भारत को कूटनीतिक पसोपेश में फंसाना चाहते हैं पश्चिमी देश, ऐसे नहीं जगा है अमेरिका का 'पाक प्रेम'

दुनिया में आज भारत का एक रसूख एवं प्रभाव है। अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। इस बढ़ते कद को देखते हुए ताकतवर देश भारत को अपने साथ देखना चाहते हैं लेकिन भारत की कूटनीति एवं विदेश नीति देश के हितों एवं जरूरतों के हिसाब से तय होती है।

पाकिस्तान के साथ फिर अपनी नजदीकियां बढ़ा रहा है अमेरिका।

मुख्य बातें
  • भारत को घेरने एवं उस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं पश्चिमी देश
  • पाकिस्तान के करीब आ रहा अमेरिका, पीओके को आजाद कश्मीर बताया
  • बिलावल भुट्टो के साथ जर्मनी की विदेश मंत्री ने कश्मीर का जिक्र किया

राजनीति में दिखने और दिखाने का एक अर्थ होता है और कूटनीति में जो बातें बोलीं नहीं जातीं उसे समझा जाता है। हाल के दिनों में भारत को लेकर कई ऐसे बयान आए हैं जिनसे यही संदेश निकल रहे हैं कि भारत को घेरने और उस पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के हाल के बयान इसी संदर्भ में हैं। कूटनीति के जानकारों का कहना है कि यूक्रेन के मुद्दे पर भारत की तटस्थता इन देशों को अखर रही है। इन देशों की मंशा है कि यूक्रेन पर जो उनका रुख है, वैसा ही रुख भारत भी रखे।

पश्चिमी देश चाहते हैं कि रूस के खिलाफ नजर आए भारत

जाहिर है कि ये देश चाहते हैं कि भारत अपने परंपरागत सहयोगी देश रूस के खिलाफ नजर आए। इसकी उन्होंने कई दफे कोशिश की लेकिन भारत उनके साथ खड़ा नहीं हुआ। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एवं यूएन में रूस के खिलाफ जितने भी प्रस्ताव आए, उनसे नई दिल्ली ने दूरी बना ली। भारत शुरू से यही बात कहता आया है कि यूक्रेन संकट का समाधान आपसी बातचीत एवं कूटनीति से निकाला जाना चाहिए। बात इतनी भर नहीं है, पिछले कुछ समय से वैश्विक मुद्दों पर भारत बिना किसी दबाव में आए अपनी बात बेबाकी से रखता आ रहा है। अमेरिका तक को उसी की धरती पर जवाब मिल जा रहा है। वह दौर बीत चुका है जब अंतरराष्ट्रीय मसलों पर नई दिल्ली की बात नहीं सुनी जाती थी।

अमेरिका ने यूक्रेन को युद्ध में झोंक दिया

दुनिया में आज भारत का एक रसूख एवं प्रभाव है। अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। इस बढ़ते कद को देखते हुए ताकतवर देश भारत को अपने साथ देखना चाहते हैं लेकिन भारत की कूटनीति एवं विदेश नीति देश के हितों एवं जरूरतों के हिसाब से तय होती है। कूटनीति के जानकारों का कहना है कि अमेरिका सहित पश्चिमी देश केवल अपना हित देखते हैं। अपने हित के लिए अमेरिका ने यूक्रेन को युद्ध में झोंक दिया। वह किसी को भी दगा दे सकता है। युद्ध में फंसाकर फिर वहां से भाग जाना उसकी पुरानी आदत है। यूक्रेन पर भारत के रुख को सही माना जा रहा है। आजादी के बाद से इतिहास गवाह है कि भारत जब भी मुश्किल में पड़ा तो उसकी मदद करने के लिए कोई और नहीं रूस आगे आया। रूस के साथ भारत की मित्रता समय पर परखी हुई है। यूक्रेन के लिए भारत रूस के साथ अपना संबंध नहीं बिगाड़ सकता। इस बात को उसने साफ कर दिया है।

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