बहुत कठिन है 2024 में विपक्षी पार्टियों की डगर! केंद्र की राजनीति में तो साथ, लेकिन क्या राज्यों में भी बरकरार रहेगी एकता?

सावरकर पर राहुल गांधी के बयान ने शिवसेना उद्धव गुट और कांग्रेस में बीच नाराजगी को बढ़ाने का काम किया, हालांकि मुद्दे को पवार की मध्यस्थता के बाद जल्द खत्म कर दिया गया लेकिन पार्टियों में ये आम सहमति बनाई गई है कि वो बयान जो दूसरी पार्टी कि विचारधारा को आहत करें और जिससे चुनावी तौर पर भी किसी तरह का फ़ायदा न हो उसपर बयान देने से नेताओं को बचना चाहिए।

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2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष एकजुट?

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल

राहुल गांधी की सदस्यता ख़त्म होने, अड़ानी मुद्दे और विपक्षी पार्टियों के नेताओ पर ED, CBI का शिकंजा ने विपक्षी पार्टियों के कुनबे को एक कर दिया है। पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर हुई बैठक में 18 पार्टियां शामिल हुई। इस बैठक में समान विचारधारा, समान एजेंडा पर बात करने पर सहमति बनाई गई। बैठक में शरद पवार, सोनिया गांधी, रामगोपाल यादव ,राहुल गांधी सहित विपक्षी पार्टियों के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

विपक्षी पार्टियों का एक सबग्रुप तैयार किया जाएगा

कांग्रेस के उच्चस्तरीय सूत्रों के हवाले से खबर की बात करें तो अप्रैल के महीने में विपक्षी पार्टियों के पार्टी अध्यक्षों की एक बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें विपक्षी पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं का एक सबग्रुप तैयार किया जाएगा, जो 2024 लोकसभा चुनाव तक विपक्ष के सामूहिक मुद्दे, एजेंडा पर काम करेगा। पार्टियों के बीच ये भी तय किया गया है कि कुछ मुख्य मुद्दे जो मोदी सरकार की विफलताओं और जनता से जुड़े हों उसपर पार्टी साथ मिलकर बयान दे। बीजेपी के धार्मिक बयानों पर प्रतिक्रिया देने से बचा जाए।

उन मुद्दों पर सभी पार्टी बयान देने से बचें जो विपक्षी एकता को तोड़ती हो

सावरकर पर राहुल गांधी के बयान ने शिवसेना उद्धव गुट और कांग्रेस में बीच नाराजगी को बढ़ाने का काम किया, हालांकि मुद्दे को पवार की मध्यस्थता के बाद जल्द खत्म कर दिया गया लेकिन पार्टियों में ये आम सहमति बनाई गई है कि वो बयान जो दूसरी पार्टी कि विचारधारा को आहत करें और जिससे चुनावी तौर पर भी किसी तरह का फ़ायदा न हो उसपर बयान देने से नेताओं को बचना चाहिए। वहीं TMC के साथ कांग्रेस अपने रिश्ते बेहतर रख सके, इसलिए लोकसभा में कांग्रेस के नेता और पश्चिम बंगाल अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी को भी नेतृत्व की तरफ से कहा गया है कि वो ममता पर निजी बयान देने से बचे।

क्षेत्रीय पार्टियों के साथ राज्यों में सीधी लड़ाई पर क्या रहेगा कांग्रेस का स्टैंड

2024 की लड़ाई को मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने विपक्षी पार्टियों के साथ केंद्रीय स्तर पर तो गठजोड़ कर लिया है, लेकिन विधानसभा चुनाव में ये एकजुटता कांग्रेस के मुश्किल का सबब बनेगा। 2023 में तेलंगाना में चुनाव है, जहां कांग्रेस की सीधी टक्कर BRS के साथ है, आप के खिलाफ दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। बंगाल चुनाव में TMC के साथ किस तरह का तालमेल पार्टी करेगी यह भी एक बड़ा सवाल है?

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रंजीता झा author

13 साल के राजनीतिक पत्रकारिता के अनुभव में मैंने राज्य की राजधानियों से लेकर देश की राजधानी तक सियासी हलचल को करीब से देखा है। प्लांट की गई बातें ख़बरे...और देखें

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