आजादी की अनसुनी कहानी: जब अंग्रेजों की धरती पर ही अंग्रेज अफसर को एक क्रांतिकारी ने मारी गोली

Azadi Ka Itihas: अंग्रेजों की गुलामी से भारत को आजादी दिलाने में महज एक, दो या चंद किरदारों की भूमिका मात्र नहीं रही, बल्कि ऐसे लाखों हीरो गुमनाम रहे जो देश की खातिर हिंदुस्तान और दुनियाभर में आजादी की लड़ाई रहते रहे। ऐसे ही एक क्रांतिकारी की कहानी से आपको रूबरू करवाते हैं।

मदनलाल ढींगरा।

Azadi Ke Kisse: करीब 190 साल तक अंग्रेजों ने भारत अपनी हुकूमत जमाए रखी, भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान क्रूरता के ऐसे कई अध्याय लिखे गए, जिसके बारे में सोचकर ही हर किसी की रूह कांप उठती है, उस वक्त के हालात कैसे रहे होंगे, इसके बारे में कल्पना करना भी किसी बुरे सपने से कम नहीं होता है। मगर उनके बारे में सोचिए, जिन्होंने ने अपने वतन की आजादी की खातिर अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए। गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए अपनी आखिरी सांस तक हार नहीं मानी। महात्मा गांधी, चाचा नेहरू, वीर सावरकर, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, ऐसे हजारों मशहूर क्रांतिकारियों की चर्चाएं तो होती ही रहती हैं। लेकिन ऐसे कई गुमनाम हीरो हैं, जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए बिना सोचे समझे अपने जान कुर्बान कर दी।

वो क्रांतिकारी जिसने लंदन में अंग्रेज अफसर को मार डाला

इतिहास के पन्नों में वैसे तो कई कहानियां और किस्से दर्ज हैं, लेकिन आज आपको इस लेख में उस क्रांतिकारी के बारे में बताते हैं, जिसने अंग्रेजों की धरती पर एक अंग्रेज अफसर को गोली मार दी थी। इस हत्या को अंजाम देने के लिए जंग-ए-आजादी का उस सिपाही को फांसी की सजा सुना दी गई थी। उस वीर योद्धा का नाम था- मदनलाल ढींगरा। जी हां, मदनलाल ढींगरा ने 25 साल की उम्र में अंग्रेजों की सरजमीं यानी इंग्लैंड के लंदन में लंदन में भारत के राज्य सचिव के राजनीतिक सहयोगी सर विलियम हट कर्जन वायली की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

ब्रिटेन में दफनाए हुए मदनलाल ढींगरा को लाया गया भारत

मदनलाल ढींगरा को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और मजह 16 दिन के भीतर ही 17 अगस्त 1909 को उन्हें फांसी दे दी गई। उस वक्त ब्रिटेन में ही ढींगरा के पार्थिव शरीर को दफनाया गया था, लेकिन आजादी के बाद 1976 में उनके शव को भारत लाया गया। उस वक्त देश में इंदिरा गांधी की सरकार थी। मदनलाल ढींगरा के शव को महाराष्ट्र के अकोला में रखा गया था।

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