CM पद पर खत्म हुआ कर्नाटक का 'नाटक', इन वजहों से DK पर भारी पड़ गए सिद्दा

Siddaramaiah Vs DK Shivakumar : सूत्रों की मानें तो सीएम पद पर कलह शांत करने के लिए कांग्रेस ने दो फॉर्मूले पेश किए। पहला फॉर्मूला ढाई-ढाई साल का सीएम पद का था। दूसरा अहम पदों के साथ डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाना। बताया जाता है कि शिवकुमार पहले फॉर्मूले के लिए तैयार दिखे लेकिन उन्होंने पहले ढाई साल सीएम बनने की शर्त लगा दी।

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कर्नाटक के सीएम बनेंगे सिद्दारमैया।

Siddaramaiah Vs DK Shivakumar : कर्नाटक में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर कांग्रेस में चल रही उठापठक खत्म हो गई है। सूत्रों की मानें तो कर्नाटक की कमान सिद्दारमैया के हाथों में होगी और वह सीएम बनाए जाएंगे। जबकि डीके शिवकुमार को अहम विभागों के साथ डिप्टी सीएम बनाया जाएगा। बता दें कि 13 मई को आए चुनाव नतीजों में कांग्रेस को भारी जीत मिली। इसके बाद सीएम पद को लेकर सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार के बीच खींचतान शुरू हो गई। कांग्रेस के दोनों नेताओं ने सीएम पद पर अपना दावा पेश कर पार्टी आलाकमान को पसोपेश में डाल दिया। कोई भी झुकने के लिए तैयार नहीं था। अपने दोनों नेताओं को तेवर को देखते हुए कांग्रेस ने इन्हें दिल्ली तलब किया।

कांग्रेस ने दो फॉर्मूले पेश किए थे

दिल्ली पहले सिद्दारमैया पहुंचे और इसके एक दिन बाद डीके शिवकुमार। दोनों नेताओं की मुलाकात पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से हुई। सूत्रों की मानें तो सीएम पद पर कलह शांत करने के लिए कांग्रेस ने दो फॉर्मूले पेश किए। पहला फॉर्मूला ढाई-ढाई साल का सीएम पद का था। दूसरा अहम पदों के साथ डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाना। बताया जाता है कि शिवकुमार पहले फॉर्मूले के लिए तैयार दिखे लेकिन उन्होंने पहले ढाई साल सीएम बनने की शर्त लगा दी।

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सीएम पद की जोर-आजमाइश में भारी पड़े सिद्दारमैया

हालांकि, इस फॉर्मूले पर बात नहीं बनी। सूत्र बताते हैं कि खड़गे के काफी समझाने-बुझाने के बाद शिवकुमार अहम विभागों के साथ डिप्टी सीएम बनने के लिए तैयार हुए हैं। यानी अब कर्नाटक में सीएम पद को लेकर दोनों नेताओं के बीच चल रही खींचतान के अध्याय का अब समापन हो गया। रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि 20 मई यानी शनिवार को सीएम पद के लिए सिद्दारमैया एवं डिप्टी सीएम पद के लिए डीके शिवकुमार को शपथ दिलाया जाएगा। कर्नाटक में सीएम पद को लेकर दोनों नेताओं में हुई जोर-आजमाइश में सिद्दारमैया भारी पड़ गए। यहां हम समझेंगे कि शिवकुमार पर सिद्दारमैया कैसे भारी पड़ गए-

सर्वे में पिछड़ गए थे शिवकुमार

रिपोर्टों के मुताबिक चुनाव के बाद लोकनीति नेटवर्क और सीएसडीएस के सर्वे में मुख्यमंत्री पद के लिए 39 प्रतिशत लोगों की पसंद सिद्धारमैया थे। पहले के एक सर्वे में ऑमुख्यमंत्री पद के लिए शिवकुमार के नाम का समर्थन केवल चार प्रतिशत लोगों ने किया था।

सिद्दा की लोकप्रियता शिवकुमार से ज्यादा

कर्नाटक में सिद्दारमैया की लोकप्रियता डीके शिवकुमार से ज्यादा है। उनकी सादगी एवं बेबाक बोल का अंदाज लोगों को काफी पसंद आता है। सिद्धारमैया हमेशा गरीबों के पक्ष में आवाज उठाते रहे हैं। सरकार को चलाने का हुनर उन्हें अच्छी तरह से आता है। ये सारी बातें उनके पक्ष में गई हैं।

धर्मनिरपेक्ष छवि से मिली मदद

सिद्दारमैया कर्नाटक के कुरुबा समुदाय से आते हैं। इस समुदाय की आबादी लिंगायत एवं वोक्कालिगा जैसी तो नहीं है लेकिन इतनी कम भी नहीं है कि इसे नजरंदाज किया जाए। राज्य में कुरुबा समुदाय की आबादी करीब आठ प्रतिशत है। अपने समाज के अलावा मुस्लिम समुदाय भी सिद्दारमैया को पसंद करता है। सांप्रदायिकता के खिलाफ उनका रुख एवं धर्मनिरपेक्ष छवि ने भी इस कुरुबा नेता को सीएम पद तक पहुंचाने में मदद की है।

जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में शिवकुमार

डीके शिवकुमार पर कई केस दर्ज हैं। उन पर आयकर और दूसरे केंद्रीय कानूनों के उल्लंघन के आरोप हैं। इन आरोपों के चलते उनसे जुड़े ठिकानों पर कानूनी एजेंसियों का छापा पड़ा। खुद शिवकुमार को जेल जाना पड़ा। शिवकुमार को सीएम बनाने को लेकर कांग्रेस हिचक भी रही थी। उसे लगता है कि सीएम बनाए जाने पर केंद्रीय एजेंसियों उनके पीछे पड़ जाएंगी। इससे पार्टी की छवि को नुकसान उठाना पड़ा सकता है। दूसरा वह सिद्दारमैया को नाराज को भाजपा को 'ऑपरेशन लोटस' चलाने का कोई मौका नहीं देना चाहती।

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आलोक कुमार राव author

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