भारतीय कानूनों की किन धाराओं में होता है डिजिटल अरेस्ट? जानें कानूनी बारीकियां

What is Digital Arrest यानी डिजिटल अरेस्ट क्या होता है? डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है? किस कानून के तहत डिजिटल अरेस्ट किया जाता है? आखिर कैसे और क्यों लोग डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो रहे हैं। एक उदाहरण के साथ चलिए जानते हैं डिजिटल अरेस्ट के बारे में सब कुछ -

Digital Arrest.

डिजिटल अरेस्ट की ABCD

हाल के दिनों में आपने अखबारों में कई खबरें पढ़ी होंगी, जिनमें डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) का जिक्र होता है। डिजिटल अरेस्ट करके फलां व्यक्ति से 5 लाख की ठगी, फलां व्यक्ति से 80 लाख ऐंठे जैसी खबरें इन दिनों आम हो गई हैं। टीवी की खबरों में भी आपने डिजिटल अरेस्ट के बारे में जरूर सुना होगा। ऐसे में प्रश्न ये है कि आखिर यह डिजिटल अरेस्ट होता क्या है? भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), सीआरपीसी जैसे नए और पुराने किन नियमों के तहत डिजिटल अरेस्ट किया जा सकता है? क्या इनमें से किसी में भी डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान है? अगर कोई प्रावधान है तो किन धाराओं के तहत ऐसा होता है और अगर नहीं है तो फिर क्यों डिजिटल अरेस्ट शब्द अचानक इतना चर्चा में क्यों हैं? क्यों और कैसे साइबर ठग (Cyber Fraud) इसे अपना हथियार बनाकर लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं?

डिटिजल अरेस्ट है क्या?

दरअसल डिजिटल अरेस्ट एक टर्म है, जिसके तहत किसी व्यक्ति के पास फोन आता है और उन्हें बताया जाता है कि आपके खिलाफ अरेस्ट वारंट है और आपको डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया है। इस दौरान डिजिटल अरेस्ट व्यक्ति से 2 घंटे के अंदर वहां पहुंचने को कहा जाता और ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं हो पाता। इसमें व्यक्ति के खिलाफ किसी तरह के फ्रॉड में शामिल होने, मर्डर या किसी अन्य संगीन अपराध में शामिल होने के सुबूत होने की बात कही जाती है। जिस व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट किया जाता है, इसको बकायदा उसके नाम का अरेस्ट वारंट भी दिखाया जाता है।

कैसे होता है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट का सीधा और साधारण शब्दों में मतलब यह है कि आपको मोबाइल कॉल या वीडियो कॉल पर अरेस्ट कर लिया जाता है। इसके तहत जिस व्यक्ति को अरेस्ट किया जाता है, उसे अपनी मर्जी से कुछ भी करने नहीं दिया जाता। यहां तक कि फोन या वीडियो कॉल काटने पर या किसी अन्य से बात करने पर भी गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती है। उस व्यक्ति को सबसे दूर कर दिया जाता है। इस दौरान कोई पुलिसकर्मी, सीबीआई अफसर या ईडी का अधिकारी स्क्रीन के दूसरी तरफ मौजूद रहता है। वह व्यक्ति डिजिटल अरेस्ट किए गए व्यक्ति को यकीन दिलाता है कि वह उनकी मदद करेगा और उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होने देगा।
इस दौरान डिजिटल अरेस्ट व्यक्ति को पूरी मदद का विश्वास दिलाया जाता है। डिजिटल अरेस्ट व्यक्ति से गोपनीयता के नाम पर किसी से भी बातचीत करने से मना कर दिया जाता है। फिर उनके फोन पर कोई एप इंस्टॉल करने को कहा जाता है। या उनके बैंक अकाउंट की डिटेल ले ली जाती है। कई बार डिजिटल अरेस्ट किए गए व्यक्ति से किसी से बात किए बिना बैंक जाकर पैसे ट्रांसफर भी करवा लिए जाते हैं।

किस कानून के तहत होते हैं डिजिटल अरेस्ट?

सही प्रश्न तो ये है कि क्या डिटिजल अरेस्ट जैसा कुछ होता भी है? तो इसका सीधा जवाब है नहीं... डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं होता। भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), सीआरपीसी जैसे तमाम नए-पुराने कानूनों में से किसी में भी ऐसा कोई प्रावधान है ही नहीं। ऐसी कोई धारा नहीं है, ऐसा कोई कानून नहीं है... जिसके तहत व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट किया जाए। दरअसल यह जालसाजों यानी साइबर फ्रॉड द्वारा ईजाद किया गया शब्द है। जिसके जरिए वह भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बनाते हैं और उनकी मेहनत की कमाई ले उड़ते हैं।

साइबर फ्रॉड के जाल में कैसे फंस जाते हैं लोग?

अब आप जानते हैं कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं होता। प्रश्न ये है कि आखिर कैसे लोग इन जालसाजों के चंगुल में फंस जाते हैं? आपको फंसाने के लिए जालसाज बड़ी मेहनत करते हैं। वह आपके बारे में सबकुछ पता लगाते हैं, जिसमें आपके परिवारजनों की जानकारी से लेकर आपके फाइनेंशियल हेल्थ तक की उनको जानकारी होती है। साइबर फ्रॉड की कारगुजारी को समझने के लिए दिल्ली में 73 वर्ष की उस महिला की कहानी एक उदाहरण है, जिन्हें डिजिटल अरेस्ट करके जालसाजों से उनसे 85 लाख रुपये ठग लिए। इन महिला का कहना है कि उन्हें एक कॉल आया, जिसमें रिकॉर्डेड मैसेज था कि आपका फोन नंबर ब्लॉक कर दिया जाएगा। इस बात से परेशान महिला ने उस नंबर पर वापस कॉल किया। सामने से जालसाजों ने उन्हें बताया कि आपके नाम से एक और नंबर मुंबई में रजिस्टर्ड है। जालसाजों को शायद पता था कि मुंबई में इस महिला की बेटी रहती हैं।

दो घंटे के अंदर रिपोर्ट करें

जालसाजों ने महिला को उस दुकान का नंबर भी बताया, जहां से तथाकथित दूसरा नंबर खरीदा गया था। उन्होंने महिला को बताया गया कि उस नंबर से करीब 20 लोगों को गाली-गलौज और पोर्न क्लिप भेजी गई हैं। इस संबंध में मुंबई के थाने में 20 शिकायतें आई हैं, इसलिए आपको 2 घंटे के अंदर मुंबई के थाने में रिपोर्ट करना होगा। दिल्ली में रहने वाली महिला ने कहा कि दिल्ली से मुंबई 2 घंटे में कैसे पहुंच सकती हूं। इस पर उन्होंने कहा कि फिर हम आपका फोन पुलिस विभाग में ट्रांसफर करते हैं। तथाकथित पुलिसवाले ने भी महिला से यही बातें कहीं और कहा कि हो सकता है आपके आधारकार्ड का मिसयूज करके ये सिम लिया गया हो।

आधार नंबर भी ले लिया

फिर महिला को वीडियो कॉल किया गया और बताया गया कि हम CBI से हैं। सामने से उन्हें कहा गया कि घर में आपके आसपास कोई व्यक्ति नहीं होना चाहिए, आप अकेले कमरे में चले जाएं। फिर उन्होंने कहा कि जैसा-जैसा हम कहते हैं, वैसा-वैसा करें। सामने से महिला से कहा गया कि अपना आधार कार्ड नंबर बताएं, ताकि हम पता कर सकें कि आपके आधार से और कुछ फ्रॉड तो नहीं हुआ है। डरी हुई महिला ने उन्हें अपना आधार नंबर बता दिया। आधार नंबर मिलने के बाद उन्होंने कुछ समय लिया और फिर कहा आप तो नरेश गोयल (जेट एयरवेज) के मनी लॉन्ड्रिंग वाले केस में भी फंसे हैं। महिला को बताया गया कि आपके नाम से दो घंटे के अंदर अरेस्ट वारंट है।

किसी को मत बताना

सामने से सीबीआई अफसर बनकर फ्रॉड ने कहा, मैडम इस बारे में किसी को कुछ मत बताना। अगर किसी को बताया तो उसे भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जालसाजों ने महिला से उनके बैंक खातों में रखे रुपयों के बारे में जानकारी ली और उनसे कहा कि सभी पैसा निकाल लो। जालसाजों ने महिला को हिदायत दी कि बैंक में जाकर आप किसी से बात मत करना, हम आपको व्हाट्सएप पर पूरी प्रक्रिया बताएंगे। इसके बाद उन्होंने महिला से सारे पैसे उनके बताए अकाउंट में RTGS करने को कहा। बैंक कर्मचारी ने महिला को उनके फिक्स डिपॉजिट न तोड़ने के लिए भी कहा और उनके हालात के बारे में भी जानना चाहा, लेकिन डिजिटल अरेस्ट होने की वजह से वह कुछ नहीं बोल पाईं।

अपनी मेहनत की कमाई बचाना

इसी तरह से कई बार आपके बच्चों, पति या पत्नी या किसी अन्य रिश्तेदार के फंसे होने का झांसा देकर जालसाज आपको डिजिटल अरेस्ट करके आपकी मेहनत की कमाई पर हाथ साफ कर सकते हैं। इसलिए सावधान रहें और समझें कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं होता और ऐसे किसी अनजान कॉल को कतई न उठाएं। आसपास के लोगों से बात करें, हो सकता है आपकी मेहनत की कमाई बच जाए।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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