शादी से लेकर तलाक तक और हलाला से लेकर लिव इन तक...10 प्वाइंट में सझिए UCC से उत्तराखंड में क्या-क्या बदल जाएगा

Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में सोमवार (27 जनवरी 2025) से समान नागरिकता कानून यानि कि UCC लागू होने जा रहा है। यूसीसी के लागू होते ही उत्तराखंड में कई बड़े बदलाव आने तय हैं, जिसमें हलाला जैसे कुप्रथा पर भी प्रतिबंध शामिल है।

UCC.

उत्तराखंड में आज से यूसीसी लागू

मुख्य बातें
  • उत्तराखंड में आज से यूसीसी लागू
  • सभी धर्मों के लोगों पर यह कानून होगा लागू
  • शादी से लेकर तलाक तक के नियम समान

Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में आज से समान नागरिक संहिता कानून लागू हो जाएगा। उत्तराखंड में यूसीसी लागू होते ही शादी से लेकर तलाक तक के नियम सबके के लिए समान हो जाएंगे, चाहे वो किसी भी धर्म या संप्रदाय से हों। इसके अलावा हलाला जैसे कुप्रथा भी कानूनी रूप से बंद हो जाएगी।

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समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से उत्तराखंड में क्या-क्या बदल जाएगा

  1. उत्तराखंड ने सोमवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का निर्णय लिया है, जिससे यह स्वतंत्र भारत में ऐसा कानून लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा।
  2. यूसीसी के तहत एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि विवाहों और लिव-इन रिलेशनशिप का अनिवार्य पंजीकरण होगा। पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान, जोड़ों को अपनी पहचान, उम्र, धर्म और आधार कार्ड जैसी जानकारी देनी होगी। इस कदम को व्यक्तिगत संबंधों को कानूनी मान्यता और जवाबदेही देने के रूप में देखा जा रहा है।
  3. लिव-इन पार्टनर्स को भी अपने रिश्ते का पंजीकरण स्थानीय रजिस्ट्रार के पास करवाना अनिवार्य होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों पार्टनर वयस्क हैं और कानूनी रूप से अविवाहित हैं।
  4. यूसीसी के तहत, यदि लिव-इन रिलेशनशिप एक महीने से अधिक समय तक चलता है और उसका पंजीकरण नहीं कराया जाता है, तो इसके लिए जुर्माना हो सकता है, जिसमें तीन महीने की कैद या 10,000 रुपये तक का जुर्माना शामिल है।
  5. विवाहों के पंजीकरण में विफलता पर भी 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है, यदि उप-रजिस्ट्रार से नोटिस प्राप्त करने के बाद विवाह का पंजीकरण नहीं किया जाता है।
  6. इसके अतिरिक्त, यूसीसी एक डिजिटल पोर्टल भी पेश करता है, जिसके जरिए विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण आसानी से किया जा सकता है। यह पोर्टल उत्तराखंड के निवासियों और भारत में कहीं और रहने वाले मूल निवासियों के लिए अलग-अलग श्रेणियां प्रदान करेगा। आवेदकों को इस पोर्टल पर तस्वीरें और घोषणाएं अपलोड करनी होंगी, और बच्चों के जन्म के प्रमाणपत्र को सात दिनों के भीतर पंजीकृत करना होगा।
  7. यूसीसी का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि यह द्विविवाह और बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाएगा। धारा 4 में यह स्पष्ट किया गया है कि किसी व्यक्ति के पास विवाह के समय कोई जीवित जीवनसाथी नहीं हो सकता, जिससे एकपत्नीत्व के सिद्धांत को बल मिलेगा।
  8. यह प्रावधान महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि एक व्यक्ति के पास कानूनी रूप से एक ही पत्नी हो।
  9. उत्तराधिकार और विरासत कानून में भी यूसीसी महत्वपूर्ण बदलाव लाता है। अब वसीयतनामा और उत्तराधिकार के मामलों में पूरी पारदर्शिता होगी। वसीयतनामे में घोषणाकर्ता, उत्तराधिकारियों और गवाहों की आधार जानकारी सहित दस्तावेजीकरण किया जाएगा। गवाहों को वसीयतनामा की पढ़ाई करते समय अपनी वीडियो रिकॉर्डिंग अपलोड करनी होगी। यह कदम पारदर्शिता को बढ़ाता है और विवादों को कम करने में मदद करेगा। किसी भी असहमति को निर्दिष्ट पोर्टल के माध्यम से हल किया जा सकेगा, जिससे विवादों का समाधान जल्दी और प्रभावी तरीके से हो सकेगा।
  10. उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद दो महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक बदलाव होंगे। पहला, हलाला जैसी प्रथा का खात्मा होगा और दूसरा, उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर हिस्सेदारी मिलेगी। ये दोनों प्रावधान समाज में समानता और न्याय की दिशा में बड़े कदम माने जा रहे हैं।

सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी

उत्तराखंड सोमवार को समान नागरिक संहिता लागू करेगा, जिससे यह स्वतंत्र भारत में इस तरह का कानून लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार, सरकार ने कानून को लागू करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं, जिसमें अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए नियमों की मंजूरी लेना और संबंधित अधिकारियों का प्रशिक्षण शामिल है। सीएम धामी ने कहा- "यूसीसी प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है। समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है।"

उत्तराखंड में यूसीसी की यात्रा

उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करना 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए गए प्रमुख वादों में से एक था।

मार्च में दोबारा सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में यूसीसी प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उसका मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन पर मुहर लगा दी गयी थी। उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति गठित की गयी थी, जिसने लगभग डेढ़ वर्ष में विभिन्न वर्गों से बातचीत के आधार पर चार खंडों में तैयार अपनी विस्तृत रिपोर्ट दो फरवरी 2024 को राज्य सरकार को सौंपी। रिपोर्ट के आधार पर सात फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र में यूसीसी विधेयक पारित कर दिया गया और उसके एक माह बाद 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने भी उसे अपनी मंजूरी दे दी। यूसीसी अधिनियम बनने के बाद पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में गठित की गयी एक समिति ने इसके क्रियान्वयन के लिए नियमावली तैयार की जिसे हाल ही में राज्य मंत्रिमंडल ने भी मंजूरी दे दी।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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