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रूस-यूक्रेन युद्ध के 3 साल: बदले वैश्विक हालात में अब किस ओर जाएगा जंग, ट्रंप के रुख से हैरान हैं यूरोपीय देश

Three Years Of Russia Ukraine war : अमेरिका के इस नए रुख से यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और यूरोप के देश हक्का-बक्का हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का रुख उन्हें हैरान-परेशान कर रहा है कि क्योंकि बीते 19 जनवरी तक पूरी ताकत के साथ यूक्रेन के पीछे खड़ा रहना वाला और सैन्य, आर्थिक कूटनीतिक रूप से उसकी मदद करने वाला अमेरिका पलट गया है।

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24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया।

Three Years Of Russia Ukraine war : रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे हो गए हैं। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर धावा बोल दिया। इसके बाद शुरू हुई इस लड़ाई का यह दौर खत्म नहीं हुआ, यह अभी भी जारी है। जंग के तीन साल पूरे होने के एक दिन पहले रूस ने यूक्रेन पर बड़ा ड्रोन हमला किया। यह हमला तब हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस युद्ध को खत्म कराने की पहल कर चुके हैं। एक संभावित पीस डील के लिए अमेरिका और रूस सीधे बातचीत कर रहे हैं। बीते दिनों सऊदी अरब की राजधानी रियाद में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो की अपने रूसी समकक्ष सेर्गेई लावारोव के साथ बैठक हुई। खास बात यह है कि इस बैठक से यूक्रेन और पश्चिमी देशों को दूर रखा गया है। यानी युद्ध खत्म कराने के लिए बातचीत भी हो रही है और जंग में भी लड़ी जा रही है।

ट्रंप के रुख से हक्का-बक्का हैं यूरोप के देश

अमेरिका के इस नए रुख से यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और यूरोप के देश हक्का-बक्का हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का रुख उन्हें हैरान-परेशान कर रहा है कि क्योंकि बीते 19 जनवरी तक पूरी ताकत के साथ यूक्रेन के पीछे खड़ा रहना वाला और सैन्य, आर्थिक कूटनीतिक रूप से उसकी मदद करने वाला अमेरिका पलट गया है। इस युद्ध के लिए ट्रंप ने सीधे रूप से जेलेंस्की और को ही कसूरवार ठहरा दिया है। ट्रंप का कहना है कि जेलेंस्की चाहते तो यह युद्ध शुरू नहीं होता, दूसरा अमेरिकी राष्ट्रपति ने यूरोप को भी यह कहते हुए आईना दिखा दिया कि आप लोग कोई शांति समझौता कराने में नाकाम रहे। कहने का मतलब यह है कि अमेरिका ने इस युद्ध से दूरी बना ली है। यूक्रेन और यूरोप को दो राहे पर छोड़ दिया है।

बिना अमेरिकी मदद यूक्रेन कैसे लड़ पाएगा?

यह बात सभी को पता है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों की मदद से ही जेलेंस्की यह युद्ध लड़ रहे थे। इस मदद में अमेरिका का हिस्सा बहुत ज्यादा रहा है। अब चूंकि अमेरिका ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं तो उसकी मदद के बिना यूक्रेन कितने दिनों तक रूस का सामना कर पाएगा। यह बात जरूर है कि बाइडेन ने जाते-जाते इतने हथियार और पैसा यूक्रेन को भेज दिए हैं कि अगले कुछ महीनों तक उसे युद्ध लड़ने में कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन यह गोला-बारूद, हथियार और पैसा खत्म हो जाने के बाद जेलेंस्की आगे लड़ाई कैसे जारी रख पाएंगे यह एक बड़ा प्रश्न है। यूरोप के देश पैसे से लेकर हथियारों की मदद यूक्रेन को करते हैं लेकिन इसकी मात्रा और संख्या अमेरिकी मदद के मुकाबले बहुत कम है। यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। यूक्रेन युद्ध पर ट्रंप के रुख से यूरोप के देश तो हैरान हैं हीं, नाटो के सुरक्षा खर्च पर अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान भी उन्हें चिंतित कर रहा है।

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