ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ा, डॉक्टर से रेप-हत्या मामले में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ? पढ़ें 10 बड़ी बातें

Supreme Court: कोलकाता में डॉक्टर से रेप और हत्या मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा कि हजारों लोगों की भीड़ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कैसे घुसी। अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को प्रदर्शनकारियों पर बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या-क्या हुआ।

Kolkata Doctor Rape Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में चिकित्सक के साथ दुष्कर्म-हत्या मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने कहा कि उसने स्वत: संज्ञान लिया है क्योंकि यह मामला देशभर में चिकित्सकों की सुरक्षा से जुड़े व्यवस्थागत मुद्दे को उठाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। आपको 10 पॉइंट में समझाते हैं कि सुनवाई में क्या कुछ हुआ।

1). 'पीड़िता का नाम, तस्वीरें और वीडियो मीडिया में छाया'

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ मामले की सुनवाई की। सीजेआई ने कहा यह अब केवल अस्पताल में बलात्कार के एक विशेष मुद्दे से संबंधित मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा के प्रणालीगत मुद्दे से संबंधित है। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि वे सभी इंटर्न, रेजिडेंट डॉक्टर और सबसे महत्वपूर्ण महिला डॉक्टर हैं। अधिकांश युवा डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं। हमें काम की सुरक्षित स्थिति सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और उनके लिए सुरक्षित माहौल नहीं है, तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। सबसे पहले, हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि पीड़िता का नाम मीडिया में छा गया है, तस्वीरें और वीडियो मीडिया में छा गए हैं, यह बेहद चिंताजनक है।

सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर से रेप-हत्या मामले में की सुनवाई।

तस्वीर साभार : BCCL

2). 'कोई FIR नहीं थी, जिससे स्पष्ट हो कि यह हत्या का मामला है'

सीजेआई ने कहा कि निपुण सक्सेना मामले में हमने फैसला सुनाया है कि हम पीड़ितों का नाम प्रकाशित नहीं करेंगे। क्या इस तरह से हम उस युवा डॉक्टर को सम्मान प्रदान कर सकते हैं जिसने अपनी जान गंवा दी है? प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा लगता है कि अपराध का पता सुबह-सुबह ही लग गया था, प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या का मामला बताने की कोशिश की, माता-पिता को शव देखने की अनुमति नहीं दी गई। पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से पेश हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह सही नहीं है। जिसके बाद सीजेआई ने कहा कि कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। सिब्बल ने सीजेआई को जवाब देते हुए कहा कि जांच की गई और तुरंत एफआईआर दर्ज की गई। जांच से पता चलता है कि यह हत्या का मामला है। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि कोई एफआईआर नहीं थी, जिससे यह स्पष्ट हो कि यह हत्या का मामला है।
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