इस लोकसभा चुनाव में AI का इस्तेमाल क्या बदल देगा चुनावी रुख, 'डीपफेक' के स्याह पहलू भी कम नहीं
Use of AI & Deepfake Misuse in Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 कई मायनों में अलग है, इस बार तकनीक ने इसकी रंगत को बदलकर रख दिया है, चुनाव में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) खासा रोल निभा रहा है जिससे प्रत्याशियों को आसानी हो रही है वहीं डीपफेक (Deepfake) का इस चुनाव में मिसयूज भी हो रहा है, देखें इसकी पड़ताल
लोकसभा चुनाव 2024 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का खासा उपयोग हो रहा है
- AI का वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण अब देश की आठ भाषाओं में उपलब्ध है
- कांग्रेस भी हाईटेक प्रचार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी (AI) का सहारा ले रही है
- Deepfake के माध्यम से कैंडिडेट की इमेज बिगाड़ने के भी प्रयास चुनाव में किए जा रहे हैं
Use of AI & Deepfake Misuse in Election: डिजिटल प्लेटफॉर्म ने पूरे समाज का ताना-बाना बदलकर रख दिया दुनिया में कोई भी घटना या जानकारी हो इसके माध्यम से बेहद तेजी के साथ फैलती है, बात करें भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव (lok sabha election 2024) की तो इस दफा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का खासा उपयोग हो रहा है वहीं तकनीक का एक स्याह पहलू ये भी है कि डीपफेक (Deepfake) के माध्यम से कैंडिडेट की इमेज बिगाड़ने की भी कोशिशें की जा रही हैं।
वजह है कि डीपफेक (Deepfake) ऐसी टेक्नोलॉजी है जो हू-ब-हू नकली चेहरा और आवाज को कॉपी कर लेती है जिसका दुरूपयोग उम्मीदवार के विरोधी कर रहे हैं और उसकी इमेज को डैमेज करने जैसे कुत्सित काम भी किए जा रहे हैं, कोई एनीमेटेड तस्वीर या वीडियो उम्मीदवार की मेहनत मिट्टी में मिला देती है।
AI ने तो कमाल ही कर दिया, प्रत्याशियों का काम आसान
भारतीय जनता पार्टी इस लोकसभा चुनाव में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के महत्व को बहुत पहले ही भांप गई थी जिसके चलते उसने इसका इस्तेमाल करना पहले से ही शुरू कर दिया था जिसकी मिसाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण अब देश की आठ भाषाओं में उपलब्ध है।
भाजपा ने AI डबिंग तकनीक का सहारा लिया
इसके लिए भाजपा ने AI डबिंग तकनीक का सहारा लिया है। आठ भाषाओं कन्नड़, तमिल, बंगाली, उड़िया, तेलुगु, पंजाबी, मराठी और मलयालम में पीएम मोदी का भाषण लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।
कांग्रेस भी लोकसभा चुनाव में AI को लेकर पीछे नहीं
वहीं इस दफा कांग्रेस भी लोकसभा चुनाव के प्रचार में बहुत आक्रामक तरीके से प्रचार अभियान चलाने जा रही है और इसके लिए वो भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी (AI) का सहारा ले रही है, इस तकनीक की मदद से वो अपनी प्रतिद्धंदी भाजपा से पीछे नहीं रहना चाहती है।
खुद महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल जबाव देते दिखेंगे
भाजपा की ओर से कांग्रेस पर देश के बंटवारे, जम्मू-कश्मीर की समस्या के आरोप लगते रहे हैं इनका जवाब AI Video के माध्यम से खुद महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल देते दिखेंगे, बताया जा रहा है कि इसके लिए इन नेताओं के पुराने और एआइ तकनीक से बनाये नये वीडियो का उपयोग किया जा सकता है।
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जरा AI तकनीक को भी समझ लें
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस या AI मानव और अन्य जन्तुओं द्वारा प्रदर्शित प्राकृतिक बुद्धि के विपरीत मशीनों द्वारा प्रदर्शित बुद्धि है। कंप्यूटर विज्ञान में कृत्रिम बुद्धि के शोध को 'होशियार एजेंट' का अध्ययन माना जाता है। होशियार एजेंट कोई भी ऐसा सयंत्र है जो अपने पर्यावरण को देखकर, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करता है। बोलचाल से, 'कृत्रिम बुद्धि/होशियारी' शब्द लागू होता है जब एक मशीन इंसानों की 'संज्ञानात्मक' कार्यों की नकल करती है। मानव सोचने-विश्लेषण करने व याद रखने का काम भी अपने दिमाग के स्थान पर यन्त्र कम्प्यूटर से कराना चाहता है। कृत्रिम बुद्धि, कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है जो मशीनों और सॉफ्टवेयर को बुद्धि के साथ विकसित करता है। 1955 में जॉन मैकार्थी ने इसको कृत्रिम बुद्धि का नाम दिया।
डीपफेक (Deepfake) है क्या आखिर?
डीपफेक ('डीप लर्निंग'और 'नकली' का चित्रण ) सिंथेटिक मीडिया हैं जिन्हें एक व्यक्ति की समानता को दूसरे की समानता से बदलने के लिए डिजिटल रूप से हेरफेर किया गया है। यह मानव विषयों की कंप्यूटर-जनित छवियों को भी संदर्भित कर सकता है जो वास्तविक जीवन में मौजूद नहीं हैं। डीपफेक मशीन लर्निंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता से उपकरणों और तकनीकों का लाभ उठाते हैं , जिसमें चेहरे की पहचान एल्गोरिदम और कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क जैसे वेरिएबल ऑटोएनकोडर शामिल हैं और जनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क बदले में छवि फोरेंसिक का क्षेत्र हेरफेर की गई छवियों का पता लगाने के लिए तकनीक विकसित करता है। डीपफेक के माध्यम से गलत सूचना और नफरत फैलाने वाले भाषण से लोगों की उन निर्णयों में भाग लेने की क्षमता में हस्तक्षेप करके लोकतांत्रिक प्रणालियों के मूल कार्यों और मानदंडों को कमजोर करने की क्षमता है जो उन्हें प्रभावित करते हैं।
AI जैसी एडवांस टेक्विक के माहिर लोगों के लिए ये वरदान
वहीं कहा जा रहा है कि AI जैसी एडवांस टेक्विक के माहिर लोगों के लिए लोकसभा चुनाव कमाई के बेहतरीन मौके लेकर आया है क्योंकि उन्हें इस काम के लिए बहुत अच्छा पैसा दिया जा रहा है और ये चलन आगे और भी बढ़ेगा।
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