देशभर में झटके लेकिन मध्य प्रदेश में चमत्कार, जानिए BJP के 'मिशन 29' के सफल होने की इनसाइड स्टोरी
बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के कॉन्सेप्ट पर सबसे पहले काम कुशाभाऊ ठाकरे ने शुरू किया था। इस कॉन्सेप्ट को बीजेपी के अध्यक्ष रहने के दौरान अमित शाह ने मिशन मोड पर आगे बढ़ाने का फैसला किया।
मध्य प्रदेश में बीजेपी का सफल मिशन
Mission-29 Success in Madhya Pradesh: केंद्र में नई सरकार का गठन हो चुका है लेकिन चुनाव के परिणामों का विश्लेषण लगातार चल रहा है। पूरे देश में ही ये चर्चा का विषय है कि एक ओर जहां हिंदी भाषी राज्यों में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा, वहीं मध्य प्रदेश में ऐसा क्या चमत्कार हुआ कि सभी 29 लोकसभा सीटें बीजेपी की झोली में आ गिरीं। इतना ही नहीं कमलनाथ का गढ़ मानी जा रही छिंदवाड़ा सीट भी एक लाख से ज्यादा वोट से बीजेपी के हिस्से आई। यह चमत्कार हुआ कैसे, इसे समझने के लिए अब से ठीक दो साल पीछे चलते हैं। 27 जून 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 'मेरा बूथ, सबसे मजबूत' कार्यक्रम की शुरुआत की थी। मध्य प्रदेश वह राज्य था, जहां पर बीजेपी संगठन ने बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य सबसे बेहतर हासिल किया।
कुशाभाऊ ठाकरे ने की थी शुरुआत
दरअसल, बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के कॉन्सेप्ट पर सबसे पहले काम कुशाभाऊ ठाकरे ने शुरू किया था। इस कॉन्सेप्ट को बीजेपी के अध्यक्ष रहने के दौरान अमित शाह ने मिशन मोड पर आगे बढ़ाने का फैसला किया। 2014 के बाद से बीजेपी बूथ मजबूत करने के अभियान को आगे बढ़ाने में जुटी हुई थी। 27 जून 2023 में राष्ट्रीय अभियान के तौर पर इसे शुरू किया गया और शुरुआत मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से की गई। यहां पर 3000 बूथ कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया गया। इन्हीं कार्यकर्ताओं को पूरे देश में जा-जाकर बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देनी थी। इसके पीछे उद्देश्य यह था कि अगर बूथ जीत लिया तो चुनाव जीत लिया।
60 फीसदी से ऊपर रहा वोट शेयर
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि ये चुनाव प्रबंधन का हिस्सा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल बताते हैं कि मध्य प्रदेश बीजेपी संगठन ने बूथ स्तर पर गंभीरता से काम किया, जिसका परिणाम है कि 29वीं सीट छिंदवाड़ा भी बीजेपी की झोली में आई। पूरे देश में मध्य प्रदेश इकलौता राज्य है, जहां पर सभी 29 सीटों पर बीजेपी की जीत हुई है। इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश बीजेपी ने गुजरात और त्रिपुरा के आस पास वोट शेयर हासिल किया। जो 60% के ऊपर है। ये लक्ष्य कभी असंभव माना जाता था। इतना ही नहीं विधानसभा वार देखा जाए तो बीजेपी ने 207 विधानसभाओं में लीड हासिल की।
कमलनाथ जीत नहीं सके भरोसा
इसके पीछे की वजहों पर बात करते हैं। पहली तो ये कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की ताकत बढ़ने के साथ-साथ कांग्रेस कमजोर होती चली गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक अजय सिंह कहते हैं कि कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेताओं (जैसे कमलनाथ) पर कार्यकर्ताओं को भरोसा नहीं था। संगठन के तौर पर कांग्रेस जमीन पर कहीं नहीं थी। नए नेताओं को इस पर काम करने की आवश्यकता है। दूसरी ये कि बूथ स्तर पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अपनी नाराजगी को दरकिनार करके मोदी के नाम पर वोट मांगा, कांग्रेस के टिकटों का वितरण तो बेहतर था, लेकिन स्थानीय स्तर पर चल रहे उनके आपसी झगड़ों और कार्यकर्ताओं की उदासीनता के चलते मध्य प्रदेश में कांग्रेस वह सफलता नहीं पा सकी, जो बाकी देश में विपक्ष को मिली है। हालांकि वजह कोई भी हो लेकिन लंबे अरसे के बाद विपक्ष को इतनी बेहतर परिस्थितियां मिली थीं, लेकिन मध्य प्रदेश का कांग्रेस संगठन इसका फायदा नहीं उठा पाया।
बूथ मैनेजमेंट ने कमल खिलाया
यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा के बूथ मैनेजमेंट ने मध्य प्रदेश में कमाल दिखाया। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि इसमें अकेले किसी एक नेता का योगदान नहीं है और न ही यह कमाल एक दिन में हुआ है। पिछले 5 सालों में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को तैयार करने का काम पार्टी ने किया, उसी का असर लोकसभा और विधानसभा और दोनों चुनाव में देखने को मिला। यहां बड़े नेताओं ने भी पार्टी के कार्यकर्ता की हैसियत से ही काम किया।
नेताओं-कार्यकर्ताओं ने मिलकर किया काम
हाल ही में संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में लिखे गए लेख में जिक्र किया गया कि बीजेपी शासित कई राज्यों में वरिष्ठ नेताओं ने कार्यकर्ताओं की अनदेखी की और उन्हें तवज्जो नहीं दी। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का ये कहना है कि कम से कम मध्य प्रदेश में तो ऐसा नहीं हुआ, यहां पर चुनाव के दौरान और चुनाव से पहले से ही बड़े से बड़े नेताओं ने कार्यकर्ताओं बीच जाकर काम किया। कुछ सांसदों के चेहरों पर जनता में नाराजगी जरूर थी लेकिन कार्यकर्ताओं की मेहनत ने उस नाराजगी को एंटी इनकंबेंसी में तब्दील नहीं होने दिया। हालांकि कुछ कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि अगर ये प्रत्याशी बदल जाते तो वोट शेयर और बेहतर हो सकता था। बहरहाल, जीतने के बाद मध्य प्रदेश बीजेपी का जोश हाई है।
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सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।\nततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि\n\nसाल 2008 में by cha...और देखें
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