वक्फ़ बोर्ड के गठन से लेकर कानून बनने तक का इतिहास, कैसे साफ होता गया रास्ता, नफा-नुकसान का पूरा गणित
Waqf Amendment Act 2025 | Waqf Amendment Bill History: वक्फ़ (संशोधन) कानून को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया है। मगर वक्फ़ बोर्ड क्या है, इसका इतिहास क्या है, इसे लाने के पीछे सरकार की मंशा क्या है और इस कानून का विरोध क्यों है...ऐसे दर्जनों सवाल जनता के मन में कौंध रहे हैं आज हम आपको इन सभी सवालों का जवाब देते हैं:

वक्फ़ (संशोधन) कानून, 2025
Waqf Amendment Act 2025 | Waqf Amendment Bill History: नए भारत और विकसित भारत की गौरव गाथा में एक ऐतिहासिक अध्याय वक्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 का भी जुड़ गया है। तीन अप्रैल, 2025 को लोकसभा और चार अप्रैल, 2025 को राज्यसभा से पास होने के बाद इस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मंजूरी मिली। इसके बाद आठ अप्रैल, 2025 को केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर वक्फ़ संशोधन अधिनियम पूरे देश में लागू कर दिया। विपक्ष समेत तमाम संगठनों से एक दीर्घकालिक चर्चा के बाद बनी सहमति और तत्पश्चात कड़े विरोध के बावजूद केन्द्र सरकार दोनों सदनों में इस बिल को पास करा पाई है। जहां एक ओर वक्फ़ संशोधन कानून के पीछे केंद्र सरकार का संघर्ष है तो वहीं विरोधी इसे उनके मौलिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं। वक्फ़ को समझने के लिए केवल शाब्दिक अर्थ को समझना ही जरूरी नहीं बल्कि वक्फ़ बोर्ड को जानने के लिए आपको भारतीय संस्कृति और इसके इतिहास के पन्नों को पलटना होगा। इस लेख में हम आपको वक्फ़ के बोर्ड से लेकर इसके संशोधित कानून बनने तक का इतिहास तो बताएंगे ही साथ ही इस कानून से जुड़े कई सवालों का सम्यक तौर पर जवाब देंगे।
वक्फ़ का अर्थ
वक्फ़ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के 'वकुफा' शब्द से हुई है। वकुफा का अर्थ है- 'ठहरना', 'संरक्षित करना' या 'रोकना।' इस्लाम में वक्फ़ एक दान की भांति है, इसका अर्थ है- वो दान जो जन-कल्याण के लिए हो। इसके तहत चल या अचल संपत्ति का दान किया जा सकता है। मतलब, जन कल्याण के लिए जो भी दान करेगा उस दानदाता को 'वाकिफ' कहा जाता है और उसे दान को संरक्षित करना ही वक्फ़ है।
मुगल काल में वक्फ़ की अवधारणा
किंवदंतियों के मुताबिक, वक्फ़ की अवधारणा इन्हीं चंद कुछ सालों की नहीं है बल्कि कुछ लोग इसका उद्गम पैगम्बर साहब के काल से मानते हैं तो कुछ लोग मुगल काल से भी इसे जोड़ते हैं। मान्यताओं के मुताबिक, एक बार 600 खजूर के पेड़ों के एक बाग को वक्फ किया गया था और इससे अर्जित आय से मदीना के गरीब लोगों की मदद की जाती थी। वहीं, इजिप्ट की राजधानी काहिरा में एक बहुत पुरानी अल अजहर यूनिवर्सिटी है, वो भी वक्फ़ का हिस्सा ही मानी जाती है। इसे अरबी संस्कृति और भाषा की पढ़ाई के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है, जो 10वीं सदी में बनी थी।
'वक्फ़ बोर्ड' का प्रादुर्भाव
सन् 1913 में वक्फ़ बोर्ड को ब्रिटिश सरकार ने औपचारिक रूप से शुरू किया था इसके बाद 1923 में वक्फ एक्ट बनाया गया। कानूनी आधार मिलने तक ये कानून महज बोर्ड था जिसमें व्यक्तिगत स्तर पर लोग गरीबों की मदद, शिक्षा या धार्मिक कामों के लिए अपनी सम्पत्ति दान कर देते थे। आजाद भारत में वक्फ़ अधिनियम को 1954 में संसद में पारित किया गया। इसके तहत वक्फ़ संपत्तियों के व्यवस्थित प्रशासन, पर्यवेक्षण और संरक्षण के लिए पहली बार राज्य वक्फ बोर्डों (एसडब्ल्यूबी) की स्थापना की गई।
वक्फ़ अधिनियम में सबसे बड़ा बदलाव
कांग्रेस के शासन में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने वक्फ़ एक्ट 1954 में सबसे बड़ा संशोधन किया। इसके साथ ही वक्फ़ बोर्ड को और असीम शक्तियां देकर इसे सुदृढ़ बना दिया। वक्फ़ संशोधन अधिनियम, 1995 के मुताबिक, यदि कोई संपत्ति किसी भी उद्देश्य से मुस्लिम कानून के मुताबिक पवित्र, धार्मिक या परोपरकारी मान ली जाए तो वह वक्फ़ की संपत्ति हो जाएगी। वक्फ़ एक्ट, 1995 के आर्टिकल 40 में प्रावधान किया गया कि, उक्त जमीन किसकी है, यह केवल वक्फ़ का सर्वेयर और वक्फ़ बोर्ड तय करेगा। इसी संशोधन में वक्फ़ बोर्ड की शक्तियां बढ़ाते हुए प्रावधान किया गया था कि, वक्फ़ द्वारा स्वघोषित किसी सम्पत्ति का मुकदमा या कानूनी कार्यवाही किसी भी सिविल कोर्ट के तहत नहीं होगी बल्कि वक्फ़ ट्रिब्यूनल का फैसला ही सर्वमान्य होगा।
वक्फ़ बोर्ड की कार्यपद्धति
वक्फ़ एक मतलब ये भी है- 'अल्लाह के नाम' अर्थात् ऐसी भूमि जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है। वक्फ बोर्ड चैरिटेबल संस्था के स्वरूप से कुछ मिलता-जुलता है। अभी तक वक्फ़ बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा प्रदेश सरकार के सदस्य, मुस्लिम सांसद, विधायक, बार काउंसिल के सदस्य, इस्लामी विद्वान और वक्फ के मुतवल्ली सम्मिलित हुआ करते थे। इसमें एक सर्वेयर होता है इस बात की तस्दीक करता है कौन सी सम्पत्ति वक्फ़ की है और कौन सी नहीं। इसका फैसला तीन आधार पर होता है- यदि किसी ने अपनी सम्पत्ति वक्फ़ के नाम कर दी, अगर कोई मुस्लिम नागरिक या मुस्लिम संस्था भूमि को लंबे समय से इस्तेमाल कर रही है और तीसरा, अगर सर्वे में जमीन का वक्फ़ की संपत्ति होना सिद्ध हुआ। वक्फ़ बोर्ड मुस्लिम तबके के लोगों की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था। इसे बनाने का एक उद्देश्य ये भी था इन जमीनों के बेजा इस्तेमाल को रोकने और उनको अवैध तरीकों से बेचने पर अंकुश लग सके। दरअसल, वक्फ़ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करता है, उसके इर्द-गिर्द की भूमि को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है। इस प्रकार मजारों और उनके पास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। चूंकि वक्फ़ एक्ट, 1995 कहता है कि यदि बोर्ड को किसी भूमि पर संशय है तो ये जिम्मेदारी भूमि के असली मालिक की है कि वो साबित करे कैसे उसकी जमीन वक्फ़ की नहीं है। उसी कानून में भी बात कही गई है कि, वक्फ़ बोर्ड किसी प्राइवेट प्रॉपर्टी पर अपना दावा नहीं कर सकता। मगर, प्रश्न है कि, वो संपत्ति निजी है...इसका क्या प्रमाण ? तो ऐसे में वक्फ़ बोर्ड को सबूत नहीं देने बल्कि, अब तक के दावेदार को सारे दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं।
किस राज्य में वक्फ़ की कितनी प्रॉपर्टी
क्रम संख्या | राज्य वक्फ़ बोर्ड | कुल संपत्तियों की संख्या | कुल क्षेत्रफल (एकड़ में) |
1 | अंडमान और निकोबार वक्फ़ बोर्ड | 151 | 178.09 |
2 | आंध्र प्रदेश राज्य वक्फ़बोर्ड | 14,685 | 78,229.97 |
3 | असम वक्फ़ बोर्ड | 2,654 | 6,618.14 |
4 | बिहार राज्य (शिया) वक्फ़ बोर्ड | 1,750 | 29,009.52 |
5 | बिहार राज्य (सुन्नी) वक्फ़ बोर्ड | 6,866 | 169,344.82 |
6 | चंडीगढ़ वक्फ़ बोर्ड | 34 | 23.26 |
7 | छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ़ बोर्ड | 4,230 | 12,347.1 |
8 | दादरा और नगर हवेली वक्फ़ बोर्ड | 30 | 4.41 |
9 | दिल्ली वक्फ़ बोर्ड | 1,047 | 28.09 |
10 | गुजरात राज्य वक्फ़ बोर्ड | 39,940 | 86438.95 |
11 | हरियाणा वक्फ़ बोर्ड | 23,267 | 36,482.4 |
12 | हिमाचल प्रदेश वक्फ़ बोर्ड | 5,343 | 8,727.6 |
13 | जम्मू और कश्मीर औकाफ बोर्ड | 32,533 | 350,300.75 |
14 | झारखंड राज्य (सुन्नी) वक्फ़ बोर्ड | 698 | 1,084.76 |
15 | कर्नाटक राज्य औकाफ बोर्ड | 62,830 | 596,516.61 |
16 | केरल राज्य वक्फ़ बोर्ड | 53,282 | 36,167.21 |
17 | लक्षद्वीप राज्य वक्फ़ बोर्ड | 896 | 143.81 |
18 | मध्य प्रदेश वक्फ़ बोर्ड | 33,472 | 679,072.39 |
19 | महाराष्ट्र राज्य वक्फ़ बोर्ड | 36,701 | 201,105.17 |
20 | मणिपुर राज्य वक्फ़ बोर्ड | 991 | 10,077.44 |
21 | मेघालय राज्य वक्फ़ बोर्ड | 58 | 889.07 |
22 | ओडिशा वक्फ़ बोर्ड | 10,314 | 28,714.65 |
23 | पुडुचेरी राज्य वक्फ़ बोर्ड | 693 | 352.67 |
24 | पंजाब वक्फ़ बोर्ड | 75,965 | 72,867.89 |
25 | राजस्थान मुस्लिम वक्फ़ बोर्ड | 30,895 | 509,725.57 |
26 | तमिलनाडु वक्फ़ बोर्ड | 66,092 | 655,003.2 |
27 | तेलंगाना राज्य वक्फ़ बोर्ड | 45,682 | 143,305.89 |
28 | त्रिपुरा वक्फ़ बोर्ड | 2,814 | 1,015.73 |
29 | उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड | 15,386 | 20,483 |
30 | उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड | 217,161 | - |
31 | उत्तराखंड वक्फ़ बोर्ड | 5,388 | 21.8 |
32 | पश्चिम बंगाल वक्फ़ बोर्ड | 80,480 | 82,011.84 |
कुल | सभी राज्यों का योग | 872,328 | 3,816,291.79 |
भारत सरकार क्यों लाई वक्फ़ संशोधन कानून
वर्तमान सरकार ने 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में दो बिल, वक्फ़ (संशोधन) बिल, 2024 और मुसलमान वक़्फ़ (निरसन) बिल, 2024 पेश किए थे। इससे वक्फ़ बोर्ड के प्रशासन में सुधार और कुप्रबंधन को रोकने के उद्देश्य से लाया गया था। मौजूदा सरकार ने वक्फ़ बिल से ऊपजी दुश्वारियों को संदर्भित किया। वक्फ़ बिल में संशोधन की जरूरत क्यों ये भी बताया। इन समस्याओं को आप प्वाइंट्स में ऐसे समझें -
- इस बोर्ड द्वारा घोषित की गई सम्पत्तियों से जुड़े विवाद सदा बने रहेंगे
- कब्जे की शिकायतें, कानूनी विवाद और कुप्रबंधन
- वक्फ़ संपत्तियों का अपूर्ण सर्वेक्षण
- न्यायिक निगरानी का अभाव (वक्फ़ ट्रिब्यूनल्स के फैसले को हाईकोर्ट या अन्य अदालतों से सर्वोपरि मानना)
- वक्फ़ कानूनों का दुरुपयोग
- वक्फ़ अधिनियम का सिर्फ एक ही धर्म पर लागू होना
- यह बोर्ड और इसके नियम न संविधान के खिलाफ है
सरकार ने प्रस्ताव रखने से पहले कीं ये तैयारियां
केन्द्र सरकार ने क्फ़ (संशोधन) बिल, 2024 और मुसलमान वक़्फ़ (निरसन) बिल, 2024 पेश करने से पहले कई अहम पहलुओं पर ध्यान दिया। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कई स्टेकहोल्डर्स से विचार-विमर्श किया। इस मंत्रणा में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट, जनप्रतिनिधियों की राय, कानून का कुप्रबंधन, वक्फ़ अधिनियम की शक्तियों के दुरुपयोग के विषय में चर्चा की। इसके अलावा कानून मंत्रालय ने राज्य वक्फ़ बोर्डों से परामर्श करते हुए आवश्यक सुझाव मांगे। तत्पश्चात् स्टेकहोल्डर्स के साथ वक्फ़ अधिनियम, 1995 के प्रावधानों की समीक्षा शुरू हुई। दो बैठकों के बाद जब स्टेकहोल्डर्स की समयाएं सुलझा ली गईं तब इस अधिनियम में उपयुक्त संशोधन करने के लिए आम सहमति बनी।
संयुक्त संसदीय समिति के पास वक्फ़ बिल
वक्फ़ संशोधन विधेयक को 9 अगस्त, 2024 को संसद के दोनों सदनों ने एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास जांचने और उस पर रिपोर्ट देने के लिए प्रेषित कर दिया। इस समिति ने वक्फ़ संशोधन बिल के निहितार्थों पर विस्तृत चर्चा की। इस चर्चा में उक्त विधेयक के प्रावधानों पर आम जनता और विशेष रूप से विशेषज्ञों/स्टेकहोल्डर्स और अन्य संबंधित संगठनों से विचार आमंत्रित किए गए। तकरीबन 36 बैठकों के पश्चात JPC ने कई मंत्रालयों/विभागों के प्रतिनिधियों की सहमति/असहमति, विचार/सुझाव पर चर्चा की। इन मंत्रालयों/विभागों में अल्पसंख्यक कल्याण, विधि एवं न्याय, रेलवे (रेलवे बोर्ड), आवास और शहरी, सड़क परिवहन और राजमार्ग, संस्कृति (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण), राज्य सरकारें और राज्य वक्फ़ बोर्ड की उपस्थिति रही।
....और ऐसे साफ हुआ वक्फ़ कानून बनने का रास्ता
लोकसभा में वक्फ़ संशोधन बिल पर दो अप्रैल, 2025 को बहस आरंभ हुई। दिनभर चर्चा करते हुए सांसदों ने देर रात 12 बजे बिल के पक्ष और विपक्ष में मतदान किया। पक्ष में 288 वोट और विरोध में 232 वोट होने के साथ ही वक्फ़ संशोधन बिल लोकसभा से पास हो गया। इसके बाद बारी आई राज्यसभा की, जहां तीन अप्रैल 2025 को इसे पटल पर रखा गया। राज्यसभा में भी दिनभर चली लंबी बहस के बाद देर रात 2 बजकर 32 मिनट पर बिल के पक्ष में फैसला आया। राज्यसभा में बिल के पक्ष में 128 वोट और विपक्ष में 95 वोट पड़े।
वक्फ़ संशोधन कानून लागू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पांच अप्रैल को वक्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी थी। इसके बाद केन्द्र सरकार की ओर से अधिसूचना कर इस कानून के प्रभावी होने की औपचारिक घोषणा भी कर दी गई। नोटिफिकेशन में लिखा गया, 'केंद्र सरकार, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 (2025 का 14) की उप-धारा (2) की धारा 1 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, 8 अप्रैल, 2025 को वह तारीख नियुक्त करती है जिस दिन उक्त अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे।'
नए कानून से महिलाओं का लाभ कैसे ?
वक्फ़ संशोधन कानून मुस्लिम महिलाओं (विशेषकर विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं) के आर्थिक और कानूनी अधिकारों का पूर्णत: समर्थन करता है। इस कानून में यह भी प्रावधान है कि, सम्पत्ति को वक्फ़ को घोषित करने से पहले महिलाओं को उनकी विरासत दी जाएगी। इसमें विधवा एवं तलाकशुदा महिलाओं एवं अनाथ बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इस कानून में ये भी प्रस्ताव किया गया है कि जिलाधिकारी से ऊपर के रैंक का कोई अधिकारी वक्फ़ घोषित की गई सरकारी जमीन की जांच करेगा।
वक्फ़ कानून का 'सुप्रीम' विरोध
वक्फ़ संशोधन कानून के लागू होते ही इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द और तमाम राजनेताओं ने इस कानून के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। बता दें कि, सात अप्रैल को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के वकील कपिल सिब्बल को ये कहते हुए आश्वस्त किया था कि, वे याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करेंगे।
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