लक्षद्वीप के खारे पानी को 'स्वीट वॉटर' बनाएगा इजरायल, जानिए क्या होती है डिसेलिनेशन प्रक्रिया
Israel Desalination Program: दरअसल, समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य एवं जरूरत में इस्तेमाल के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को डिसेलिनेशन कहा जाता है। इसे 'सी वाटर रिवर्स ओसमोसिस' (SWRO) भी कहते हैं। खारे पानी से नमक एवं अन्य खनिज तत्व निकाले जाते हैं।
लक्षद्वीप में मीठे पानी की कमी है।
Israel Desalination Program: भारत और मालदीव के विवाद के बीच इजरायल ने लक्षद्वीप की कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए कहा कि वह इस द्वीप पर अपना डिसेलिनेशन प्रोजेक्ट शुरू करेगा। उसकी टीम पिछले साल यहां गई थी। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में लक्षद्वीप गए थे। उन्होंने वहां की तस्वीरें X पर पोस्ट कर पर्यटकों से यहां की सुंदरता देखने एवं एडवेंचर पर्यटन का लुत्फ उठाने की अपील की। पीएम मोदी की यह बात मालदीव को बुरी लगी। मालदीव सरकार के कुछ मंत्रियों ने पीएम मोदी और भारत के खिलाफ अभद्र एवं अमर्यादित टिप्पणी की। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया। गत सोमवार को इजरायल ने कहा कि वह लक्षद्वीप में अपने डिसेलिनेशन प्रोजेक्ट पर काम शुरू करेगा। आइए जानते हैं कि आखिर डिसेलिनेशन होता क्या है-
क्या है इजरायल का डिसेलिनेशन प्रोजेक्ट
दरअसल, समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य एवं जरूरत में इस्तेमाल के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को डिसेलिनेशन कहा जाता है। इसे 'सी वाटर रिवर्स ओसमोसिस' (SWRO) भी कहते हैं। खारे पानी से नमक एवं अन्य खनिज तत्व निकाले जाते हैं। समुद्र का पानी बहुत ज्यादा खारा होता है, उसे पीने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। समुद्र के पानी में नमक की सघनता 35,000 PPM (पार्ट्स पर मिलियन) होती है और डिसेलिनेशन प्रक्रिया से इसे 10 पीपीएम पर लाया जा सकता है। 10 पीपीएम वाले पानी को पीने योग्य माना जाता है। डिसेलिनेशन की प्रक्रिया अपनाकर कई देश समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य बनाते हैं।
लक्षद्वीप में पीने लायक पानी की कमी
इसमें इजरायल को महारत हासिल है। लक्षद्वीप जो कि छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है, यहां पीने लायक या मीठे पानी की कमी है। समुद्र के खारे पानी को अपनी जरूरत में इस्तेमाल करने के लिए इजरायल बहुत लंब समय से डिसेलिनेशन प्रक्रिया अपना रहा है। अभी उसके पास पांच डिसेलिनेशन प्लांट हैं और दो प्लांट वह तैयार कर रहा है। वेस्टवॉटर का इस्तेमाल भी इजरायल बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से करता है। वेस्टवॉटर को रिसाइक्लिंग कर पानी का इस्तेमाल वह कृषि और अन्य दैनिक जरूरतों में करता है।
हम प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कल से तैयार
भारत स्थित इजरायल के दूतावास ने X पर अपने पोस्ट में कहा, 'भारत सरकार के अनुरोध पर पिछले साल हमारी टीम लक्षद्वीप गई थी। सरकार ने यहां डिसेलिनेशन प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए कहा था। इजरायल इस परियोजना पर काम करने के लिए कल से तैयार है।'
डिसेलिनेशन की चुनौतियां भी हैं
हालांकि, डिसेलिनेशन को लेकर विशेषज्ञ चेतावनी भी देते आए हैं। विशेषज्ञों मानना है कि डिसेलिनेशन की अपनी चुनौतियां एवं खतरे हैं। क्योंकि इस प्रक्रिया से निकले गंदे पाने को वापस इकोसिस्टम में छोड़ा जाता है जिससे वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पानी वापस समुद्र में जाने से उसका खारापन और बढ़ जाता है। यह मछली सहित अन्य जलीय जंतुओं को प्रभावित करता है।
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