बहस से बैलेट बॉक्स की ओर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव

बहस में पड़कर अपने वादों और जवाबदेही से बचना ट्रंप की पुरानी रवाय़त रही है। बहस से पहले बाइडेन की ड्रग टेस्टिंग की उनकी मांग अपने आप में ही बेतुकेपन की बड़ी मिसाल है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन

मुख्य बातें
  • अमेरिका में इसी साल होना है राष्ट्रपति पद का चुनाव
  • इस पद के लिए जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रम्प हैं आमने सामने
  • डोनाल्ड ट्रम्प को पिछले चुनाव में हरा चुके हैं बाइडेन

भारतीय लोकसभा चुनावों के बाद अब दुनिया अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों की ओर टकटकी लगाए हुए है। अमेरिकी हुक्मरान हमेशा जम्हूरियत के ख़ैऱख्वाह के तौर पर खुद को पेश करते रहे है। जम्हूरियत के सलामती के नाम पर दुनिया भर में उसकी जंगी कवायदों की मुखालफत भी होती रही है। इस बार व्हाइट हाउस के तख्त की लड़ाई फिर से राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच है। बीते जून को दोनों ही कई मुख़्तलिफ़ मुद्दों और नाज़ुक मामलातों को लेकर अमेरिकी आवाम़ के सामने डिबेट करते नज़र आये। ठीक इसी तरह सितम्बर को भी दोनों आमने सामने होगें ताकि नैरेटिवएजेंडा और पर्सपेक्टिव की अपनीअपनी बिसात पर अमेरिकियों की रिझा सके।

अमेरिकी रियाया में शुमार कुछ थिंकटैंक अब ये मुद्दा उठा रहे हैं कि क्या बहस कराना जरूरी हैवाकई इसकी कोई जरूरत हैया ये सिर्फ सोचे समझे ढंग से की गयी ड्रामेबाजी हैये सवाल इसलिए भी वाज़िब है क्योंकि हालिया हुई डिबेट में डोनाल्ड ट्रम्प कई मुद्दों पर बेबुनियादी बयानबाजी करके जो बाइडेन पर भारी पड़ते दिखे। यहां तक कि उन्होनें लफ्फाज़ी करके अमेरिकी आवाम के सामने अपना दबदबा बनाने की कोशिश भी की। अमेरिकी सदर बनने की राह में ये बहस काफी अहम होती हैजहां ये रियाया के बीच आम रायशुमारी बनाती हैवहीं वोटरों के बीच चुनावी मैदान में खड़े सूरमाओं को लेकर गलतफहमियां दूर करने और तल्खियां कम करने का भी काम करती है।

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