Narendra Modi Election History: अपनी पहली सियासी परीक्षा में ही कर दिया था कमाल, 37 साल पहले 36 साल के नरेंद्र मोदी की वो ऐतिहासिक कहानी
Untold Story of Narendra Modi Election: साल 1987 में की बात है जब 36 वर्षीय नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद नगर निगम चुनावों में भाजपा के अभियान का नेतृत्व किया था। अपनी पहली परीक्षा में ही मोदी ने ऐसा कमाल किया कि उसके बाद से किसी भी परीक्षा में उनको मात नहीं मिली। निगम चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक मोदी ने हर इम्तेहान को अव्वल नंबर से पास किया। नरेंद्र मोदी के राजनीतिक जीवन की कहानी, शून्य से शिखर तक
मोदी की ऐतिहासिक कहानी।
Narendra Modi Election History: जब-जब पीएम मोदी के कंधों पर भारतीय जनता पार्टी ने कोई दारोमदार सौंपा, उन्होंने उम्मीद से कहीं ज्यादा और शानदार परिणाम दिए। 37 साल पहले 36 साल के नरेंद्र मोदी को पहली बार किसी चुनाव में नेतृत्व करने का मौका मिला था, तबसे लेकर अब तक उनकी जीत का रथ किसी ने नहीं रोक पाया। अहमदाबाद निगम चुनाव में जीत दिलाने का लक्ष्य उन्हें सौंपा गया, तो उस वक्त गुजरात और देश में कांग्रेस का अच्छा खासा दबदबा था। आपको उस पूरी कहानी से रूबरू करवाते हैं।
जब नरेंद्र मोदी के कंधों पर पहली बार सौंपा गया चुनाव का जिम्मा
दशकों पहले, जब नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी के एक युवा कार्यकर्ता हुआ करते थे, उन्होंने अहमदाबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई। वर्ष 1987 में 36 वर्षीय नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद नगर निगम चुनावों (एएमसी) के लिए भाजपा के अभियान का नेतृत्व किया था। इसी के बाद भगवा पार्टी का गुजरात में भाग्य पूरी तरह से उलट गया। उस वक्त इस जीत ने नरेंद्र मोदी के राजनीतिक उत्थान की शुरुआत की और गुजरात और भारत में भाजपा के लिए एक नए युग की शुरुआत की।
अहमदाबाद मुनिसिपल कार्पोरेशन 1987 की वो पूरी कहानी
1987 में कांग्रेस पार्टी गुजरात और देश भर में प्रमुख राजनीतिक ताकत थी। जिसने 1984 और 1985 में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में भारी जनादेश हासिल किया था। दूसरी ओर, भाजपा 1984 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद अपने पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रही थी। स्थिति तब और खराब हो गई जब एक साल बाद गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा के सामने पहाड़नुमा चुनौतियां थी, लेकिन इसी वक्त नरेंद्र मोदी नाम के एक 36 वर्षीय व्यक्ति को भाजपा गुजरात राज्य इकाई में महासचिव (संगठन) के रूप में नियुक्त किया गया। नरेंद्र मोदी को एक असंभव सा काम सौंपा गया था- अहमदाबाद नगर निगम चुनावों के लिए भाजपा का अभियान आयोजित करना। यह उनका पहला स्वतंत्र चुनावी कार्यभार था। उस समय अहमदाबाद नगर निगम में भाजपा की हालत बेहद खराब थी। पार्टी ने पहले राजकोट और जूनागढ़ निगमों में जीत हासिल की थी, लेकिन अहमदाबाद में उसे अभी तक ऐसी किस्मत नहीं मिली थी।
भाजपा कार्यकर्ताओं में थी दृढ़ विश्वास की कमी, फिर आए मोदी
लगातार चुनावी हार ने पार्टी कैडर को हतोत्साहित कर दिया था और उनमें चुनावी जीत के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व- दृढ़ विश्वास की कमी थी। लेकिन नरेंद्र मोदी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं हैं। नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को ऊंचा और बड़ा लक्ष्य रखने और योजनाबद्ध तरीके से योजना बनाने की सीख दी। उन्होंने गुजरात में भाजपा इकाई को चुनाव और चुनाव प्रचार पर पुनर्विचार और पुनर्कल्पना करने में कई तरीकों से मदद की। मोदी की रणनीति का मूल आधार चुनाव के लिए पार्टी और संघ नेटवर्क की ताकत और क्षमता को जुटाना और इसके बेहतर और सटीक उपयोग करना था।
इस बात की सावधानीपूर्वक गणना की गई कि कितने मतदाताओं के पास प्रचार करने के लिए कितने पार्टी कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होगी और प्रति वार्ड खर्च की गई इतनी ऊर्जा से कितनी सफलता मिलने की संभावना है। नरेंद्र मोदी ने पार्टी कैडर को लोगों को शहर के शासन को बदलने के पार्टी के दृढ़ इरादे के बारे में बताने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
इस रणनीति का इस्तेमाल कर नरेंद्र मोदी ने भाजपा को दिलाई जीत
उन्होंने उनसे कहा कि यदि वे इस संदेश को प्रभावी ढंग से लोगों में प्रसारित करने में सफल रहे, तो पार्टी को विजयी होने से कोई नहीं रोक सकता। सावधानीपूर्वक प्लानिंग की गई और उनके इस अभियान ने कांग्रेस के खिलाफ लोगों में पल रहे असंतोष का फायदा उठाया और भाजपा चुनाव जीतने में सफल रही। अहमदाबाद नगर निगम में हुए इस चुनाव में भाजपा की किस्मत पूरी तरह से पलट गई। अहमदाबाद नगर निगम चुनावों में जीत ने नरेंद्र मोदी के राजनीतिक उत्थान और गुजरात में भाजपा के लिए एक नए युग की शुरुआत की। यह उनका पहला स्वतंत्र चुनावी कार्यभार था और भारतीय जनता पार्टी के लिए उनके द्वारा हासिल की गई कई अप्रत्याशित जीतों में से पहली जीत थी।
इसके बाद नरेंद्र मोदी ने जिस चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने का जिम्मा अपने कंधों पर उठाया, उसे पूरा करके ही छोड़ा। यूं कहें कि 37 साल पहले 36 साल के नरेंद्र मोदी के उस विजयी रथ का चक्का आज भी उसी ताकत के साथ चल रहा है। भाजपा में बतौर कार्यकर्ता उन्होंने न जाने कितने अभियानों में जान फूंकने का काम किया। निगम चुनाव से गुजरात विधानसभा और फिर देश में लोकसभा चुनावों में मोदी कमाल करते रहे हैं। एक बार फिर 2024 का चुनाव उनके लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होगा।
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आयुष सिन्हा author
मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो...और देखें
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