सुलेमानी, रईसी, हानियेह और अब नसरल्लाह, ईरान के सुरक्षा तंत्र में है कोई भेदिया! अपने दुश्मनों को ठिकाने लगा रहे इजरायल-अमेरिका

Israel Hezbollah War: नसरल्लाह को मारना इतना आसान नहीं था। वह हिजबुल्ला का सबसे बड़ा कमांडर और चीफा था। वह कहां आता-जाता है और कहां रुकता है, इसकी जानकारी बेहद गोपनीय रखी जाती थी। उसकी गतिविधियों के बारे में बहुत ही खास लोगों को जानकारी रहती थी। इजरायल बहुत लंबे समय से उस पर नजर रख रहा था।

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ईरान में इजरायल का कोई जासूस हो सकता है।

मुख्य बातें
  • बीते शुक्रवार को इजरायल के हमले में मारा गया हसन नसरल्लाह
  • दाहियेह की एक इमारत के नीचे बने मुख्यालय में छिपा हुआ था हिजबुल्ला का नेता
  • बताया जा रहा है कि नसरल्लाह की लोकेशन इजरायल को ईरान से मिली
Israel Hezbollah War: बीते शुक्रवार की रात हिजबुल्लाह का चीफ हसन नसरल्लाह मारा गया। इजरायल को जैसे ही उसके ठिकाने के बारे में पता चला, उसने ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि एफ-35 विमानों ने इजरायल से उड़ान भरी और दक्षिणी बेरूत के दाहियेह की उस इमारत में भीषण बमबारी की। एफ-35 पांचवीं पीढ़ी और स्टील्थ फीचर से लैस अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हैं। ये रडार की पकड़ में नहीं आते। दूसरा, लेबनान या हिजबुल्ला के पास ऐसा प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है जो हवाई हमलों से उसका बचाव कर सके। इजरायल के फाइटर प्लेन आए और बम बरसाकर चले गए। इस भीषण बमबारी में हिजबुल्ला सहित उसके करीब टॉप 20 कमांडर ढेर हो गए। इमारत पर करीब 80 टन की बमबारी हुई। आईडीएफ का कहना है कि उसके इस हमले में आस पास की छह इमारतें भी जमींदोज हुईं।

नसरल्लाह के ठिकाने के बारे में दी सटीक जानकारी

दरअसल, नसरल्लाह को मारना इतना आसान नहीं था। वह हिजबुल्ला का सबसे बड़ा कमांडर और चीफा था। वह कहां आता-जाता है और कहां रुकता है, इसकी जानकारी बेहद गोपनीय रखी जाती थी। उसकी गतिविधियों के बारे में बहुत ही खास लोगों को जानकारी रहती थी। इजरायल बहुत लंबे समय से उस पर नजर रख रहा था लेकिन सटीक जानकारी उसके पास भी नहीं थी। रिपोर्टों में दावा किया गया है कि नसरल्लाह दाहियेह के जिस इमारत में था, उस ठिकाने की सटीक जानकारी ईरान से मोसाद को मिली। कहा जा रहा है कि ईरान के सुरक्षा तंत्र में बैठे इस शख्स ने इजरायल को बताया कि नसरल्लाह दाहियेह के अपने मुख्यालय में छिपा हुआ है और कुछ घंटों बाद वह वहां से निकल जाएगा। फिर क्या था सटीक और पुख्ता इनपुट मिलने के बाद आईडीएफ ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से, जो कि उस समय संयुक्त राष्ट्र के अधिवेशन के लिए न्यूयॉर्क में थे, उनसे ऑपरेशन की मंजूरी ली। नेतन्याहू ने इनपुट की सटीकता के बारे में जानकारी लेने के बाद आडीएफ को ऑपरेशन की मंजूरी दे दी।

ईरान के सुरक्षा तंत्र में लगी सेंध

अगर यह बात सही है तो ईरान के सुरक्षा तंत्र सवालों के घेरे में है। उसकी सुरक्षा तंत्र में कोई न कोई ऐसा है जो इजरायल के दुश्मनों से जुड़ी गोपनीय जानकारी उस तक पहुंचा रहा है। जाहिर है कि ईरान की सुरक्षा में इजरायल की सेंध लग चुकी है। यह बात यूएन में नेतन्याहू की स्पीच से भी साफ होती है। उन्होंने ईरान को सीधे तौर पर चेतावनी दी। इजरायल के पीएम ने कहा कि ईरान यह नहीं समझे कि उसके दुश्मन वहां सुरक्षित हैं, वे ईरान में कहीं भी छिपे हों, उसकी पहुंच से दूर नहीं है। यानी कि वह जब चाहे उन्हें निशाना बना सकता है। यह धमकी ऐसे नहीं थी। इसके पीछे वही इजरायल के जासूस या भेदिया हैं, जो गोपनीय जानकारियां मुहैया करा रहे हैं और इस सटीक इनपुट के बाद इजरायल अपने ऑपरेशन प्लान कर रहा है।

तेहरान में मारा गया हमास का नेता हानियेह

ईरान में इजरायल का जासूस होने की रिपोर्टें उस समय भी आईं जब तेहरान में हमास के सबसे बड़े नेता इस्माइल हानियेह की हत्या हुई। हानियेह ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए तेहरान गया था। तेहरान के जिस गेस्ट हाउस में वह ठहरा हुआ था, वह अति संवेदनशील इलाके में स्थित है। यही नहीं हानियेह की सुरक्षा ईरान की तेज तर्रार और सबसे काफिल फोर्स आईआरजीसी के लोग कर रहे थे, फिर भी वह नहीं बच सका। उसके अपार्टमेंट हुए विस्फोट में हानियेह की मौत हो गई। हानियेह के मारे जाने के बाद पूरी दुनिया ने माना कि यह हत्या इजरायल ने कराई। हालांकि, इजरायल ने हानियेह की हत्या पर कुछ नहीं कहा। ईरान में इजरायल के जासूस और भेदिया होने की बातें उस समय भी आईं जब राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और और आईआरजीसी के जनरल सुलेमानी मारे गए।

2020 में कुद्स फोर्स के चीफ सुलेमानी की हत्या

इसी साल मई में राष्ट्रपति रईसी का हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे के पीछे इजरायल का हाथ होने की आशंका जताई जाती है। हालांकि, इजरायल ने अपना हाथ होने से इंकार किया। उसने कहा कि इस हादसे से उसका कोई लेना-देना नहीं। चार साल पहले साल 2020 में आईआरजीसी के कुद्स फोर्स के चीफ कासिम सुलेमानी की हत्या हुई। बगदाद में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में सुलेमानी की हत्या हुई। इस हमले की ज़िम्मेदारी अमरीकी ने ली। बताया जाता है कि सुलेमानी की गतिविधियों और उनके काफिले की सटीक जानकारी अमेरिका तक पहुंचाई गई थी। ये हत्याएं इशारा करती हैं कि ईरान की व्यवस्था में ऐसी जगह पर कोई न कोई है जो अमेरिका और इजरायल के हाथों बिक गया है। वह खुफिया जानकारी और संवेदनशील इनपुट दे रहा है और इन खुफिया इनपुट के आधार पर दोनों देश अपने दुश्मनों को एक-एक कर ठिकाने लगा रहे हैं।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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