Voting Day Leave: वोटिंग के दिन छुट्टी पेड लीव होती है या अनपेड, जानिए क्या कहता है संविधान
Voting Day Leave: भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक व्यक्ति वोट देने का हकदार है और वोट देने के संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करता है।
मतदान के दिन छुट्टी
- भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक व्यक्ति वोट देने का हकदार है
- प्रत्येक उद्यम को उस क्षेत्र में मतदान के दिन छुट्टी घोषित करनी होगी जहां मतदान हो रहा है
- सभी कर्मचारी को पेड लीव यानि कि सवैतनिक अवकाश दिया जाना चाहिए
Voting Day Leave: लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा हो चुकी है। देश में सात चरणों में चुनाव होना है। वोटिंग के दिन सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की जाती है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि मतदान के दिन जो छुट्टी मिलती है वो पेड होती है या फिर अनपेड? वो सवैतनिक होती है या फिर अवैतनिक? जानिए क्या कहता है भारत का संविधान
क्या कहता है भारत का कानून
भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक व्यक्ति वोट देने का हकदार है और वोट देने के संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करता है। आइए जानें कि मतदान दिवस के पीछे क्या कानूनी शर्तें हैं और इसका उल्लंघन होने पर क्या परिणाम होंगे।
मिलेगी पेड लीव या फिर कटेगा वेतन?
संविधान के अनुसार, किसी नागरिक को वोट देने के अधिकार का प्रयोग करने से इनकार नहीं किया जा सकता है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, (आरपी अधिनियम) के अनुसार, प्रत्येक उद्यम को उस क्षेत्र में मतदान के दिन छुट्टी घोषित करनी होगी जहां मतदान हो रहा है। अधिनियम के अनुसार, मतदान के दिन, सभी कर्मचारी को पेड लीव यानि कि सवैतनिक अवकाश दिया जाना चाहिए और उस दिन का उसका वेतन नहीं काटा जा सकता है।
वोटिंग एरिया में मतदान के दिन छुट्टी
उदाहरण के लिए, यदि कोई दिल्ली का मतदाता है, लेकिन मुंबई में कार्यरत है, तो मतदाता दिल्ली में चुनाव के दिन छुट्टी का हकदार है। उस दिन के लिए उसे पेज लीव दिया जाएगा। अगर कोई ऐसा करने से रोकता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
न मिले छुट्टी तो यहां करें शिकायत
यदि कोई ऑफिस मतदान के दिन सवैतनिक अवकाश नहीं देता है तो कर्मचारी ईसीआई या उसके द्वारा नामित प्राधिकारी से संपर्क कर सकता है। वहां इसी शिकायत दर्ज करा सकता है। जिसपर चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है।
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