635 कमरे, 34 गुंबद, 300 सीसीटीवी कैमरे...तेलंगाना के नए सचिवालय की भव्यता हैरान कर देगी
यह सचिवालय महज 26 महीने में बनकर तैयार हो गया है। इसकी एक से बढ़कर एक खासियतें आपको हैरान जरूर करेंगी। आपको बता रहे हैं इससे जुड़ी हर जानकारी।
तेलंगाना का नया सचिवालय
Telangana New Secretariat: तेलंगाना में रिकॉर्ड समय में भव्य सचिवालय तैयार हो गया है। तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने रविवार को इसका उद्घाटन किया। इसकी भव्यता देखते ही बनती है। इसे अगर देश का सबसे भव्य सचिवालय कहा जाए तो गलत नहीं होगा। सामान्य तौर पर ऐसे भवन को बनने में करीब 5 साल का वक्त लगता है। लेकिन यह सचिवालय महज 26 महीने में बनकर तैयार हो गया है। इसकी एक से बढ़कर एक खासियतें आपको हैरान जरूर करेंगी।
संयुक्त आंध्र प्रदेश के पुराने सचिवालय में थी कई दिक्कतें
तेलंगाना राज्य के गठन के बाद सीएम केसीआर के नेतृत्व वाली पहली सरकार ने तत्कालीन संयुक्त आंध्र प्रदेश के सचिवालय भवन से नए राज्य का प्रशासन शुरू किया था। हालांकि, पुराने राज्य सचिवालय में पर्याप्त सुविधाओं की कमी थी और कर्मचारियों और यहां आने वालों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। बार-बार छत का गिरना, शॉर्ट-सर्किट, अच्छी कैंटीन के लिए जगह की कमी, पार्किंग सुविधाओं की कमी, प्रशासनिक समस्याएं और विभागों के बीच समन्वय की कमी बड़े मुद्दे थे। इसे ध्यान में रखते हुए केसीआर ने एक नया सचिवालय बनाने का फैसला लिया था।
27 जून, 2019 को रखी गई थी आधारशिला
पुराने भवन की स्थिति का अध्ययन करने के लिए राज्य सड़क और भवन मंत्री वेमुला प्रशांत रेड्डी की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया गया। कैबिनेट उप-समिति ने केसीआर को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया था कि सचिवालय प्रशासनिक काम करने लायक अच्छी हालत में नहीं है। तेलंगाना ने आरएंडबी इंजीनियर-इन-चीफ की अध्यक्षता में सिंचाई और पंचायत राज विभागों के इंजीनियर-इन-चीफ के साथ एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। इस समिति ने एक व्यापक अध्ययन किया और कई कमियों की पहचान की और उच्च मानकों के साथ एक नया भवन बनाने की सिफारिश की। सीएम केसीआर ने 27 जून, 2019 को नए सचिवालय के निर्माण की आधारशिला रखी थी।
जानिए खासियतें
- इसका निर्माण 26 महीने में पूरा किया गया है। आमतौर पर इस तरह के प्रोजेक्ट को पूरा करने में पांच साल लग जाते हैं।
- 300 सीसीटीवी कैमरे और 300 पुलिसकर्मियों से निगरानी
- गुंबदों और खंभों को बनाने के लिए गैल्वेनाइज्ड रीइन्फोर्स्ड कंक्रीट (जीआरसी) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
- खंभे खड़ा करने में छह महीने का समय लगा।
- रोजाना तीन हजार से ज्यादा मजदूर काम करते थे।
- लाल बलुआ पत्थर के कुल 1,000 लॉरी का इस्तेमाल किया गया।
- भवन निर्माण के लिए 617 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हो चुकी है।
- अब तक 550 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। निर्माण लागत में अनुमान से 20-30% की वृद्धि हुई है।
- इस छह मंजिला सचिवालय में 635 कमरे हैं।
- एसी के लिए अलग से प्लांट लगाया गया है।
- इसमें 24 लिफ्ट लगाई गई हैं।
- 5.60 लाख लीटर पानी स्टोर करने की व्यवस्था की गई है।
- बिजली बचाने के लिए सोलर पैनल लगाए गए हैं।
- इसमें विशेष 30 सम्मेलन कक्ष हैं।
- भवन का निर्माण कुल 28 एकड़ क्षेत्रफल में से ढाई एकड़ में किया गया है।
- सचिवालय के सामने दो बैंक, डाकघर, एटीएम काउंटर, रेलवे काउंटर, बस काउंटर और कैंटीन है।
- सचिवालय के पीछे कर्मचारी संघ, इंडोर गेम्स और हाउसिंग सोसायटी के कार्यालय के लिए चार मंजिला भवन का निर्माण किया गया है
- यहां एक-एक मंदिर, मस्जिद और चर्च भी बनाए गए हैं।
- इसमें एक स्वागत कक्ष, एनआरआई केंद्र, प्रचार सेल और मीडिया के लिए कमरों का निर्माण किया गया है।
- नए सचिवालय से मंत्री सहित सभी अधिकारी काम करेंगे, शिकायतें लेकर आने वाले लोगों को त्वरित समाधान मिलेगा।
- सुरक्षा की दृष्टि से स्मार्ट कार्ड के साथ पास देने पर विचार किया जा रहा है।
- छठी मंजिल पर गुंबद के बीच 4,500 वर्ग फुट क्षेत्रफल वाली दो मंजिलें बनी हैं।
- इनका इस्तेमाल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राजकीय यात्रा पर आए विदेशी मेहमानों के लिए किया जाएगा।
- रॉयल डाइनिंग हॉल फारसी मॉडल के आधार पर बनाए गए हैं।
- भवन में रॉयल कॉन्फ्रेंस हॉल भी हैं
- यहां कुल चार गेट बनाए गए हैं
- सीएम, सीएस, डीजीपी, मंत्री और जनप्रतिनिधि मुख्य द्वार से पूर्व दिशा में आएंगे।
- आपातकालीन स्थिति में पश्चिमी दरवाजे का उपयोग किया जाएगा।
- सभी विभागों के कर्मचारी उत्तर-पूर्व द्वार से आएंगे।
- विजिटर्स दक्षिण-पूर्व द्वार से प्रवेश कर सकते हैं।
- जगह-जगह पार्किंग की व्यवस्था की गई है।
- भवन में विशाल लॉन और विशाल फव्वारे हैं।
- एक विशाल पोर्टिको वाला मुख्य प्रवेश द्वार सचिवालय भवन की सुंदरता को बढ़ाता है।
यहां से मिली प्रेरणा
सचिवालय के गुंबदों को निजामाबाद में काकतीय काल के नीलकंठेश्वरस्वामी मंदिर, गोपुरम और वनपार्थी संस्थानम (रियासत राज्य) के महलों के डिजाइन और सारंगपुर (गुजरात) में हनुमान मंदिर के पैटर्न की तर्ज पर स्टाइल किया गया है। सभी तपड़े लाल बलुआ पत्थर से बने हैं और बीच में शिखर जैसी मीनारें धौलपुर, राजस्थान से लाए गए बलुआ पत्थर से बनी हैं।
केसीआर का ड्रीम प्रोजेक्ट
नया भवन प्रशासनिक सुविधा और बेहतर शासन के उद्देश्य से सीएम केसीआर के विचार के अनुरूप बनाया गया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अग्निशमन विभाग, जीएचएमसी और अन्य विभागों से जरूरी अनुमति हासिल करने के बाद सरकार ने जनवरी 2021 में निर्माण कार्य शुरू किया था। महामारी के कारण 45-45 दिनों के लिए दो बार काम ठप रहा। हालांकि, निर्माण पूरा करने के लिए अधिक श्रमिकों को काम में लगाया गया था। शुरुआत में 1,500 कर्मचारी काम पर लगे थे, लेकिन बाद में इसकी संख्या 4,000 तक पहुंच गई।
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