वक्फ विधेयक मुस्लिम विरोधी है या नहीं? सवाल पर सदन में बवाल; जानें किसकी कैसी राय

NDA vs INDIA: वक्फ विधेयक मुस्लिम विरोधी नहीं है, इसे पारदर्शिता के लिए लाया गया है। ये एनडीए सरकार में शामिल जद(यू) का कहना है, जबकि नीतीश के अलावा चंद्रबाबू नाडयू की टीडीपी ने भी इस विधेयक का समर्थन किया है। हालांकि विपक्षी दलों का मानना है कि ये अल्पसंख्यकों पर हमला है।

Waqf Amendment Bill Is anti-Muslim

वक्फ संशोधन विधेयक को कौन बता रहा मुस्लिम विरोधी?

Politics on Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने के बाद सियासी गलियारों में एक नए मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। कोई इसके विरोध में आवाज बुलंद कर रहा है और इसे मुस्लिम विरोधी करार दे रहा है, तो इसका समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं का कहना है कि इस विधेयक को पारदर्शिता के लिए लाया गया है। सवाल यही है कि क्या वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम विरोधी है या नहीं? आपको इस लेख में समझाते हैं कि इसे लेकर किसकी क्या राय है।

जेडीयू और टीडीपी ने खुलकर किया समर्थन

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के दो प्रमुख सहयोगी दलों जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे वक्फ से जुड़ी संस्थाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। हालांकि, तेदेपा ने कहा कि इस विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए इसे संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए।

'यह कैसे मुसलमान विरोधी है?' उठे सवाल

जद(यू) के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लोकसभा में कहा, 'कई (विपक्षी) सदस्यों की बातों से लग रहा है कि यह विधेयक मुसलमान विरोधी है। यह कैसे मुसलमान विरोधी है?' उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने मंदिरों की बात की है, लेकिन मंदिर और संस्था में अंतर है। ललन सिंह ने कहा कि मस्जिदों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। जद (यू) सांसद ने कहा, 'वक्फ संस्था को पारदर्शी बनाने के लिए यह संशोधन लाया जा रहा है।' उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सवाल किया, 'हजारों सिखों को किसने मारा?' ललन सिंह ने कहा कि विधेयक आना चाहिए और वक्फ संस्थाओं में पारदर्शिता लानी चाहिए।

'पारदर्शिता लाना सरकार की जिम्मेदारी है'

तेदेपा सांसद जीएम हरीश बालयोगी ने कहा कि अगर विधेयक संसदीय समिति को भेजा जाता है तो उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा, 'वक्फ दानदाताओं के उद्देश्य की रक्षा की जानी चाहिए। जब उद्देश्य और शक्ति का दुरुपयोग होता है तो सुधार लाना और प्रणाली में पारदर्शिता लाना सरकार की जिम्मेदारी है।' बालयोगी ने कहा कि वह सरकार के इस प्रयास का समर्थन करते हैं। तेदेपा सांसद ने कहा, 'हमारा मानना है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण से देश के गरीब मुसलमानों और महिलाओं को मदद मिलेगी और पारदर्शिता आएगी।' उन्होंने कहा कि अगर विधेयक को आगे परामर्श के लिए संसद की समिति के पास भेजा जाता है तो उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा, 'अगर गलतफहमी दूर करने, गलत सूचना को रोकने और विधेयक के उद्देश्य से अवगत कराने के लिए व्यापक परामर्श की आवश्यकता है, तो हमें इसे प्रवर समिति को भेजने में कोई समस्या नहीं है।'

'संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला'

विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने का विरोध करते हुए एक सुर में कहा कि यह संविधान और संघवाद पर हमला है तथा अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ को पेश करने की अनुमति मांगी जिसके बाद विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे। कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक संविधान पर हमला है। उन्होंने सवाल किया, 'उच्चतम न्यायालय के आदेश से अयोध्या में मंदिर बोर्ड का गठन किया गया। क्या कोई गैर हिंदू इसका सदस्य हो सकता है। फिर वक्फ परिषद में गैर मुस्लिम सदस्य की बात क्यों की जा रही है?'

'आप मुस्लिम पर हमला कर रहे हैं, फिर ईसाई...'

वेणुगोपाल ने दावा किया कि यह विधेयक आस्था और धर्म के अधिकार पर हमला है। उन्होंने कहा, 'अभी आप मुस्लिम पर हमला कर रहे हैं, फिर ईसाई पर करेंगे, उसके बाद जैन पर करेंगे।' कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि यह विधेयक महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनाव के लिए लाया गया है, लेकिन देश की जनता अब इस तरह की विभाजन वाली राजनीति पसंद नहीं करती। वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक संघीय ढांचे पर भी हमला है।

'बहुत बड़ी गलती करने जा रही है सरकार'

समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्ला नदवी ने कहा कि मुस्लिमों के साथ यह अन्याय क्यों किया जा रहा है? उन्होंने दावा किया, 'संविधान को रौंदा जा रहा है...यह आप (सरकार) बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं। इसका खामियाजा हमें सदियों तक भुगतना पड़ेगा।' सपा सांसद ने कहा, 'अगर यह कानून पारित हुआ तो अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे... कहीं ऐसा नहीं हो जनता दोबारा सड़कों पर आ जाए।'

'अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है ये विधेयक'

तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह विधेयक अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है तथा असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाला तथा सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है। वहीं द्रमुक सांसद के. कनिमोझी ने कहा, 'यह दुखद दिन है। आज देख रहे हैं कि यह सरकार संविधान के खिलाफ सरेआम कदम उठा रही है। यह विधेयक संविधान, संघवाद, अल्पसंख्यकों और मानवता के खिलाफ है।'

कांग्रेस ने पहले से ही कर ली थी सारी तैयारी

विधेयक पेश होने से पहले कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल और हिबी ईडेन ने लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने का विरोध करने के लिए नियम 72 के तहत एक नोटिस दिया था। सूत्रों ने बताया कि ईडन ने अपने नोटिस में कहा था कि वह विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हैं क्योंकि यह ‘असंवैधानिक’ है। ईडेन का कहना है कि यह विधेयक संपत्ति के अधिकार (अनुच्छेद 300 ए) के विपरीत है। उन्होंने तर्क दिया कि पर्याप्त कानूनी सुरक्षा उपायों के बिना यह विधेयक व्यक्तियों और धार्मिक संस्थानों के संपत्ति संबंधी अधिकारों का उल्लंघन करता है। ईडेन ने यह भी तर्क दिया था कि यह विधेयक अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी कहा है कि यह राज्यों की शक्तियों पर अतिक्रमण है।

इकबाल अंसारी ने वक्फ विधेयक पर क्या कहा?

वक्फ बोर्ड में किए जाने वाले संशोधन बिल को संसद में पेश किए जाने के बाद अयोध्या के संत और मुस्लिम पक्षकारों ने अपनी प्रक्रिया दी है। बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि हमारे देश की सरकार अच्छा कार्य कर रही है, वक्फ बोर्ड की संपत्ति सरकार अपनी देख-रेख में रखे वक्फ बोर्ड पर की जमीन पर अवैध कब्जे पर भी सरकार काम करें। इकबाल अंसारी ने कहा कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी को अपने निजी शौक के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। वक्फ बोर्ड की संपत्ति सार्वजनिक होती है और आवश्यकता अनुसार उसका प्रयोग किया जा सकता है। वक्फ बोर्ड की संपत्ति का क्रय और विक्रय नहीं हो सकता, संसद में आज बिल पेश हुआ है नियम और कानून से काम होना चाहिए और इस पर किसी को भी आपत्ति नहीं होना चाहिए।

वक्फ विधेयक पर महंत राजू दास की प्रतिक्रिया

हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि वक्फ बोर्ड बिल पर बहस होना चाहिए, इसके लिए प्रधानमंत्री को साधुवाद है। वक्फ बोर्ड बिल से दबे कुचले शोषित और वंचित मुस्लिम को भी लाभ मिलेगा। वक्फ बोर्ड गैर संवैधानिक ढंग से बनाया गया बोर्ड है। लोकतांत्रिक देश में एक देश और दो संविधान कैसे चलेगा। वही लोग इस बिल का विरोध करें, जिन्होंने गैर संवैधानिक ढंग से इसे बनाया था। राजू दास ने कहा कि जिनको हिंदू और मुसलमान हर चीज में दिखता है, वही लोग इसका विरोध कर रहे हैं।

क्या बोले राम मंदिर के मुख्य आचार्य पुजारी सत्येंद्र दास?

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि वक्फ बोर्ड बिल पास हो जाए या बहुत ही आवश्यक है। अच्छी और खाली जमीनों पर वक्फ बोर्ड का दवा हमेशा रहता है। वक्फ बोर्ड देश के लिए हानिकारक है, इस पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। वक्फ बोर्ड के नाम पर लोगों का शोषण किया जा रहा है, गांव के गांव को बताया जाता है कि वक्फ बोर्ड का है वक्फ बोर्ड पर बिल पास होना, उसको कानून के दायरे में लाना जरूरी है। मुख्य पुजारी ने कहा कि वक्फ बोर्ड संशोधन बिल तुरंत पास और उसका क्रियान्वयन हो।

अखिलेश ने भाजपा को बताया भारतीय जमीन पार्टी

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर वक्फ अधिनियम में संशोधन की आड़ में वक्फ की जमीन बेचने की योजना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'वक्फ बोर्ड का ये सब संशोधन भी बस एक बहाना है। रक्षा, रेल, नज़ूल भूमि की तरह जमीन बेचना निशाना है।' उन्होंने कहा, 'वक्फ बोर्ड की जमीनें, रक्षा जमीन, रेल भूमि, नज़ूल भूमि के बाद भाजपाइयों के लाभार्थ योजना की श्रृंखला की एक और कड़ी मात्र हैं। भाजपा क्यों नहीं खुलकर लिख देती : भाजपाई-हित में जारी।' अखिलेश मांग की कि इस बात की लिखित में गारंटी दी जाए कि वक्फ बोर्ड की जमीनें बेची नहीं जाएंगी। उन्होंने आरोप लगाया, 'भाजपा रियल स्टेट कंपनी की तरह काम कर रही है। उसे अपने नाम में ‘जनता’ के स्थान पर ‘ज़मीन’ लिखकर नया नामकरण कर देना चाहिए : भारतीय जमीन पार्टी।'

विधेयक में क्या है, समझिए क्यों मचा है घमासान

वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से जुड़े विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें वक्फ निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है। वक्फ (संशोधन) विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ करने का भी प्रावधान है। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, विधेयक में यह तय करने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रावधान है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं। यह संशोधन विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं तथा गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
देखना होगा कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सदन से लेकर सियासी गलियारों में मचा घमासान किस ओर करवट लेता है। क्या विपक्षी दलों को एक नया और बड़ा मुद्दा मिल गया, या फिर इस फैसले को लेकर भी मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपाने में कामयाब हो जाती है। फिलहाल ये विवाद अभी लंबा चलने वाला है।
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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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