संविधान में कब और कैसे आया 'समाजवाद', 'धर्मनिरपेक्ष'? समझिए आखिर क्या है असल विवाद

Political Controversy: संसद का विशेष सत्र चल रहा है, इस बीच दो शब्दों को लेकर एक नया विवाद छिड़ गया है। 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द पर सियासत गरमा गई है। क्या आप जानते हैं कि संविधान में इन दोनों शब्दों को कब शामिल किया गया और ये प्रस्तावना का हिस्सा कैसे बने? आपको इस नए विवाद की असल वजह समझाते हैं।

संविधान में समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द को लेकर छिड़ा नया विवाद।

Controversy On Constitution: संविधान के मूल निर्माताओं ने प्रस्तावना में 'समाजवाद', 'पंतनिरपेक्ष' और 'अखंडता' शब्द शामिल करने की जरूरत महसूस नहीं की थी। मगर जब वर्ष 1976 में संविधान का 42वां संशोधन किया गया तो इसमें तीन नए शब्दों (समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता) को जोड़ा गया। ये उस वक्त की बात है, जब देश में इंदिरा गांधी की आपातकालीन सरकार थी। आज संविधान में शामिल 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द को लेकर नया सियासी कोहराम मच गया है।

42वें संशोधन के बाद संविधान की प्रस्तावना

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी , पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए,

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो...और देखें

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