क्रुस्क इलाके में मोर्चा छोड़ भाग रहे यूक्रेनी सैनिक, बोले-हालात किसी 'हॉरर' मूवी से कम नहीं हैं
Russia Ukraine War : सीजफायर की घोषणा होते ही फौज की मूवमेंट नहीं होती। हथियार और गोले नहीं दागे जाते। सैन्य गतिविधियां रोक दी जाती हैं। बस जो जहां पर है, वहीं रुक जाता है। यानी जिसके हिस्से में जो जमीन है, उसे वह पकड़ लेता है। सीजफायर जब होने वाला होता है तो चालाक देश इस कोशिश में रहते हैं कि दुश्मन देश की ज्यादा से ज्यादा जमीन वे अपने कब्जे में ले लें। जिसके पास दुश्मन की ज्यादा जमीन होती है, वह वार्ता या निगोशिएशन में बेहतर स्थिति में रहता है।



क्रुस्क इलाके में रूसी हमले तेज हुए।
Russia Ukraine War : लड़ाई केवल हथियारों से नहीं लड़ी जाती। यह मोराल यानी हौसले और साहस से लड़ी जाती है। सैनिकों के पास हथियार चाहें जितने भी आधुनिक और उन्नत हों लेकिन अगर उनका मोराल डाउन हो गया तो वे जंग में टिक नहीं पाएंगे, उनकी हार होनी तय है। युद्ध के मैदान से जान बचाने के लिए उन्हें पीछे हटना पड़ेगा। हम बात कर रहे हैं। रूस यूक्रेन युद्ध की। जी हां, वही यूक्रेन जिसके राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की बार-बार यह दावा करते आ रहे थे कि वे आखिरी सैनिक तक रूस के खिलाफ लड़ेंगे। वे हथियार नहीं डालेंगे। लेकिन अब जो बात सामने आई है, उसमें नजारा तो उलटा पड़ गया है। रिपोर्टें बताती हैं कि यूक्रेन सेना का मोराल डाउन हो गया है। रूसी सैनिकों का सामना करने की जगह वह पीछे लौट रही है। कई जगहों से वे पीछे हट गए हैं और लड़ने से हाथ खड़े कर रहे हैं।
30 दिनों के सीजफायर के लिए राजी हुए हैं पुतिन
हालांकि, इन सैनिकों के लिए राहत की बात यह है कि रूस और यूक्रेन दोनों ने बंधक बनाए गए 175-175 सैनिकों की बीते बुधवार को अदला-बदली की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तीन साल से चल रहे इस युद्ध को रुकवाना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की और इसके बाद जेलेंस्की ने उन्हें फोन किया। एक और अच्छी बात यह है कि पुतिन और जेलेंस्की दोनों 30 दिनों के लिए सीजफायर के लिए राजी हुए हैं। यानी दोनों देश एक-दूसरे पर हमला नहीं करेंगे। जाहिर है कि युद्ध रुकवाने की दिशा में यह पहला और बड़ा कदम है। दरअसल, पुतिन सीजफायर के लिए तैयार हुए हैं। सीजफायर की घोषणा होते ही फौज की मूवमेंट नहीं होती। हथियार और गोले नहीं दागे जाते। सैन्य गतिविधियां रोक दी जाती हैं। बस जो जहां पर है, वहीं रुक जाता है। यानी जिसके हिस्से में जो जमीन है, उसे वह पकड़ लेता है। सीजफायर जब होने वाला होता है तो चालाक देश इस कोशिश में रहते हैं कि दुश्मन देश की ज्यादा से ज्यादा जमीन वे अपने कब्जे में ले लें। जिसके पास दुश्मन की ज्यादा जमीन होती है, वह वार्ता या निगोशिएशन में बेहतर स्थिति में रहता है।
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कमजोर हुआ यूक्रेनी सैनिकों का मनोबल
लेकिन यहां तो उलटा हो रहा है। यूक्रेनी सैनिक पीछे हट रहे हैं। ऐसा तब होता है जब सैनिकों का मोराल टूट या कमजोर हो गया हो। हालात देखकर वे भी भीतर ही भीतर समझ गए होते हैं कि लड़ाई जारी रखने या आगे बढ़ने से कोई फायदा नहीं है, जिंदा बचे रहना है तो पीछे हटना ही समझदारी है। यूक्रेन के सैनिक इन दिनों इसी मानसिकता से गुजर रहे हैं। हाल के दिनों में यूक्रेन की फौज को सबसे ज्यादा प्रतिरोध का सामना क्रुस्क के इलाकों में करना पड़ा है। यूक्रेनी कब्जे से अपने इलाके को छुड़ाने के लिए रूसी सेना काफी आक्रामकता दिखा रही है। ड्रोन से लेकर जमीनी हमलों में तेजी आई है। अमेरिकी सैन्य सहायता पर रोक के बाद इन हमलों का मुकाबला करना यूक्रेनी सैनिकों के लिए काफी मुश्किल होता जा रहा है।
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क्रुस्क में पुतिन ने 70 हजार ट्रूप लगाए
दरअसल, बीते अगस्त में यूक्रेन की फौज ने चौंकाते हुए रूस के क्रुस्क इलाके में धावा बोल दिया और करीब 1000 वर्ग किलोमीटर इलाके पर नियंत्रण कर लिया। क्रुस्क इलाके में यूक्रेन घुसेगा इसकी उम्मीद रूस को भी नहीं थी लेकिन यूक्रेन ने देखा कि रूस का यह इलाका खाली है और वह उसमें घुस गया। शुरू में तो रूस ने बड़ा प्रतिरोध नहीं किया लेकिन धीरे-धीरे उसने इस इलाके को दोबारा हासिल करने के लिए जमीनी हमले शुरू किए और यूक्रेनी सेना की घेरेबंदी बढ़ा दी है। बीबीसी की एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि क्रुस्क को पूरी तरह से खाली कराने के लिए उसने 70 हजार ट्रूप लगा दिए हैं। इसमें उत्तर कोरिया के करीब 12 हजार सैनिक भी हैं। यही नहीं, रूस ने अपनी बेस्ट ड्रोन यूनिट भी यहां भेज दी है। कामिकेज ड्रोन लगातार यूक्रेनी सैनिकों पर वार कर रहे हैं।
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जमीन पर हालात हॉरर मूवी जैसे
रिपोर्ट के मुताबिक क्रुस्स इलाके में अपने मोर्चे से पीछे हटने वाले यूक्रेनी सैनिकों का कहना है कि हालात भयावह और किसी हॉरर मूवी से कम नहीं हैं। रूस के जमीनी और ड्रोन हमलों में कॉलम के कॉलम हथियार एवं सैन्य उपकरणों की बर्बादी हो रही है। कहने का मतलब है कि यूक्रेन के सैनिक अब रूस के पलटवार और भारी गोलीबारी को झेल नहीं पा रहे हैं। कुछ सैनिकों ने बताया कि क्रुस्क इलाके के सबसे बड़े कस्ब सुदझा को वे गंवा चुके हैं। इलाके में यूक्रेनी सैन्य उपकरण और हथियार जहां भी दिख रहे हैं, रूसी ड्रोन उन पर बम गिरा दे रहे हैं।
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जाहिर है कि रूस अब पूरी ताकत के साथ क्रुस्क इलाके में जुट गया है। उसकी कोशिश किसी सीजफायर पर पहुंचने से पहले अपने क्रुस्क इलाके को पूरी तरह खाली कराने की होगी। दूसरा, यूक्रेन के जो इलाके उसके नियंत्रण में है, उस पर वह अपनी पकड़ पूरी तरह से कायम रखेगा ताकि बातचीत में यूक्रेन बैकफुट पर रहे। वह अपनी बारगेनिंग पावर बढ़ाकर रखना चाहता है।
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