मिशन 2024 : सीट बंटवारे से लेकर PM चेहरे तक विपक्ष के सामने हैं अभी कई पेंच
INDIA Vs NDA : जाहिर है कि इस बार विपक्ष और एनडीए दोनों का कुनबा बढ़ा है। भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए विपक्ष में ऐसे दल भी साथ आए हैं जो राज्यों में एक दूसरे के विरोधी हैं। हालांकि, बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए इन्होंने अपने मतभेदों को फिलहाल टाल दिया है।
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए इस बार दिलचस्प होगा चुनावी मुकाबला।
INDIA Vs NDA : बेंगलुरु में विपक्ष के 26 दलों की बैठक और दिल्ली में एनडीए की बैठक के बाद लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चुनावी महासंग्राम का मंच तैयार हो चुका है। विपक्ष के इस गठबंधन ने अपने लिए नया नाम 'INDIA' चुना है। लोकसभा चुनाव आज से करीब नौ महीने बाद होगा लेकिन कौन सा दल किस तरफ होगा इसकी एक मोटी तस्वीर सामने आ गई है। कुछ राजनीतिक दल ऐसे भी हैं जो भाजपा और कांग्रेस के नेतृ्त्व वाले गठबंधन से दूरी बनाकर चुनाव लड़ेंगे।
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'INDIA' नाम पर विवाद
जाहिर है कि इस बार विपक्ष और एनडीए दोनों का कुनबा बढ़ा है। भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए विपक्ष में ऐसे दल भी साथ आए हैं जो राज्यों में एक दूसरे के विरोधी हैं। हालांकि, बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए इन्होंने अपने मतभेदों को फिलहाल टाल दिया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्ष ने जो अपना नाम दिया है, वह काफी अच्छा और रचनात्मक है लेकिन इस नाम पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोगों की राय है कि कोई पार्टी, व्यक्ति या संस्था खुद को देश का पर्याय कैसे बता सकती है। विपक्ष के इस नाम को लेकर पुलिस में शिकायत भी दर्ज हो गई है। हो सकता है कि यह मामला कोर्ट तक भी जाए।
...तो 'INDIA' पर भारी पड़ेगा NDA
फिलहाल खुद को 'INDIA'नाम देकर विपक्ष उत्साहित है और वह भाजपा पर मनोवैज्ञानिक बढ़त लेते दिखा है। लेकिन विपक्ष को यह ध्यान में रखना होगा कि चुनाव केवल नाम पर नहीं होते बल्कि काम पर होते हैं। 18 जुलाई को दिल्ली में एनडीए की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात को स्पष्ट रूप से रेखांकित करते हुए कहा कि आगामी चुनावों में वह बीते नौ साल में किए गए अपने विकास कार्यों को लेकर जाएंगे। एनडीए विकास के आधार पर ही लोगों से वोट मांगेगी। जाहिर है कि जब बात काम की होगी तो 'INDIA' पर NDA भारी पड़ेगा।
विपक्ष बनाएगा समन्वय समिति
केंद्र की सत्ता में वापसी के लिए बेताब विपक्ष आगे कितना एकजुट रहेगा, यह देखना काफी दिलचस्प है। अभी विपक्ष के 26 दल साथ नजर आ रहे हैं लेकिन इनकी अगली समस्या अब शुरू होगी। लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष अपना एक समन्वय समिति बनाएगा। इस समिति में विभिन्न दलों के 11 नेता शामिल होंगे। इस समिति का काम लोकसभा चुनाव का प्रबंधन देखना होगा। इस समिति में कौन-कौन नेता होंगे। समिति में जगह नहीं मिलने पर गठबंधन में शामिल विपक्ष के नेता नाराज भी हो सकते हैं। बहरहाल, इन 11 चेहरों की घोषणा मुंबई में होने वाली विपक्ष की अगली बैठक में होनी है।
सीट बंटवारे पर फंसेगा पेंच
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी पार्टियों के बीच सबसे बड़ा पेंच सींट बंटवारे को लेकर फंसने वाला है। जिस राज्य में जो भी दल ताकतवर है या सत्ता में है, वह साझा उम्मीदवार के लिए कितना समझौता करेगा, यह एक बड़ा प्रश्न है। अपनी राजनीतिक जमीन या सीटों से समझौता करना आसान नहीं होता। इसे देखते हुए विपक्ष में सीट बंटवारे पर सबसे ज्यादा रस्साकशी होनी तय है। खासकर उन राज्यों में जहां कांग्रेस और गठबंधन में शामिल पार्टियां आमने-सामने हैं। दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी के बीच सीटों का बंटवारा आसान नहीं रहने वाला है। यही नहीं केजरीवाल की पार्टी गुजरात, गोवा और हिमाचल प्रदेश में सीटों पर दावा कर सकती है।
बंगाल में ममता दिखा पाएंगी उदारता?
बंगाल में टीएमसी के खिलाफ कांग्रेस और वाम दल हैं। पंचायत चुनाव में हुई हिंसा को लेकर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ममता सरकार पर हमलावर रहे हैं। वाम दल भी सीट बंटवारे को लेकर अपनी दावेदारी कमजोर नहीं करेंगे। खुद ममता बनर्जी कांग्रेस और वाम दल को कितनी सीटें देने के लिए तैयार होंगी, यह देखने वाली बात होगी। विपक्ष में सीट बंटवारे को लेकर अगर सहमति नहीं बनी तो एनडीए से मुकाबला करने का इनकी पूरी योजना विफल हो सकती है। इस 'INDIA' का चेहरा या पीएम पद का उम्मीदवार कौन होगा, विपक्ष के नेताओं में इसकी भी होड़ मच सकती है। ये ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना विपक्षी गठबंधन को करना होगा।
118 सीटों पर हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
सीट बंटवारे, गठबंधन के चेहरे एवं पीएम उम्मीदवार पर यदि विपक्ष के बीच सहमित यदि बन भी गई तो चुनावी महासमर आसान नहीं रहने वाला है। लोकसभा की 543 सीटों में से ज्यादातर सीटों पर 'INDIA' के उम्मीदवारों का सामना एनडीए के प्रत्याशी से होगा। 2019 के लोकसभा चुनावों की अगर बात करें तो 224 सीटों पर भाजपा 50 प्रतिशत से ज्यादा वोटों से जीती थी। इन 224 सीटों में से 120 सीटों पर भाजपा ने कांग्रेस को सीधे मुकाबले में हराया था। इस बार 118 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। इन 118 सीटों बसपा और सपा में गठबंधन की वजह से यूपी में भाजपा को सीटों का नुकसान हुआ। 2019 में 14 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में भाजपा को 50 फीसदी से अधिक वोट मिले थे। जाहिर है कि वोटों के इस अंतर की खाई को पाटना विपक्ष के लिए काफी मुश्किल होगा।
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