बढ़ी रियाद और तेहरान की करीबियां, पश्चिम एशिया के हालातों पर पड़ेगा सीधा असर

चुनौतीपूर्ण हालातों के बीच तेहरान और रियाद ने काफी नफ़ासत के साथ अपने रिश्तों को कायम रखा। इस्राइल-ईरान संघर्ष का प्रथम दृष्टया असर अरब की खाड़ी में लगभग ना के बराबर ही रहा।

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान

पश्चिम एशिया में फैली जंगी अफरातफरी के बीच सऊदी अरब ने मामले में दखल दिया। बीते हफ्ते की शुरूआत में हुए एक अहम कार्यक्रम के दौरान सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की तकरीर में इस्राइल को लेकर तल्खी दिखी, उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि तेल अवीव को तेहरान की अक्षुण्णता का सम्मान करते हुए ईरानी सरजमीं पर हमले करने से गुरेज करना चाहिए। इसी क्रम में क्राउन प्रिंस के इशारे पर अपने इरादे जाहिर करते हुए सऊदी विदेश मंत्रालय ने गुजरे महीने जारी अपने बयान में कहा कि, तेहरान पर किया जाने वाले हमला ईरानी संप्रुभता पर सीधा आघात है, साथ ही ये स्थापित अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का खुला मखौल है।

तेहरान के पक्ष में क्राउन प्रिंस

इस प्रकरण की रोशनी में "बीजिंग समझौते" को समझा जाना बेहद जरूरी है। साल 2023 में हुए इस समझौते ने सुन्नी राष्ट्र सऊदी और शिया बहुल मुल्क ईरान के बीच पुल का काम किया। बीजिंग की अगुवाई वाली मध्यस्थता के साथ शुरू हुए इस समझौते को लेकर साझा सहमति के प्रति रियाद और तेहरान ने प्रतिबद्धता जाहिर की थी। कतर के नक्शे कदम पर सऊदी अरब पश्चिम एशिया में बड़े खैरख्वाह के किरदार में आने के लिए बेताब है। वो लगातार ऐसी कवायदों को धार दे रहा है ताकि मध्यपूर्व में तनाव कम हो सके, इसके लिए वो संवाद, कूटनीतिक माध्यम और मध्यस्थता के विकल्पों का खाका तैयार कर रहा है। जगजाहिर है कि सऊदी के इस नजरिए के पीछे क्राउन प्रिंस का हाथ है, उनका मानना है कि इस्राइल फिलिस्तीनी कौम का सफाया कर रहा है। तेल अवीव की इन हरकतों से पश्चिमी एशिया का क्षेत्रीय सुरक्षा नेटवर्क समेत शक्ति संतुलन अपंग हो चुका है। इस्राइली जंगी कार्रवाई फिलिस्तीनियों को उनके हकोहुकूक से दूर कर इलाके में शांति बहाली की कोशिश को कमजोर कर रही है।

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