अबूझमाड़ का घना-अंधेरा जंगल, खतरनाक रास्ते और नदियां...सुरक्षाबलों ने जान दांव पर लगाकर ऐसे किया 31 नक्सलियों को ढेर

दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले के बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया। इसमें करीब 1000 जवानों 31 नक्सलियों को मार गिराया। इसे कैसे दिया गया अंजामा जानिए।

Naxal

नक्सलियों के खिलाफ अभियान

Biggest Naxal operation in Abujmarh forest: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च-2026 की डेडलाइन दी थी और नक्सलवाद के खात्मे की ओर देश का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन हो गया। टाइम्स नाऊ नवभारत इस ऑपरेशन को दिखाने के लिए अबूझमाड़ के घने जंगलों में पहुंच गया। दंतेवाड़ा मुख्यालय से करीब 150 किलोमीटर का सफर कार, बाइक और फिर पैदल पार किया गया। जंगल की पगडंडियों से इंद्रावती नदी में मिलने वाले 8 नालों को बाइक और पैदल सफर करते हुए टाइम्स नाऊ नवभारत 25 किलोमीटर का सफर तो सांसें फुला देने वाला था, लेकिन यहां पहुंचे तो जवानों के शौर्य के निशान बिखरे पड़े थे। जवानों ने यहां 31 नक्सलियों को ढेर किया था।

नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन

दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले के बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया। इसमें करीब 1000 जवानों 31 नक्सलियों को मार गिराया। पुलिस के जवान 3-4 पहाड़ और नदी-नाले पार कर नक्सलियों के ठिकाने पर पहुंचे थे। लाखों की ईनामी नक्सली जिसकी लंबे समय से तलाश थी, उसकी डायरी भी यहां मिली। इसके साथ ही जिंदा मोर्टार, गोलियां असलहा, यहां सब कुछ मिला।

अबूझमाड़ के जंगल में हर वक्त अंधेरा

ये ऑपरेशन बेहद चुनौतीभरा था। अबूझमाड़ के जंगल में अब तक जवानों ने इतने बड़े ऑपरेशन को अंजाम नहीं दिया था। कई पहाड़ों और इन्द्रावती में मिलने वाले नालों को पार करना पड़ा जहां कमर तक पानी भरा हुआ था। अमावस की रात थी, घनघोर अंधेरा था। अबूझमाड़ के जंगल में दिन में भी अंधेरा दिखाई देता है और ऐसी जगह पर ही ऑपरेशन करना था। पहाड़ की ऊपर की तरफ नक्सलियों की मौजूदगी का डर था। ऊपर से नक्सली जवानों को आसानी से टारगेट बना सकते थे। नक्सली AK47, एसएलआर, इंसास जैसी राइफलों और LMG मोर्टार से लैस थे।
थुलथुली गांव जहां ये ऑपरेशन हुआ वो, वहां के भोलेभाले आदिवासी लगातार गोलियों की तड़तड़ाहट सुनते रहे। अबूझमाड़ के जंगल में जहां दिन में भी कोई जाने से डर जाए, वहां पर 31 नक्सलियों को जवानों ने ढेर कर दिया। यह अब तक के नक्सली अभियान इतिहास का सबसे सफल नक्सल ऑपरेशन है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक नक्सलियों के समूल नाश का संकल्प लिया है। अब देखना होगा कि ये इस तरह के ऑपरेशन से सरकार की संकल्प सिद्धि कितनी जल्दी पूरी होती है।

31 नक्सली हुए ढेर, 1.5 करोड़ का था ईनाम

पांच अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में शुक्रवार को सुरक्षा बलों से हुई मुठभेड़ में मारे गए 31 नक्सलियों में से 16 की पहचान वरिष्ठ नक्सलियों के रूप में हुई है, जिन पर कुल 1.30 करोड़ रुपये से अधिक का ईनाम था। अधिकारी ने बताया कि मारे गए नक्सलियों में से माओवादियों के सबसे मजबूत संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) की महिला सदस्य नीति उर्फ उर्मिला पर 25 लाख रुपये का ईनाम था। उन्होंने बताया कि राज्य में वह इस वर्ष सुरक्षाकर्मियों से हुई मुठभेड़ में मारे गए डीकेएसजेडसी की चौथी सदस्य है।

थुलथुली और नेंदूर गांव के बीच ऑपरेशन

नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले की सीमा में थुलथुली और नेंदूर गांव के बीच अबूझमाड़ क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में 13 महिलाओं समेत 31 नक्सली मारे गए। मारे गए नक्सलियों में से 16 की पहचान कर ली गई है, जबकि अन्य की पहचान अभी नहीं हो पाई है। पुलिस ने बताया कि माओवादियों के डीकेएसजेडसी की सदस्य नीति माओवादियों के पूर्वी बस्तर संभाग का नेतृत्व कर रही थी, जो पांच जिलों- नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, बीजापुर और कोंडागांव के जंक्शन में सक्रिय था। डीकेएसजेडसी छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के अलावा पड़ोसी आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में माओवादी गतिविधियों को अंजाम देता है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मृतकों में दो अन्य प्रमुख नक्सलियों की पहचान सुरेश सलाम और मीना मड़कम के रूप में हुई है, जो संभागीय कमेटी सदस्य थे और उनके उनपर आठ-आठ लाख रुपये का ईनाम था। उन्होंने बताया कि आठ नक्सलियों की पहचान पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) कंपनी नंबर छह के सदस्यों के रूप में और पांच की पहचान माओवादियों के क्षेत्रीय कमेटी के सदस्यों के रूप में हुई है। पुलिस अधिकारी ने बताया, इन 16 नक्सलियों पर 1.30 करोड़ से अधिक का ईनाम था। उन्होंने कहा कि 15 अन्य सदस्यों की पहचान की कोशिश की जा रही है। (इनपुट सत्येंद्र शर्मा)
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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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