असली पैंकिंग, नकली दवा: लाचारों को धोखा देकर चैन की नींद आती है? शर्म करो मौत के सौदागरों
Fake Medicines Gang: कहीं आपकी दवा की शीशी में भी जहर तो नहीं है? सावधान हो जाएं, क्योंकि जो दवाएं मरीज की जान बचाने के लिए खरीदी जाती हैं, उसके साथ कुछ मौत के सौदागर खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे धंधेबाजों से हम एक सवाल पूछना चाहते हैं- क्या लाचारों को धोखा देकर रातों में चैन की नींद आती है? शर्म करो...
कहीं आपकी दवा की शीशी में भी जहर तो नहीं है?
Delhi News: कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होता है और दवा संजीवनी होती है। बड़ी से बड़ी और खतनाक बीमारी के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत और तपस्या के बाद दवाओं का निर्माण किया होता है। कठिन से कठिन रिसर्च के बाद फॉर्मूले बनाए जाते हैं, जिसमें सालों का वक्त लग जाता है। इन आविष्कारकों की मंशा होती है कि इन दवाओं के जरिए मरीजों की तबीयत सुधार लाया जाए। मगर सोचिए... हजारों-लाखों रुपये देकर आपने दवा खरीदी और वो दवा ही नकली हो। असली पैकिंग में नकली दवा भरकर लाखों रुपये कमाने वालों के गैंग का एक बार फिर पर्दाफाश हुआ है। मगर, ऐसे धंधेबाजों और मौत के सौदागरों से हम कुछ सवाल पूछना चाहते हैं।
क्या लाचारों को धोखा देकर चैन की नींद आती है?
कैंसर जैसी बीमारी, महंगी दवाएं, कीमोथैरपी और इलाज में लाखों का खर्च। खून-पसीने की कमाई लगाकर कोई अपने मरीज की जान बचाने की कोशिश करता है। देशभर के अस्पतालों में ऐसे हजारों मामले रोजाना आते हैं, जो लोग लाचार होते हैं, वो अपने गहने-जेवर और घर-जमीन तक बेचकर या गिरवी रखकर अपने मरीज का इलाज कराते हैं कि किसी तरह उनकी बस जान बच जाए। मगर दुनिया में कुछ ऐसे भी मौत के सौदागर हैं, जिन्हें लोगों की मजबूरी अपनी कमाई का जरिया लगती है। गैंग बनाकर वो 100 रुपये की नकली दवा लाखों रुपये में बेचते हैं। काली कमाई की खातिर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं, उन्हें मौत के कुएं में ढकेल देते हैं।
मौत के सौदागरों, क्या तुम्हें शर्म नहीं आती है?
जरा सोचिए जिस दवा के जरिए लोग अपने मरीज की हालत में जल्द से जल्द सुधार की आस लिए बैठे रहते हैं, मगर कुछ धंधेबाज दवा की शीशी में उन्हें मौत भरकर बेचते हैं। मरीजों के परिवारवालों की उम्मीदों का गला घोंट देते हैं। इन मौत के सौदागरों से ये सवाल है कि क्या किसी की मौत का कारण बनकर क्या तुम्हें चैन की नींद आती है? क्या मौत की कमाई वाले उस पैसों से खरीदा हुआ खाना हलक के नीचे उतर जाता है? क्या तुम्हारे अपनों के साथ भी कोई ऐसा करे तो तुम सुकून से जी पाओगे? इन सबके बाद भी क्या तुम लोगों को शर्म नहीं आती? शर्म करो मौत के सौदागरों, शर्म करो...।
सावधान! कैंसर की दवाओं के नाम पर धोखा
मरीजों और उनके परिजनों आप सावधान हो जाइए, क्योंकि इस दुनिया में आपका भी सामना मौत के सौदागरों से कभी भी हो सकता है। कहीं कैंसर की दवाओं के नाम पर, कीमोथैरेपी और सस्ते इलाज के चक्कर में आप भी धोखे का शिकार न हो जाएं। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नकली दवाओं के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। सवाल ये उठता है कि आखिर ये कौन लोग हैं? इनके मददगार कौन हैं? ये गोरखधंधा कब से चल रहा है? मौत बेचने के इस कारोबार का मास्टमाइंड कौन है? ऐसे तमाम सवाल हैं जिनका जवाब मिलना और इस गैंग का जड़ से सफाया करना भी बेहद जरूरी है।
आईआईटी-बीएचयू का पूर्व छात्र गिरफ्तार
कैंसर की 'नकली' दवा बनाने वाले गिरोह में कथित संलिप्तता को लेकर दिल्ली पुलिस ने बुधवार को आईआईटी-बीएचयू के एक पूर्व छात्र को भी गिरफ्तार किया है। सोचिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से आईआईटी जैसी पढ़ाई के बाद इतनी घिनौनी वारदात में संलिप्तता... कितनी शर्म की बात है। पुलिस ने इस मामले में एक दिन पहले सात लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया कि आदित्य कृष्ण (23) पुणे और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कैंसर की नकली दवाओं की आपूर्ति करता था। उसे बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से गिरफ्तार किया गया।
पढ़ाई के बाद दिमाग में घुसा शैतान
दिल्ली पुलिस ने कैंसर के उपचार में दी जाने वाली दवाओं के कथित तौर पर निर्माण और उनकी आपूर्ति के सिलसिले में मंगलवार को दिल्ली से नीरज चौहान (38) सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक, आईआईटी-बीएचयू से उत्तीर्ण बीटेक स्नातक कृष्ण मुजफ्फरपुर में दवा की दुकान चलाता है और वह चौहान से कैंसर की नकली दवाइयां खरीदता था। अधिकारी ने बताया कि कृष्ण को दिल्ली लाकर एक अदालत में पेश किया गया और मामले की जांच के लिए उसे पुलिस हिरासत में लिया जाएगा।
गिरोह के खिलाफ अब तक क्या हुई कार्रवाई?
पुलिस के मुताबिक, अब तक गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 274 (दवाओं में मिलावट), 275 (मिलावटी दवाओं की बिक्री), 276 (भिन्न दवा तैयार करना और बिक्री), 420 (धोखाधड़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना), 120 बी (आपराधिक साजिश), और 34 (साझा इरादे) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
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