Weather Alert: हीटवेब से लेकर तेज तूफानों का करना होगा सामना, समुद्री जीव भी होंगे खतरे में
अमेरिकी मौसम विज्ञानियों के अनुसार, इस गर्मी में एल-नीनो के विकसित होने की संभावना अब 90 प्रतिशत से अधिक है। जानिए इसका क्या असर हो सकता है।
चिलचिलाती धूप ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं
Chances Of Extreme Weather: धीरे-धीरे गर्मी अपना असर दिखा रही है। चिलचिलाती धूप ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं। इसी के साथ एल-नीनो के असर की संभावना भी बढ़ती जा रही है। मौसम विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि एल-नीनो नजदीक आता जा रहा है। अमेरिकी मौसम विज्ञानियों के अनुसार, इस गर्मी में एल-नीनो के विकसित होने की संभावना अब 90 प्रतिशत से अधिक है। मौसम की इस खास घटना में प्रशांत महासागर में पानी सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। इसके विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं, भीषण हीटवेब से लेकर तेज तूफानों का सामना करना पड़ा सकता है। एनओएए क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर के अनुसार, इसका विस्तार सर्दियों तक दिख सकता है।
सेंटर ने कहा है कि मई के मध्य में एक पूर्वानुमानित तीसरी पछुआ हवा चलने और औसत से अधिक समुद्री तापमान के कारण एल-नीनो विकसित होगा। भले ही ये कमजोर हो, लेकिन अल नीनो की संभावना हर हाल में बनी हुई है। साल के अंत में (नवंबर-जनवरी) कम से कम एक मध्यम एल-नीनो के पैदा होने की 80 प्रतिशत संभावना है। 2018-2019 के बाद यह पहला एल-नीनो होगा।
मौसम पर कितना असर?
जब तापमान समग्र रूप से बढ़ता है, तो इसका असर स्थानीय रूप से भी बदलाव वाला होता है। अधिकांश एल-नीनो सर्दियों में अपने चरम पर पहुंच जाते हैं और इस तरह ठंड के महीनों में मौसम के पैटर्न पर उनका सबसे मजबूत असर पड़ता है। यूरोप में एल-नीनो का अर्थ आमतौर पर उत्तर में शुष्क और ठंडी सर्दियां और दक्षिण में गीली सर्दियां होता है। अमेरिका में यह उत्तरी राज्यों में सूखा और गर्म मौसम लाता है जबकि यूएस गल्फ कोस्ट और दक्षिण पूर्व में तेज बारिश और बाढ़ की वजह बनता है।
इसके असर से भारत में मानसून पर असर पड़ेगा। वहीं, दक्षिण अफ्रीका में कम बारिश हो सकती है, साथ ही पूर्वी अफ्रीका में अधिक बारिश और बाढ़ आ सकती है। इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग लगने की संभावना भी बढ़ जाएगी क्योंकि दक्षिणी गोलार्ध में मौसम बेहद गर्म हो जाएगा।
क्या एल-नीनो समुद्री जीवन के लिए खतरनाक है?
एल-नीनो कोरल ब्लीचिंग की संभावना को बढ़ा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह समुद्र के तापमान को बढ़ाता है और यहां चल रहे ब्लीचिंग प्रभावों को बढ़ाता है। यह प्रशांत तट के साथ-साथ समुद्री जीवन को भी नुकसान पहुंचा सकता है। सामान्य परिस्थितियों में 'अपवेलिंग' के तौर पर जानी जाने वाली घटना समुद्र की गहराई से ठंडा और पोषक तत्वों से भरपूर पानी लाती है। लेकिन एल-नीनो इस घटना को दबा देता है, इससे कुछ मछलियां प्रमुख भोजन से वंचित हो जाती हैं। यानी एल-नीनो का असर समुद्री जीवों पर भी पड़ता है जो इसके लिए नुकसानदायक साबित होता है।
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करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
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