यूक्रेन का इसलिए साथ नहीं दे रहा भारत, जानें पश्चिमी देशों का दबाव क्यों नहीं आ रहा काम

Russia-Ukraine War : भारत का समर्थन नहीं मिलने पर पश्चिमी देश धीरे-धीरे अपनी असलियत दिखाने लगे हैं। दौरों एवं कश्मीर के जरिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। भारत आज अपनी शर्तों एवं जरूरतों पर आगे बढ़ रहा है। यह बात भी अमेरिका एवं पश्चिमी देशों को परेशान कर रही है।

भारत और रूस की दोस्ती समय पर परखी हुई है।

Russia-Ukraine War : बीते एक दशक में अमेरिका और भारत के संबंध बहुत गहरे हुए हैं। कूटनीति के जानकारों का कहना है कि दोनों देशों के रिश्तों के बीच इतनी गरमाहट पहले कभी नहीं रही। आपसी सहयोग के सभी क्षेत्रों-कारोबार, रक्षा, विज्ञान और तकनीक में दोनों देश काफी आगे बढ़े हैं। 2+2 वार्ता रणनीतिक एवं सामरिक साझेदारी को नई ऊंचाई पर ले गई है। बीते सालों में पश्चिमी देशों ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली एवं अन्य देशों के साथ भी भारत के आपसी संबंध काफी मजबूत और मधुर हुए है। पश्चिमी देशों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की केमेस्ट्री सहयोग के नए द्वार खोल चुकी है। लेकिन यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत की तटस्थता इन देशों को परेशान कर रही है।

रूस के खिलाफ प्रस्तावों से भारत ने बनाई है दूरी

अमेरिका सहित पश्चिमी देश ये चाहते हैं कि भारत खुलकर उनके साथ आए और यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करे। रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में लाए गए पश्चिमी देशों के सभी प्रस्तावों से भारत ने दूरी बनाकर एक तरह से रूस की ही मदद की है। यह बात पश्चिमी देशों को अखर रही है। सवाल है कि क्या यूक्रेन मसले पर क्या पश्चिमी देश भारत को अपने भरोसे में नहीं ले पाए हैं? या भारत को पश्चिमी देशों पर उन पर भरोसा नहीं है? ये दोनों बातें हो सकती हैं। विदेश नीति की अगर बात करें तो भारत अपनी गुटनिरपेक्षता की नीति पर चलता आया है। अपनी इस नीति के तहत वह किसी गुट में शामिल नहीं होता। गुटनिरपेक्षता की यह नीति जगजाहिर है।

बाचतीच से समस्या का हल निकालने पर जोर

यूक्रेन मसले पर तटस्थता की नीति अपनाकर पश्चिमी देशों को कई तरह के संकेत भी देना चाहता है। पहली तो यह कि यूक्रेन की समस्या पूरी दुनिया की समस्या नहीं है। दूसरा, वह बातचीत एवं कूटनीति के जरिए इस समस्या का हल निकालने पर जोर देता आया है। पश्चिमी देशों की मंशा है कि भारत उस देश के खिलाफ उनका समर्थन करे जो देश नई दिल्ली का सबसे ज्यादा भरोसेमंद एवं समय पर खरा उतरा साथी है। भारत और रूस के संबंध कितने पुराने एवं मजबूत हैं, इसे बताने की जरूरत नहीं। भारत की रक्षा जरूरतें रूस ही पूरा करता आया है। भारतीय सेनाओं में अभी भी सबसे ज्यादा हथियार मास्को से आए हैं। टैंक से लेकर मिसाइल निर्माण में रूस का योगदान सबसे ज्यादा है। गगनयान के लिए अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले अंतरिक्षयात्रियों को प्रशिक्षण रूस ही दे रहा है। दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली एस-400 की आपूर्ति रूस ही कर रहा है।

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