीं सूत्रों की मानें तो इस मदद के बदले भाजपा की शर्त यह थी कि राजा भैया भाजपा का समर्थन करें और प्रचार भी। तय यह भी हुआ कि प्रतापगढ़ की एक जनसभा में अमित शाह के साथ राजा भैया मंच शेयर करेंगे, लेकिन इसके लिए राजा भैया को कोई आमंत्रण नहीं मिला।

संजीव बालियान, विनोद सोनकर को किया इनकार

लिहाजा राजा भैया ने अपने समर्थकों के साथ बैठक की और इस चुनाव में न्यूट्रल रहने का फैसला किया। राजा भैया जिस दिन यह बैठक कर रहे थे, उसी दिन संजीव बालियान और विनोद सोनकर भी उनसे मिलने पहुंचे थे। भाजपा के इन दोनों नेताओं ने राजा भैया से एक बार फिर समर्थन की मांग की, लेकिन तब राजा भैया ने साफ-साफ कह दिया कि वह इस चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन में नहीं है। लिहाजा वो न्यूट्रल रहेंगे और कार्यकर्ता जहां, जिसे चाहें उसे मदद कर सकते हैं।

भजपा के कई नेताओं ने मनाने की कोशिश की

खबर यह भी है कि इस फैसले के बाद भाजपा कई नेताओं ने राजा भैया से मुलाकात की। कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश में मंत्री रहे सुरेश राणा ने भी राजा भैया से मुलाकात कर समर्थन की अपील की। लेकिन, राजा भैया ने साफ कह दिया कि उनका गठबंधन भाजपा से नहीं है। लिहाजा, वह अपने कार्यकर्ताओं को फिर से भाजपा का समर्थन करने के लिए नहीं कह सकते। राजा के इस फैसले के बाद समाजवादी पार्टी एक बार फिर सक्रिय हो गई। समाजवादी पार्टी लगातार राजा भैया से संपर्क करने की कोशिश करने लगी। सूत्रों की माने तो इस बीच समाजवादी पार्टी ने राजा भैया को एक बड़ा आफर भी दिया।

अखिलेश की सपा ने राजा भैया को दिया ऑफर

सूत्रों की मानें तो सपा ने कौशांबी की चाहर विधानसभा सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा करने का ऑफर दिया। सपा की ओर से कहा गया कि अगर वहां की विधायक पूजा पाल की सदस्यता खत्म होती है और उपचुनाव होता है तो वहां राजा भैया अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकते हैं और सपा उसका समर्थन करेगी। दरअसल, पूजा पाल ने भी राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन में क्रॉस वोटिंग किया था। सपा उनकी सदस्यता खत्म करने की अपील करेगी और सीट रिक्त होने पर उपचुनाव हो सकता है। ऐसी स्तिथि में राजा भैया वहां से अपना प्रत्याशी खड़ा कर सकते हैं, जिसे सपा का समर्थन मिलेगा। इसके साथ ही 2027 में भी राजा कोंकुच विधानसभा सीटों पर सपा ने समर्थन का वादा किया है।

अनुप्रिया पटेल के बयान से बढ़ी नाराजगी

इसी बीच अनुप्रिया पटेल ने प्रतापगढ़ की एक जनसभा में राजा को लेकर कुछ व्यक्तिगत टिप्पणी कर दी थी। मीरजापुर से एनडीए प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल कुंडा के बेंती किला में भाजपा उम्मीदवार विनोद सोनकर के पक्ष में जनसभा को संबोधित कर रहीं थीं। इसी दौरान उन्होंने राजा भैया का नाम लिए बिना कहा कि लोकतंत्र में कोई भी राजा रानी के पेट से पैदा नहीं होता, वह तो ईवीएम से पैदा होता है।

राजा भैया और उनके समर्थक हो गए नाराज

अनुप्रिया पटेल के इस बयान पर राजा भैया ने पलटवार करते हुए कहा है कि ईवीएम से राजा नहीं बल्कि जनसेवक पैदा होता है जो जनता की सेवा करता है। दोनों पक्षों की ओर से जुबानी जंग के बाद अब राजा भैया कंसमर्थक अनुप्रिया को हराने के लिए मिर्जापुर के मैदान में कूद पड़े हैं।
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    विनोद मिश्रा author

    दिल्ली से लेकर यूपी की राजधानी लखनऊ में करीब दो दशक से टीवी पत्रकारिता कर रहें है। यूपी की सियासत की नब्ज और ब्यूरोकेसी की समझ है। पत्रकारिता एक पैशन ...और देखें

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